Hanuman Jayanti : क्यों हनुमान जी ने धारण किया था पंचमुखी रूप, इनकी पूजा से मिलता है लाभ

यूं तो हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा पर मनाई जाती है लेकिन बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण की माने तो इसमें हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बताया जाता है जो इस बार 13 नवंबर को है. यानि धनतेरस के दिन ही हनुमान जयंती मनाई जाएगी. इस खास अवसर पर हम आपको हनुमान जी के पंचमुखी रूप के बारे में बता रहे हैं. आखिर क्यों हनुमान जी ने यह रूप धारण किया और इसकी पूजा के क्या लाभ है..?

इस वजह से पंचमुखी रूप किया धारण
हनुमान जी के पंचमुखी रूप धारण करने के पीछे एक कथा मिलती है जिसके मुताबिक जब राम के साथ युद्ध में रावण को जब अपनी हार का आभास हुआ तो उसने अपने भाई अहिरावण से मदद मांगी तब अहिरावण ने माया जाल से श्री राम की पूरी सेना को सुला दिया और राम-लक्ष्‍मण को बंधक बनाकर पाताल लोक में चला गया. जब सभी को होश आया तो विभीषण इस पूरी चाल को समझ गए और उन्होंने हनुमानजी को पाताल लोक जाने को कहा
पाताल लोक पहुंचे थे हनुमान
तब हनुमान जी राम और लक्ष्मण की तलाश में पाताललोक जा पहुंचे थे जहां उन्होंने सबसे पहले मकरध्‍वज को हराया और फिर अहिरावण से भि़ड़ने जा पहुंचे लेकिन अहिरावण ने 5 दिशाओं में दीए जला रखे थे और उसे वरदान था कि जो भी यह 5 दीए एक साथ बुझा देगा वहीं उसका वध कर पाएगा। तब ऐसी परिस्थिति देख हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था. और दीए बुझाकर अहिरावण का वध कर दिया. इन पंच मुखों में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख है.
पंचमुखी हनुमान की पूजा का लाभ
वहीं पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का अत्यंत लाभ भी मिलता है. कहते हैं अगर घर में पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा या तस्वीर लगाकर पूजा की जाए तो मंगल, शनि, पितृ व भूत दोष से मुक्ति मिल जाती है. लेकिन ध्यान रखे कि यह प्रतिमा या तस्वीर दक्षिण दिशा में ही लगानी चाहिए. साथ ही इनकी पूजा से जीवन में आने वाले हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं.

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