कर्ज के बोझ तले दबे जा रहे किसान, घाटे का सौदा बनता जा रहा किसानी

संवाद सूत्र, छातापुर (सुपौल): प्रखंड क्षेत्र में खाद-बीज विक्रेताओं की मनमानी किसानों पर भारी पड़ रही है। गेहूं, आलू सहित अन्य फसल की बोआई के मद्देनजर खाद-बीज विक्रेताओं ने खाद की मनमानी रकम की वसूली शुरू कर दी है। प्रशासन द्वारा किसान हितों को लेकर किए जा रहे सारे दावे बेअसर नजर आ रहे हैं। खाद-बीज विक्रेताओं पर नकेल कसने की बजाए प्रशासन बेफिक्र बना है। यूरिया, डीएपी को लेकर अनुमंडल क्षेत्र में अफरा-तफरी मची है। प्रशासन भले ही किसानों को समितियों के माध्यम से पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध कराने के बंदोबस्त में जुटा हो। लेकिन खाद-बीज विक्रेता इससे बेफिक्र हो यूरिया, डीएपी की कालाबाजारी में जुटे हैं। खाद-बीज विक्रेताओं द्वारा किसानों को महंगे दर पर यूरिया उपलब्ध कराई जा रही है। किसान जयनंदन यादव, चन्देश्वरी यादव, मनोज हजारी, बिन्देश्वरी यादव आदि ने बताया कि यूरिया की किल्लत से खेती को लेकर संकट उत्पन्न हो गया है। किसानों का आरोप है कि बाजार में ऊंचे व मनमाने कीमत पर यूरिया बेचा जा रहा है। किसान कर्ज लेकर ऊंचे दाम पर यूरिया खरीदने को विवश हैं। वह भी सीधे तौर पर मिल पाना मुश्किल है। जहां किसान महंगे दामों पर खाद-बीज खरीदकर खेती करने को मजबूर हैं वहीं उनके फसल का सही दाम नहीं मिल पाता है। जिसके चलते किसान कर्ज के बोझ तले दबे जा रहे है। जिससे किसानी घाटे का सौदा बनता जा रहा है।


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नहीं हो रही मॉनिटरिग
लाइसेंस प्राप्त प्राप्त दुकानों के समक्ष खाद का स्टॉक व दर सूचना बोर्ड में अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करना है। प्रखंडों में बीएओ को इसकी निगरानी करनी है। लेकिन बाजार, ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी सही ढंग से नहीं हो रही है। निगरानी के नाम पर खानापूर्ति होती है।
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निष्क्रिय हुई निगरानी समिति
किसानों को सुगमता से उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए गठित प्रखंड की उर्वरक निगरानी समिति निष्क्रिय है। प्रखंड में पदाधिकारी गठित समिति में है। जिन्हें उर्वरकों की बिक्री, मूल्य, वितरण व्यवस्था व गुणवत्ता पर निगरानी रखनी है।
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