देवउठनी एकादशी की तैयारी में जुट गए गांव के लोग

- 25 को है देवउटठनी एकादशी

नवहट्टा (सहरसा) : छठ के बाद गांव के लोग 25 नवंबर को होनेवाले देवउठनी एकादशी की तैयारी में जुट गए हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन तुलसी-शालीग्राम का विवाह होता है और इसी दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
पं. किशोर कुमार झा बताते हैं कि हिदू पंचांग के अनुसार मान्यता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। चतुर्मास एकादशी जुलाई में थी। देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
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पं. राजाराम मिश्र ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रीहरि विष्णु इसी दिन राजा बलि के राज्य से चातुर्मास का विश्राम पूरा कर बैकुंठ लौटे थे। इस एकादशी को देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन तुलसी का विवाह किया जाता है। राजसूय यज्ञ करने से भक्तों को जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, उससे भी अधिक फल इस दिन व्रत करने पर मिलता है। बताया कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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शादियों का मुहुर्त
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देवोत्थान एकादशी पर गांव में कई शादी समारोह होंगे। कोरोना काल में लोग शादी समारोह पर विराम लग गया था। एक बार फिर कोरोना प्रोटोकाल का पालन सख्ती से होने की संभावना है। 25 नवंबर से दिसंबर के बीच काफी कम शुभ मुहूर्त है। नवंबर में जहां 25, 27 और 30 तारीख शुभ है तो दिसंबर में एक, छह, सात, नौ, 10 और 11 तारीख। जनवरी से मार्च तक गुरु और शुक्र दोनों अस्त हैं, इसलिए मुहूर्त नहीं हैं। इस बीच केवल 16 फरवरी को बसंत पंचमी और 15 मार्च को फुलेरा दूज पर अबूझ साया है। इसके बाद 22 अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 तक 46 शुभ मुहूर्त हैं।
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