आठ महीने में 52 हत्या, 36 लूट, 201 अपहरण, 34 लूट और दुष्कर्म की 37 वारदात

सीतामढ़ी। जागरण पड़ताल साल 2020 अब अपने समापन की ओर है, मगर इन 11 महीनों में आम अवाम आपराधिक वारदातों से भय एवं दहशत के आलम में रहा। अभी सिर्फ आठ माह के आंकड़े सामने आए हैं जो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि अपराधी कितने बेखौफ हो गए हैं और पुलिस कितना लाचार-परेशान है। पिछले आठ महीने के आपराधिक ब्योरे पर हम अगर गौर करें तो कलेजा कांप उठता है। इन 11 महीनों में 4429 संज्ञेय अपराध हुए हैं। उनमें हत्या के 52, लूट के 36, चोरी के 405, अपहरण के 201, दुष्कर्म के 37, सड़क लूट के 34 मामले शामिल हैं। पुलिस हालांकि, इस बात को लेकर इत्मिनान है कि इन 11 महीनों में डकैती, फिरौती के लिए अपहरण, रोड डकैती, बैंक डकैती, बैंक लूट की कोई घटना नहीं हुई। हालांकि, इसी महीने परिहार में हफ्तेभर के अंतराल पर डकैती की दो बड़ी घटनाएं हुईं। उनमें 25 लाख से अधिक की संपत्ति लूट ली गई। सोनबरसा थाना क्षेत्र में भी एक व्यवसायी के घर डकैती का प्रयास हुआ। दोनों घटनाओं के दौरान डकैतों ने ताबड़तोड़ कई बम विस्फोट भी किए जिससे सहज ही समझा जा सकता है कि पुलिस को लेकर उनमें कितना भय है। आपराधिक घटनाओं में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। अपराधी घटना को अंजाम देते हैं और आराम से चलते बनते हैं। पुलिस गश्ती की स्थिति बावजूद अपने ढर्रे पर ही रह गई।


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इस साल अगस्त माह तक आपराधिक वारदातों का बयोरा कुल संज्ञेय अपराध हत्या लूट धोखाधड़ी चोरी दंगा अपहरण दुष्कर्म सड़क लूट
जनवरी 554 7 11 11 90 05 28 01 11
फरवरी 521 02 06 08 72 04 37 04 04
मार्च 538 11 06 07 49 02 30 04 06
अप्रैल 372 03 00 08 17 01 10 05 00
मई 461 05 02 10 15 05 21 04 02
जून 669 09 05 24 42 02 30 04 05
जुलाई 635 07 02 17 60 07 21 10 02
अगस्त 679 08 04 16 60 06 24 05 04
कुल 4429 52 36 101 405 32 201 37 34 लॉकडाउन में मशहूर कारोबारी प्रभास हिसारिया की हत्या ने खोली पुलिस की चुस्ती की पोल
मई महीने में लॉकडाउन के दौरान उत्तर बिहार के मशहूर कारोबारी प्रभास हिसारिया हत्याकांड ने सबको हिलाकर रख दिया. इस घटना ने पुलिस की चुस्ती की पोल खोलकर रख दी। इस केस के उदभेदन के लिए तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय को पहुंचना पड़ा। उनके कैंप करने के बाद पुलिस ने हालांकि इस केस को सॉल्व भी किया। सीतामढ़ी के नगर थाना क्षेत्र के लोहा पट्टी इलाके में 20 मई को शहर के भीड़-भाड़ इलाके में बदमाशों ने प्रभास हिसारिया की गोली मार हत्या कर दी। तीन की संख्या में रहे नकाबपोश बदमाशों ने शहर के मशहूर व्यवसायी को निशाना बनाते हुए गोलियों से भून दिया. इस पूरी वारदात की तस्वीर सीसीटीवी में कैद हो गई। सितंबर माह में एडवोकेट क्लर्क की अपराधियों ने गोली मारी हत्या कर दी। बथनाहा थाना क्षेत्र के किशनपुर गांव के रहने वाले थे। उससे पहले अपराधियों ने सीएसपी संचालक की गोली मारकर हत्या कर दी और 5 लाख रुपए लूटकर फरार हो गए। 28 अगस्त को यह घटना रीगा थाने के गणेशपुर बभनगामा के समीप हुई। ----------------------------------------
बदलते दौर में पुलिस को भी खुद को बदलने की जरूरत
शहर के युवा वर्ग से लेकर बड़े-बुजुर्ग सबका यहीं कहना है कि बदलते दौर में पुलिस को भी खुद को बदलने की जरूरत है। पुलिस विभाग में जांच अधिकारियों को बदलते परिवेश और आपराधिक परि²श्य के कारण बेहद प्रशिक्षण की जरूरत है। पुलिस सुधार के लिए आवश्यकता, चुनौतियां एवं समाधान पर काम करना होगा। पुलिस व्यवस्था को आज नई दिशा, नई सोच और नए आयाम की आवश्यकता है। बिहार में वैसे भी पुलिस की छवि तानाशाहीपूर्ण, जनता के साथ मित्रवत न होना और अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने की रही है। रो•ा ऐसे अनेक किस्से सुनने-पढ़ने और देखने को मिलते हैं, जिनमें पुलिस द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है। पुलिस का नाम लेते ही प्रताड़ना, क्रूरता, अमानवीय व्यवहार, रौब, उगाही, रिश्वत आदि जैसे शब्द दिमाग में कौंध जाते हैं। जिस पुलिस को आम आदमी का दोस्त होना चाहिए, वही आम आदमी पुलिस का नाम सुनते ही सिहर जाता है और यथासंभव पुलिस के चक्कर में न पड़ने का प्रयास करता है। इसीलिए शायद भारतीय समाज में यह कहावत प्रचलित है कि पुलिस वालों की न दोस्ती अच्छी और न दुश्मनी। उधर, पुलिस कर्मी अपनी वर्तमान स्थिति के पीछे खुद को ही दोषी मान रहे हैं। वरिष्ठता को नजर अंदाज कर तैनाती मिलने, पदोन्नति अटकी होने, आर्थिक व अन्य तरीकों से शोषित होने की लाचारी से सिपाही से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक दो चार हैं।
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