परमात्मा की प्राप्ति के लिए चिंतन जरूरी

दरौली लाली मंदिर केशर स्कूल के परिसर में चल रहे सात दिवसीय श्रीरामचरित मानस सम्मेलन के चौथे दिन रविवार को रामकुंज अयोध्या से पधारे श्रीरामानंद दास जी महाराज ने राम कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि बाल्मीकि रामायण, श्रीमद्भगवत गीता व श्रीमद्भागवत महापुराण यह तीनों सदग्रंथ हैं। ये वैदिक सनातन परंपरा की जड़ हैं। इन्हीं पर सब हमारे धर्म ग्रंथ आधारित है। ऐसे श्रीमद् बाल्मीकि रामायण, श्रीमद्भागवत महापुराण और श्रीमद्भगवद्गीता इन तीनों की उत्पति का मूल है शोक व चिंता। महर्षि बाल्मीकि को शोक हुआ तो बाल्मीकि रामायण का प्राकट्य हुआ। वहीं उन्होंने कहा कि परीक्षित जी को शोक हुआ तो सुखदेव जी आए। उन्हें श्रीमद्भागवत महापुराण सुनाया और अर्जुन को शोक हुआ तो भगवान ने उनके शोक को दूर करने के लिए गीता का उपदेश दिया। समाज के हर पक्ष में उसके विकास में चिंता मूल कारण मानी गई है। यह संसार, यह शरीर सब विनाशी है। कैसे हम विशुद्ध ज्ञान के माध्यम से उस परमात्मा के सानिध्य को प्राप्त करें। यह चिंतन परम आवश्यक है।

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