जन-जागरुकता ही एड्स से बचाव का एक मात्र तरीका



राकेश मिश्रा, अररिया: एड्स एक संक्रामक बीमारी है। जो एचआईवी ह्यूमन इम्यूनो डिफिसिएंशी नामक वायरस से फैलता है। यह बीमारी मानव शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। यह असुरक्षित यौन संबंध, पहले से ही वायरस के संक्रमण में आने वाली सुईयों के उपयोग, स्वस्थ व्यक्ति को किसी संक्रमित व्यक्ति का ब्लड चढ़ाने व संक्रमित माता-पिता से उनके बच्चों में फैलता है। अब तक इसका कोई इलाज नहीं है। लिहाजा जन जागरूकता ही इसे नियंत्रित करने के महत्वपूर्ण उपायों में से एक है। प्रति वर्ष आज के दिन ही विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष एड्स दिवस का थीम ''''वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी'''' रखा गया है।

पिछले 17 वर्षो में 1013 लोग हुए एड्स के शिकार- जिले के पिछले 17 वर्ष के आंकड़ों पर गौर करे तो अब तक 1013 लोग इस वायरस के शिकार हो चुके है। हालांकि ये केवल आधिकारिक आंकड़े है। सूत्रों की मानें तो जिले में हजारों परिवारों की तादाद ऐसी है जो लोक लाज की वजह से इस बीमारी को छुपा कर असमय काल- कलवित हो चुके है। इसमें से अधिकांश ऐसे लोग है जो मजदूर वर्ग के है और अपने राज्य से बाहर महानगर में रोजगार कर रहे है। वापसी में वो अपने साथ इस वायरस को भी साथ ले आये थे जिस कारण उनका परिवार भी इस खतरनाक वायरस का शिकार हो गया। जानकारी देते हुए सीएस रूपनारायण ने बताया कि लोग सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रख इस बीमारी से बच सकते है और अगर कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो गया है तो उसे इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी चाहिए ताकि वो खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें। जिले में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष एड्स संबंधी मामलों में आयी है कमी -
जन-जागरूकता ही एड्स से बचाव का एकमात्र जरिया है। लिहाजा रोग के प्रति आम जिलावासियों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग व जिला एड्स बचाव व नियंत्रण इकाई अररिया के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए डीएपीसीयू के डीपीएम अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि जागरूकता को लेकर संचालित विभिन्न गतिविधियों के कारण जिले में एड्स के मामलों में लगातार कमी देखी जा रही है। वर्ष 2003 से लेकर अक्टूबर 2020 तक जिले में एड्स के कुल 1013 मामले सामने आये हैं। बीते वर्ष 2019 में जहां जिले में एड्स के कुल 103 मामले सामने आये थे। तो इस वर्ष 2020 में अब तक रोग के महज 70 मामले ही सामने आये हैं।
एड्स रोग के लिए हेल्पलाइन नंबर व ऐप है कारगार-
एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने व इस संबंध में समुचित जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1097 जारी किया गया है। इसके माध्यम से एड्स होने के कारण व इससे बचाव से संबंधित जरूरी जानकारियों के साथ-साथ एड्स संबंधी जांच व इसके इलाज के लिए उपलब्ध सुविधाओं से जुड़ी जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही हम साथी मोबाइल एड्स रोगियों के लिए संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजना व बच्चों को संक्रमित मां से होने वाले संक्रमण के खतरों से संबंधित जरूरी जानकारी भी जुटाई जा सकती है। जिला स्तर पर भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय- समय पर जागरूकता कार्यक्रम चलाकर एड्स रोग से बचाव की जानकारी साझा की जाती है ताकि अधिक से अधिक लोग इस संक्रमण के विषय में जानकर खुद को और परिवार को इससे सुरक्षित रख सकें।
