जनता ने दिखाया दम, जिले में राजग बे-दम

बक्सर : मंगलवार को मतगणना के संपन्न होते ही विधानसभा चुनाव को लेकर जारी अटकलों का दौर समाप्त हो गया। चुनाव में जनता ने ऐसा दम दिखाया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन जिले में बे-दम हो गया। यहां से चारों सीटों पर महागठबंधन ने अपना कब्जा जमा लिया। वोटों के ध्रुवीकरण में बक्सर से जनता दल यू का पत्ता साफ हो गया तो भारतीय जनता पार्टी एवं उसके सहयोगी दलों का खाता भी नहीं खुल सका। यहां सबसे कम वोट से मात खाई भाजपा को हार का सबसे ज्यादा मलाल रहेगा।

बक्सर के चार विधानसभा सीटों में एनडीए ने बक्सर से भाजपा प्रत्याशी परशुराम चतुर्वेदी, राजपुर से जदयू उम्मीदवार संतोष कुमार निराला और डुमरांव से जदयू प्रत्याशी अंजुम आरा को मैदान में उतारा था। वहीं, ब्रह्मपुर से एनडीए की सहयोगी पार्टी वीआईपी के जयराज चौधरी मैदान में थे। लेकिन, इनमें से कोई प्रत्याशी महागठबंधन के उम्मीदवारों के आगे नहीं टिक पाया। गौर करने लायक बात यह कि बक्सर को छोड़कर शेष विधानसभा क्षेत्रों में हार-जीत का अंतर भी ज्यादा रहा। ब्रह्मपुर से शंभूनाथ यादव ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की तो डुमरांव और राजपुर में भी जीत-हार का अंतर 30 और 20 हजार से अधिक मतों से रहा। बक्सर विधानसभा सीट पर नजर डालें तो यहां भाजपा प्रत्याशी परशुराम चतुर्वेदी को 54 हजार 830 मत मिले। जबकि, विजयी उम्मीदवार संजय तिवारी को 58 हजार 181 मत मिले। इसी तरह डुमरांव में विजयी उम्मीदवार माले के अजीत कुमार सिंह को जहां 70 हजार 338 वोट मिले। वहीं, जदयू की अंजुम आरा को 46 हजार 484 मतों से संतोष करना पड़ा। ब्रह्मपुर में राजद के शंभूनाथ यादव को 89 हजार 59 मत मिले तो लोजपा के हुलास पांडेय को 38 हजार 522 मत तथा राजपुर में विश्वनाथ राम को 66 हजार 957 वोट एवं संतोष निराला को 46 हजार 392 मत मिले।

शिकस्त के बाद समीक्षा में जुटे एनडीए प्रत्याशी
विधानसभा चुनाव में शिकस्त मिलने के बाद अब एनडीए के प्रत्याशी हार की समीक्षा में जुट गए हैं। बक्सर में कल तक जीत का दावा करने वाले शागिर्द अब वोटों के बिखराव को इसका कारण मान रहे हैं तो कोई इसका ठीकरा प्रत्याशी पर भी फोड़ रहा है। पार्टी के एक पुराने कार्यकर्ता का कहना था कि कांग्रेस प्रत्याशी की तरह भाजपा प्रत्याशी फील्ड में ज्यादा एक्टिव नहीं थे। वह उन सभी लोगों से संपर्क भी नहीं कर पाए, जहां से कांग्रेस प्रत्याशी ने आशीर्वाद ले लिया। नतीजा हुआ कि उन्हें मामूली वोट से हार का सामना करना पड़ गया।
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