ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल, ऑडियो-विजुअल कंटेंट को सरकार अपने नियंत्रण में क्यों ले रही ?

केंद्र सरकार ने ऑनलाइन न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन ऑडियो-विजुअल कंटेंट प्रोवाइड करने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की निगरानी के दायरे में शामिल कर लिया है। इसका असर यह होगा नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉट स्टार जैसे ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म के कंटेंट पर सरकार की निगरानी रहेगी। केंद्र सरकार ने इस संबंध में बुधवार को नोटिफिकेशन जारी किया है।

इस फैसले के बाद आशंका जताई जा रही है कि इन प्लेटफॉर्म पर चलने वाले कंटेंट पर भी सेंसर की कैंची चल सकती है। दरअसल, इस तरह के प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को लेकर कोई कानून नहीं था। इस वजह से इन प्लेटफॉर्म्स पर आने वाले कंटेंट या फिल्मों को हटाने में सरकार के अधिकार सीमित हो रहे थे।
अदालतों में याचिकाएं दाखिल हो रही थीं और इन प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट की निगरानी की मांग उठ रही थी। केंद्र सरकार के फैसले के बाद अब इस बात पर बहस छिड़ गई है कि OTT प्लेटफॉर्म्स का क्या होगा? एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, OTT प्लेटफॉर्म 2024 तक 28% की सालाना दर से बढ़ेंगे।
आशंका भी जताई जा रही है कि वेब सीरीज या फिल्म पर रोक लगाने का अधिकार भी केंद्र सरकार को मिल जाएगा। नोटिफिकेशन के बाद अब यह कानून बन जाएगा और यह प्लेटफॉर्म सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत रहेंगे। हालांकि, इससे पहले सभी OTT प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत संचालित हो रहे थे, लेकिन किसी तरह का रेगुलेशन नहीं था। एक अनुमान के मुताबिक, OTT प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल को देखते हुए इसका मार्केट रेवेन्यू 2025 के अंत तक 4 हजार करोड़ तक हो सकता है। 2019 के अंत तक भारत में 17 करोड़ लोग ऐसे थे, जो OTT प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे थे।

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