बच्चे देश के भविष्य हैं और महिलाएं समाज की आर्किटेक्ट: जिला जज

जागरण संवाददाता, सुपौल: जेजे एक्ट 2015 एवं पॉक्सो एक्ट 20 12 के जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुपौल शशि भूषण प्रसाद सिंह ने जे.जे. एक्ट 2015 एवं पॉक्सो 2012 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं तथा महिला समाज की आर्किटेक्ट होती है। सभी स.टेक होल्डर यदि उन प्रावधानों का सही भावना के साथ पालन करते हैं तो इनके विरुद्ध अपराधों को नियंत्रित किया जा सकता है और इनके अधिकारों की रक्षा की जा सकती है। जिला जज ने बच्चों एवं महिलाओं की बेहतरी पर चर्चा करते हुए कहा कि जब प्रौढ़ बाल्मीकि के आचरण में सुधार हो सकता है तो बच्चों के आचरण में सुधार की अपार संभावनाएं होती हैं। इसलिए सभी स.टेक होल्डरों को अति संवेदनशील होकर इनके अधिकारों की रक्षा के लिए काम करना होगा। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश मदन किशोर कौशिक ने जे.जे एक्ट और पॉक्सो में निर्देशित प्रावधानों का सही रूप में ग्रास रूट पर कार्य नहीं होने पर चिता व्यक्त करते हुए कहा कि इन एक्टों में बच्चों एवं महिलाओं के बेहतर माहौल देने का समुचित प्रावधान है। किन्तु जानकारी एवं जागरूकता की कमी के कारण इन प्रावधानों का सही रूप स. क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन पर जोर दिया। एडीजे प्रथम अशोक कुमार सिंह ने पॉक्सो एवं जे. जे. एक्ट में निहित कई महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि जे. जे.एक्ट के अंतर्गत जमानत आवेदन की आवश्यकता नहीं होती है। श्री सिंह ने सेक्सन 18 का जिक्र करते हुए कहा कि कई गंभीर अपराधों को छोड़ कर शेष में आरोप पत्र की भी आवश्यकता नहीं होती है। वहीं जे.जे.बी के प्रधान मजिस्ट्रेट विवेक कुमार मिश्रा ने जे.जे. एक्ट 2015 और जे.जे. रूल 2017 के बारे में विस्तार स. जानकारी दी। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में ही जिला विधिज्ञ संघ के सचिव सुधीर कुमार झा, प्रभारी मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मेजर शशि भूषण प्रसाद, एडीजे द्वितीय इसरार अहमद और वरीय अधिवक्ता हेमकांत झा ने भी संबोधित किया और इन प्रावधानों के क्रियान्वयन में आने वाले समस्याओं को सामने रखा। कार्यक्रम के प्रथम सत्र की शुरूआत में एडीजे तृतीय रविरंजन मिश्र ने इन अधिनियमों को वास्तविक रूप में आने का संपूर्ण इतिहास बताते हुए इन एक्टों को रिफार्म फिलॉस्फी कहा। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में एडीजे षष्टम स. विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) पाठक आलोक कौशिक ने पॉक्सो अधिनियम को विस्तार स. बताया। इस द.रान श्री कौशिक ने पीड़िता और उसके परिवार वालों स. संबेधित कई प्रावधानों और महत्वपूर्ण तथ्यों स. अवगत कराया। उन्होंने पीड़िता का द. प्र. स. की धारा 161 एवं 164 के तहत बयान दर्ज करते समय पालन योग्य नियमों की भी चर्चा की। द्वितीय सत्र में एडीजे चतुर्थ नवीन कुमार ठाकुर ने महिलाओं के विरुद्ध लैंगिक दु‌र्व्यवहार की चर्चा करते हुए इसमें रोकथाम के लिए सख्ती स. कानून का पालन किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। एडीजे पंचम कमलेश चन्द्र मिश्रा ने पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत सी.डब्लू.सी एवं चिकित्सा व्यवसाय की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि इन्हें अन्य स.टेक होल्डरों के साथ बेहतर सामंजस्य बनाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में एडीजे सप्तम संजय कुमार ने सभी स.टेक होल्डरों की भूमिका महत्वपूर्ण होने की बात कही। अवर न्यायाधीश सप्तम प्रहृलाद कुमार ने जे.जे. एक्ट एवं पॉक्सो एक्ट के संबंध में संयुक्त राष्ट्र संघ एवं भारतीय संविधान में वर्णित तथ्यों का उल्लेख किया। कार्यक्रम के तृतीय सत्र में विचारों का आदान-प्रदान तथा प्रश्नकाल रखा गया था। इस सत्र के द.रान वरीय अधिवक्ता नागेन्द्र नारायण ठाकुर, वीरेन्द्र कुमार झा उर्फ बच्चन झा एवं जेजे बोर्ड की वरीय सदस्य अफसरी इल्ताफ ने कई प्रश्न सदन में रखा। जिसका समाधान जिला जज शशि भूषण प्रसाद सिंह, परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश मदन किशोर कौशिक, एडीजे षष्ठम पाठक आलोक कौशिक, अवर न्यायाधीश प्रथम वीरपुर कन्हैया लाल यादव, जेजेबी के प्रधान मजिस्ट्रेट विवेक कुमार मिश्र, सीडब्लूसी के बाल संरक्षण पदाधिकारी भाष्कर कश्यप एवं पर्यवीक्षा पदाधिकारी ओमप्रकाश पाण्डेय ने जवाब देकर किया। कार्यक्रम का संचालन जेजेबी के सदस्य भगवान जी पाठक ने किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विवेक राय एवं धन्यवाद ज्ञापन जिला विधिक प्राधिकार के सचिव एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी ज्योति कश्यप ने किया।

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