ऑनलाइन जुए का बढ़ा चलन, स्मार्ट फोन बनता है जरिया

जागरण संवाददाता, सुपौल : जुआ खेलने की परंपरा बहुत पूर्व से ही चली आ रही है। महाभारत काल में चौपड़ से जुआ खेला जाता था, जिसका बखान धर्मशास्त्रों में भी मिलता है। धीरे-धीरे जुआ का स्वरूप बदला और कई तरीके से जुआ खेला जाने लगा। कई जगहों पर तो बकायदा जुआ खेलने के लिए केसीनो है, जहां कई तरीके से जुआ खेला जाता है और हार-जीत होती है। मिथिला क्षेत्र में भी कोजागरा को जुआ खेलने की शुरुआत माना जाता है। जो दीपावली तक चलता है। इस दौरान कई लाखपति खाकपति बनते हैं तो कई खाकपति लाखपति। भारत-नेपाल का सीमावर्ती जिला रहने के कारण सुपौल जिले पर भी कुछ-कुछ नेपाली संस्कृति का असर दिखता है और नेपाल के तर्ज पर ही यहां भी कई जगहों पर जुआरियों का जमघट लगता है। जुआ खेलने के लिए नेपाल से भी लोग भारतीय भू-भाग में आते हैं। रात भर जुए का दौर चलता है। ऐसा नहीं कि पुलिस प्रशासन को इसकी भनक नहीं रहती। सब कुछ सिस्टम से होता है। खेल भी कोई छोटा नहीं होता। लाखों रूपये दांव पर लगाए जाते हैं। संचार सेवा के विकसित होने के बाद अब शेयर या सट्टा ही नहीं बल्कि जुआ भी ऑनलाइन खेला जाने लगा है। स्मार्ट फोन इसमें महत्ती भूमिका निभा रहा है। यानि अब कहीं जगह नहीं मिले तो आपका स्मार्ट फोन आपको घर बैठे ही जुआ खेलवा दे रहा। जैसे-जैसे साधन और सुविधा बढ़ी जुए का स्वरूप भी बदला। इसी का नतीजा है कि ऑनलाइन जुए का प्रचलन भी ऑनलाइन शॉपिग की तरह ही अपनी पकड़ बना ले इससे इन्कार नहीं किया जा सकता।


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