'बाहुबली' के 1000 फीट ऊंचे झरने की जब जानेंगे सच्चाई, पैरों तले जमीन खिसक जाएगी

बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने वाली फिल्म बाहुबली 2 का भूत लोगों के दिमाग से निकला नहीं है। सुपरहिट फिल्म बाहुबली 2 के सीन, डायलॉग से लेकर एक्शन ने कई सुपरहिट फिल्मों को टक्कर दे दी। शायद बाहुबली 2 जैसे सीन लोगों ने और किसी फिल्म में नहीं देखे होंगे जिसे देखकर लोगों का मुंह खुला की खुला रह गया। जितना ही इस फिल्म को देखने में लोगों ने इंटरेस्ट लिया उतना ही इस बड़ी फिल्म को बनाने में फिल्म मेकर्स को कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

आइए जानते हैं इतनी बड़ी फिल्म को बनाने के लिए किस-किस तरह का जुगाड़ करना पड़ा था। फिल्म मेकर्स ने खुद इन बातों को रिवील किया है।
 
बाहुबली के पहले पार्ट में आपने 1000 फीट ऊंचाई वाला झरना देखा होगा।
वाटरफॉल के इस सीन को टिशू पेपर की सहायता से शूट किया गया ‌था। टिशू पेपर को लंबे साइज में काटकर झरने वाले सीन में पानी की तरह मशीन से गिराया गया था। बर्फ के बुरादे के लिए भी हमने टिशू पेपर का ही इस्तेमाल किया गया था।
फिल्म में दिखाया गया माहिष्मति किंगडम अब तक किसी भी फिल्म के लिए बनाए गए सेट से सबसे ऊंचा है। इससे फिल्म में भव्यता नजर आ रही है। ये सेट पेरिस के एफिल टॉवर के बराबर था। राजस्‍थान के दो मंदिरों में रिसर्च कर इसकी नक्काशी की गई थी। माहिष्मति पैलेस के सेट को बनाने के लिए 1900 लोगों ने 90 से 100 दिन तक लगातार काम किया।
फिल्म के पहले भाग में भल्लाल देव का रथ तो आपको याद ही होगा। इसमें 4 ब्लेड लगाए गए थे। टीम को इसका विचार किसानों की धान काटने की मशीन को देखकर आया था। इसे चलाने के लिए एक लाख रुपए की बुलेट खरीदी गई और उसके इंजन को रथ में फिट किया गया था।
 
फिल्म में बाहुबली को मरते देख हर कोई सन्न रह गया था। ये सीन जब शूट हो रहा था तो अचानकर बारिश होने से जमीन पर घास उग आई थी। इसलिए रातोंरात 100 ट्रक मिट्टी गिरवाकर रोड बनवाई गई। तब 60 फीट की ऊंचाई पर ये सीन शूट हुआ। इस सीन के लिए 45 दिन तक 200 लोगों ने दिन-रात काम किया था।
बाहुबली सिरीज के लिए पूरा क्रू मेंबर सुबह 3.30 बजे उठकर शूटिंग शुरू कर देता है। ऐसा क्रू ने पांच साल तक किया। हम उठकर लोकेशन के लिए निकल जाते थे। एक घंटे के ट्रैवल के बाद सभी सेट पर पहुंचते थे। कुछ दिनों को छोड़कर बाकी सभी दिन सुबह 6 बजे शूटिंग शुरू हो जाती थी।
फिल्म के युद्ध सीन में टेक्नोलॉजी का जबरदस्त इस्तेमाल किया गया है। हमारे लिए सबसे मुश्किल लास्ट की लड़ाई को शूट करना था। 2 मिनट के सीन की शूटिंग में हमें करीब 100 दिन लग गए थे। इसमें हमने तकनीक का भी बेहतर इस्तेमाल किया है। 10 करोड़ लोगों ने फिल्म का ट्रेलर इसके जारी होने के एक हफ्ते के अंदर देखा था।
माहिष्मति किंगडम में लगे भल्लालदेव के स्टैच्यू का वजन 400 किलो है। इसे करीब 400 लोगों की टीम ने बनाया है। इसे 4 अलग-अलग हिस्सों में तैयार किया गया। जिसमें करीब 1 महीने का समय लगा था। मूवी के क्रू मेंबर्स को भल्लालदेव का स्टैच्यू लगाने का आइडिया ग्रीस के कोलोस्सस ऑफ रोहड्स को देखकर आया था।
युद्ध के समय सेट पर 1500 सैनिक मौजूद थे। लेकिन 3 डी की तकनीक से इन्हें सवा लाख सैनिकों में बदल दिया गया। क्लाइमेक्स का यह सीन भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा क्रोमा सीन है। इसमें एल शेप का ग्रीन पर्दा इस्तेमाल हुआ।
loading...
loading...
 
 

अन्य समाचार