मनोकामना पूर्ण होने पर दंड प्रणाम देकर घाट पर पहुंची छठ व्रती

संवाद सहयोगी, किशनगंज : छठी मैया की महिमा अपरंपार है। इनकी कृपा मात्र से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और व्रतियों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होते हैं। यही वजह है कि छठ व्रती कठिन नियम का पालन करते हुए पूजा विधि-विधान पूर्वक संपन्न करती हैं। छठ व्रती व श्रद्धालु देवघाट खगड़ा, डेमार्केट घाट, गांधी घाट, गौशाला घाट और बेलवा घाट सहित कई अन्य घाटों पर दंड प्रमाण देते हुए पहुंचे। हालांकि दंड प्रमाण देकर घाट की ओर बढ़ने वाली व्रतियों के सुरक्षा के लिए स्वजन साथ-साथ चल रहे थे। जिससे कि सड़क पर दंड प्रमाण देते समय व्रती सुरक्षित रुप से भगवान सूर्य को प्रणाम करते हुए आगे बढ़ते रहे। ऐसी मान्यता है कि व्रती छठी मईया से प्रार्थना करती हैं कि अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर दंड प्रमाण देते हुए छठ घट पहुंच कर भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देंगे।

मधेपुरा- पूर्णिया के बीच होगा रेल विद्युतीकरण कार्य यह भी पढ़ें
पंडित जगन्नाथ झा ने बताया कि छठ पर्व करने के कुछ कठिन नियम हैं। इसके अंतर्गत व्रतियों को निर्जला उपवास आरामदायक शैय्या को त्यागना होता है। पर्व के दिनों में वर्ती फर्श पर कंबल या चादर बिछाकर रात गुजारती हैं। इसलिए छठ पर्व करने वाली मिला साड़ी और पुरुष धोती पहनते हैं। घर की महिलाएं इस पर्व को तब तक करती हैं। जब तक कि अगली पीढ़ी की विवाहिता महिला पर्व करने के लिए तैयार न हो जाएं। ऐसी मान्यता है कि छठी मईया भगवान सूर्य की बहन हैं। इसलिए व्रती भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर छठी मईया को प्रसन्न करती हैं। छठी मैया संतान सुख प्रदान करने वाली हैं। संतान प्राप्ति और संतान के सुख समृद्धि की कामना के लिए भी छठ पूजा किया जाता है।
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार