सरकारी घोषणा पर विभाग फेर रहा पानी

संस, सहरसा: धान की खरीद प्रारंभ करने के लिए हर वर्ष 15 नवंबर तिथि निर्धारित है। इस वर्ष सरकार ने राज्य के किसानों को लाभांवित करने के उद्देश्य से सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 कर दिया है। गत वर्ष की तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य में 53 रूपये की बढ़ोतरी की गई है। सरकार खरीद का लक्ष्य भी लगातार बढ़ाती जा रही है, परंतु समय पर खरीद नहीं हो पाने के कारण कोसी क्षेत्र में इसे कई वर्षों से पूरा नहीं किया जा सका। इस वर्ष भी अबतक धान खरीद के लिए जिला टास्क फोर्स कमेटी की बैठक तक नहीं हो सकी है। गत वर्ष भी इसी तरह काफी देर से खरीद शुरू हुई, जिससे लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका। इस वर्ष भी कमोवेश यही स्थिति बनी हुई है।


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कम कीमत पर बाजार में धान बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं किसान
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न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाए जाने के बावजूद अबतक जिला प्रशासन और सहकारिता विभाग ने इसके लिए कोई तैयारी तक प्रारंभ नहीं किया है। खरीद के लिए लक्ष्य निर्धारित करने और समितियों का चयन हेतु अबतक बैठक तक नहीं बुलाई गई। गत वर्ष भी देर से लक्ष्य निर्धारित किए जाने के कारण खरीद शुरू होने में अकारण विलंब हो गया। जिसके कारण गेहूं की खेती के लिए जरूरत के मारे किसानों ने औने- पौने दाम में धान बेच लिया। जबतक धान की खरीद शुरू हुई, तबतक छोटे और मझोले किसानों का धान बिक चुका था। ऐसे किसान धान के लाभकारी मूल्य से वंचित हो गए। इस वर्ष बाढ़ के कारण यूं ही किसानों का काफी धान बर्बाद हो गया। जिन किसानों को धान है भी समय पर क्रय केंद्र चालू नहीं हो पाने के कारण उन्हें बाजार में कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। अबतक किसान क्रय केंद चालू होने के इंतजार में हैं, परंतु एक सप्ताह के बाद जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान धान बेचने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
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समय पर खरीद नहीं होने से पूरा नहीं होता है लक्ष्य
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गत वर्ष जिले में देर से धान खरीद प्रारंभ होने के कारण छह हजार एमटी की जगह मात्र 39 सौ एमटी धान खरीद हो पाया। अधिकांश किसानों को अपनी जरूरत पूरा करने के लिए औने- पौने कीमत पर दूसरी जगहों पर धान बेचना पड़ा। देर से खरीद होने के कारण चावल जमा होने में भी विलंब हो गया। इस बार भी विभाग धान खरीद के प्रति उदासीन लग रहा है। ऐसे में जिले के धान उत्पादक किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ से वंचित हो सकते हैं। इस वर्ष 72 हजार हैक्टेयर में धान की खेती की गई थी। लगभग चार हैक्टेयर फसल बर्बाद होने के बावजूद शेष उत्पादक किसान धान बेचने के लिए विभाग की राह देख रहे हैं। चूंकि किसानों को धान का भुगतान बीहट कॉ-आपरेटिव बैंक से होता है, और इसमें देर होती है। ऐसी स्थिति में किसान धान बेचने के लिए बहुत इंतजार नहीं कर सकते हैं। इस कारण पुन: लक्ष्य प्रभावित होने की संभावना है।
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देर होने से भुगतान भी होता है प्रभावित
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धान की समय पर,खरीद प्रारंभ नहीं होने से भुगतान में भी देर होती है। इस भय से छोटे और मझोले किसान बाजार में अपना धान बेचने के लिए विवश होते हैं। दिसम्बर के अंत से जनवरी में नमी बढ़ जाने के कारण खरीद प्रभावित हो जाती है। फलस्वरूप सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ भी छोटे और मझोले किसान को नहीं मिलकर बड़े किसानों और जमाखोरों को मिल जाता है। मेहनत मजदूरी कर धान उपजानेवाले किसान का धान माटी के मोल बिक जाता है।
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धान की खरीद के लिए अबतक मुख्यालय से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। उम्मीद है कि जल्द ही निर्देश प्राप्त होगा। निर्देश मिलते ही समितियों का चयन की खरीद तेज कर दिया जाएगा।
सैयद मशरूक आलम
डीसीओ, सहरसा।
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