मनमाने ढंग से वितरित की जा रही है प्रतिपूर्ति की राशि

संवाद सूत्र, सहरसा: जिले में शिक्षा विभाग अपने कारनामा से हर हमेशा सुर्खियों में रहा है। चाहे वह प्रयोगशाला उपकरण खरीद का मामला हो या फर्जी कागजात पर नियुक्ति का। जिले में प्रस्वीकृत निजी विद्यालयों को बच्चों को नि:शुल्क 12-1 सी के अंतर्गत 25 प्रतिशत नामांकित बच्चों के लिए वित्तीय वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 हेतु प्रतिपूर्ति की राशि राज्य सरकार से एक वर्ष पहले ही विमुक्त कर दी गयी। सर्व शिक्षा अभियान ने लेखा योजना को करीब 3.5 करोड़ रूपये मार्च 2019 में ही उपलब्ध करा दी थी। लेकिन लेखा योजना के डीपीओ व कर्मियों के कारण इसके भुगतान में अब तक विलंब ही हो रहा है। निजी स्कूल के संचालकों ने कई बार शिक्षा अधिकारी सहित जिलाधिकारी को पत्र लिखकर लंबित शिक्षा के अधिकार के प्रतिपूर्ति की राशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। लेकिन विभागीय स्तर पर कुछ खास को ही प्रतिपूर्ति की राशि दी जा रही है। प्राइवेट स्कूल शिक्षक संघ ने भी कई बार आपत्ति जताते हुए कहा कि आखिर क्या कारण है कि विभाग किसी विद्यालय को राशि उपलब्ध करा रही है और किसी को नहीं। इधर कई निजी संचालकों ने रोषपूर्ण स्वर में कहा कि सरकार की राशि आने के बाद विभाग में जानबूझकर फाइल को लटका दिया जाता है। इसकी जांच जरूरी है। विलंब के कारण का कोई औचित्य नहीं रहने पर संबंधित अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। जिससे पारदर्शिता बनी रहे। विभागीय सूत्रों की मानें तो प्रतिपूर्ति की राशि करीब एक करोड़ रूपये से अधिक वितरित की जा चुकी है। लेकिन अब भी करीब डेढ़ करोड़ से अधिक राशि बची हुई है। इस संबंध में यह बात उल्लेखनीय है कि बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी लालिमा ने कई बार जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को पत्र लिखकर प्रस्वीकृत निजी विद्यालयों से संबंधित वितरित की गयी प्रतिपूर्ति की राशि का ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इसके बाद भी अब तक इसकी उपयोगिता नहीं दी गयी है। विभाग की मानें तो अगर योजना एवं लेखा द्वारा प्रतिपूर्ति राशि की उपयोगिता नहीं दी गयी तो अगला आवंटन पर रोक लग जाएगी। इससे निजी स्कूलों का ही नुकसान होगा।

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कई बार दिया गया स्मार पत्र
राज्य सरकार के निर्देश के बाद सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ जियाउल होदा खां ने तीन-तीन बार स्मार पत्र डीपीओ योजना एवं लेखा को भेजा है। इसके बाद भी डीपीओ योजना एवं लेखा ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट नहीं दी है। इसी से पता चलता है कि डीपीओ अपने कार्य के प्रति कितने सजग है। इधर इस बाबत पूछे जाने पर योजना एवं लेखा के डीपीओ सुनील कुमार ने बताया कि इसकी समीक्षा की जा रही है कि कितने विद्यालयों के बीच कितनी राशि का वितरण किया गया है।
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आवंटन के बाद भी प्रस्वीकृत निजी विद्यालय को अब तक लंबित कितने वर्षों की प्रतिपूर्ति राशि दी गयी है। इसकी जांच होगी और सभी निजी विद्यालयों को प्रतिपूर्ति राशि दी जाएगी। पैसे की कोई कमी नहीं है।
जयशंकर प्रसाद ठाकुर, जिला शिक्षा पदाधिकारी
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