स्वास्थ्य विभाग करता है आर्थिक मदद- डीपीएम अखिलेश कुमार ने बताया कि एड्स पीड़ितों के संचालित बिहार एड्स पीड़ित शताब्दी योजना के तहत पीड़ितों को 1500 रुपये प्रति माह व परवरिश योजना के तहत जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा 0 से 18 साल तक के बच्चों को 1000 हजार रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने का प्रावधान है। ताकि एड्स पीड़ित व्यक्ति या परिवार को इलाज के लिए उत्साहित किया जा सकें। इसके अलावा कई संस्थाओं द्वारा भी ऐसे रोगियों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराया जाता है।
रोग को लेकर समाज में फैली भ्रांतियां बनती है बाधक-
एड्स को लेकर समाज में आज भी कई तरह की भ्रांतियां मौजूद हैं। इसे लेकर लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। जानकारी देते हुए सीएस ने बताया कि एड्स एक साथ खाने-पीने, एक ही शौचालय के उपयोग, किसी जानवर, मक्खी या मच्छर के काटने खांसने व छींकने से नहीं फैलता है। संक्रमित होने के बावजूद भी व्यक्ति आमतौर पर सामान्य रूप से अपना जीवन यापन कर सकते हैं। उनके साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिये। वहीं लगातार बुखार व खांसी रहना, वजन का तेजी से गिरावट, मुंह में घाव निकल आना, त्वचा पर खुजली वाले चकते उभरना, सिरदर्द, थकान, भूख नहीं लगना रोग के सामान्य लक्षणों में शुमार है। सभी पीएचसी और सदर अस्पताल में है निशुल्क गोपनीय जांच की व्यवस्था- एड्स को लेकर आम लोग बहुत हद तक जागरूक हुए हैं। डीपीएम डीएपीसीयू ने बताया कि लोग स्वत: भी जांच को तरजीह दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवजात में संक्रमण के खतरों को कम करने के लिये गर्भवती महिलाओं का जांच जरूरी है। इस मामले में वर्ष 2019-20 में अररिया राज्य के अन्य जिलों की तुलना में अव्वल रहा है। सभी पीएचसी,सदर अस्पताल में एड्स जांच के नि:शुल्क इंतजाम उपलब्ध हैं। जांच के नतीजों को पूरी तरह गोपनीय रखने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि विश्व एड्स दिवस के मौके पर सदर अस्पताल परिसर से जागरूकता रैली निकाली जायेगी। रैली में एनवाईके के स्वयंसेवक सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी शामिल होंगे। सभी आईसीटीसी केंद्र व एसटीडी को सजाया जायेगा। जागरूकता संबंधी बैनर-पोस्टर व रेड रिबन लगाये जायेंगे। हिम्मत के बल पर खुद को ही नही परिवार को भी किया सुरक्षित- जिले के फारबिसगंज अनुमंडल निवासी एक व्यक्ति वर्ष 2004 में दिल्ली से वापस अररिया आया था। वापस आने के क्रम में उसे ते•ा बुखार, शरीर मे खुजली, घाव के निशान, सरदर्द, थकान, भूख न लगने के लक्षण जाहिर होने लगे। अनुमंडल अस्पताल के निकट उसने एड्स से बचाव सम्बन्धी बैनर देखा। घर आकर पत्नी से अपने शक को जाहिर किया। परिवार ने पूरा सहयोग कर जांच कराया तो पता चला कि वो एचआईवी संक्रमित है। दिल्ली के एक झोला छाप डॉक्टर से इलाज कराने के क्रम में वो एक हुई सुई के दोबारा इस्तेमाल के कारण इस वायरस के चपेट में आ गया। व्यक्ति और परिवार ने स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के अनुसार अपना इलाज कराया। आज इस घटना को 16 वर्ष बीत गए। व्यक्ति अपने पूरे परिवार के साथ हंसी खुशी जिदगी बीता रहा है। उसने अपने आत्मविश्वास और परिवार के सहयोग के कारण न केवल खुद को बचाया बल्कि अपने परिवार को भी सुरक्षित किया।
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