एक वर्ष से अधर में है सेविका चयन जांच का मामला

- संबधित बोर्ड को सत्यापन के लिए भेजा गया है प्रमाणपत्र

- चयन में बड़े पैमाने पर बरती गई अनियमितता
संस,सहरसा: वर्षों के खींचतान के बाद जिले में आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका के चयन की प्रक्रिया प्रारंभ तो हुई, परंतु एक वर्ष बीत जाने के बाद भी सभी केंद्रों के आमसभा को संपन्न नहीं कराया जा सका। जहां आमसभा हुई, वहां से प्राप्त शिकायतों की अबतक जांच पूरी नहीं हुई। पूर्व जिलाधिकारी शैलजा शर्मा ने टीम गठित कर सभी शिकायतों की जांच का आदेश दिया, परंतु इसके निष्पादन की गति काफी सुस्त है। जांच के नाम पर हर दिन तारीखें बढ़ती जा रही है, जिसके कारण लोगों में असंतोष गहरा रहा है। परंतु, जिन केन्द्रों के मामले की जांच चल रही है, उसमें विलंब होने से मामलों के उच्च न्यायालय में जाने की संभावना बढ़ गई है।

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136 चयन मामलों की हो रही है जांच
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जिलाधिकारी व अन्य वरीय अधिकारियों को प्राप्त शिकायतों के आधार पर 136 मामलों की जांच शुरू हुई। इसके लिए संचिका तो खोला गया,परंतु जांच कच्छप गति से चल रहा है। प्रतिदिन प्रमंडलीय आयुक्त से लेकर जिलाधिकारी तक आवेदन पड़ रहा है। आईसीडीएस निदेशक से लेकर जिलाधिकारी तक के निदेश की परवाह किए बगैर मनमाने तरीके से चयन प्रक्रिया को अंजाम गया। अनियमितता के कारण जिले भर में आमसभा के दौरान हंगामा हुआ, कई जगह महिला पर्यवेक्षिकाओं के साथ मारपीट हुई। आमसभा के वीडियो के आधार पर कई पर्यवेक्षिकाओं की भूमिका की भी जांच शुरू हुई थी, वह भी दब गई है। दोबारा हुए आमसभा में अनियमितताओं की सीमा टूट गई। हर जगह आमसभा में हंगामा और मारपीट हुई। इसी तरह वर्ष 2013 में सेविका- सहायिका चयन में वरीय अधिकारियों के सचेत नहीं रहने के कारण पूरे जिले में रुपये और पैरवी का दौड़ चला, जिसके कारण जिला प्रशासन उच्च न्यायालय में डेढ़ सौ से अधिक मामले को झेल रहा है। अगर अभी भी बाल विकास परियोजना और जिला प्रशासन गंभीर नहीं हुआ तो वर्तमान समय में चल रही बहाली भी सिरदर्द बन सकती है।
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एक सौ से अधिक केंद्रों का अभी बाकी है आमसभा
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मैपिग पंजी बनाने,ऑनलाइन आवेदन करने, मेधा सूची बनाने में अनियमितता बरते जाने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर संस्कृत और उर्दू के फर्जी प्रमाणपत्रों का खेल बहाली के नाम पर किया गया। सूत्र बताते हैं कि बहाली की प्रक्रिया प्रारंभ होते ही फर्जी प्रमाणपत्र बनानेवाला गिरोह भी सक्रिय है। इस प्रमाणपत्र का उपयोग कर वास्तविक प्रमाणपत्र वाले आवेदकों को मात देने में लगे हैं। कहीं फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र का उपयोग किया जा रहा है, तो कहीं गलत जाति प्रमाणपत्र के पैसे के भरोसे बहाली की जुगत की जा रही है। ऐसे में चयन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितता की संभावना को इंकार नहीं किया जा सकता है। नियमानुसार ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन करनेवाले आवेदकों को ही मेधा सूची में शामिल किया जाना है,परंतु पैसे और पैरवी के बल पर ऑनलाइन आवेदन नहीं करनेवाले आवेदकों को भी मेधा सूची में शामिल कर लिया गया। ऊपर से आमसभा में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है। दूसरी ओर 416 केन्द्र की सेविका- सहायिका चयन के लिए अबतक तीन सौ के लिए ही आमसभा किया जा सका। जहां आमसभा संपन्न हुआ, उसके शिकायतों की जांच अधर में लटका हुआ है। एक वर्ष से प्रमाणपत्र सत्यापन के नाम पर जांच को टाला जा रहा है।
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चयन मामले में अधिकांश जगहों से प्रमाणपत्रों की शिकायत मिली है। जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए सभी संबंधित बोर्ड को पत्र भेजा गया है, परंतु बोर्ड के जबाव की प्रत्याशा में अबतक जांच पूरी नहीं हुई। शीघ्र ही इसके लिए सभी बोर्ड को दोबारा भेजा गया है। जांच प्रतिवेदन प्राप्त होते ही उचित कार्रवाई की जाएगी। रीता सिन्हा डीपीओ, आईसीडीएस, सहरसा।
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