एक नजर की पहली फाइल

करजाईन बाजार, (सुपौल): बसंतपुर प्रखंड के अग्रणी पैक्स में शुमार रतनपुर पैक्स में धान की खरीद का विधिवत शुभारंभ 8 दिसंबर से कर दिया जाएगा। यह जानकारी मिलने के बाद किसानों में भी खुशी देखी जा रही है। रतनपुर पैक्स के अध्यक्ष जागेश्वर मेहता एवं प्रबंधक संतोष मेहता ने बताया कि पैक्स के माध्यम से धान खरीद की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराई गई है। बिहार स्टेट कॉपरेटिव की तरफ से पैक्स को सीसी उपलब्ध करा दिया गया है। अब मंगलवार से अधिकारियों की उपस्थिति में धान खरीद का शुभारंभ किया जाएगा।

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समस्याओं का नहीं हो पा रहा निदान
मरौना,(सुपौल): कोसी नदी से बचाव के लिए बने दोनों तटबंध के बीच बसे दर्जनों गांव के लोगों की मुसीबत सिर्फ बाढ़ के समय ही नहीं रहती बल्कि यहां समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। हालांकि बाढ़ के समय की परेशानी काफी घबराने वाली होती है। यहां बसे लोगों की यात्रा तो हमेशा नाव से ही होती है। न यहां सड़क, बिजली, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं है और न ही स्थाई कोई गांव एक जगह बना रहता है। हर साल कोसी के तांडव से कोई न कोई गांव एक जगह से उजड़ता है और दूसरी जगह बसता है। लेकिन आज तक इस समस्या से निदान दिलाने को आगे नहीं आया है।
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लोगों को नहीं उपलब्ध हो रहा शुद्ध पेयजल
मरौना,(सुपौल): तिलयुगा व कोसी जैसी नदियों से घिरे होने के कारण निर्मली अनुमंडल क्षेत्र में पानी की कमी नहीं है। परंतु लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है। इस क्षेत्र के अधिकांश जलश्रोतों में आयरन, आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रोजन आदि हानिकारक तत्वों की प्रचूरता है। लोग शुद्ध पेयजल के अभाव के कारण इसी दूषित जल का उपयोग कर रहे हैं। वहीं विभागीय स्तर पर लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की योजना सिर्फ पंजियों पर सही रूप में चल रही है। पीएचइडी विभाग द्वारा क्षेत्र में लगाए गए आयरन रिमूवल प्लाट बेकार हो चुके हैं। वहीं पंचायत स्तर पर जलापूर्ति योजना के तहत लगाए गए मिनी जलापूर्ति प्लाट का भी बुरा हाल है। जो लोगों के लिए सिर्फ हाथी का दांत ही साबित हो रहा है।
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बदहाल बना बस पड़ाव
छातापुर, (सुपौल): बस पड़ाव में जलजमाव एवं बदबू से यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ती है। बस पड़ाव के सामने सड़कों पर नाले का पानी सालों भर बहता है जो पड़ाव को नारकीय बना रहा है। वहीं यात्री बसों व छोटे वाहनों के कारण दिन भर यहां सड़क जाम की समस्या बनी रहती है। साफ-सफाई के अभाव में यहां दस मिनट रुककर इंतजार करना तो दूर इस ओर से जाने वाले यात्री एवं राहगीर भी नाक पर रूमाल रखकर गुजरते हैं। शौचालय की बात कौन कहे महिला यात्रियों के लिए प्रसाधन तक नहीं है। महिला यात्रियों को यहां काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है।
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स्कूल को नहीं हो सका अपना भवन
लौकहा बाजार, (सुपौल): सदर प्रखंड के अमहा गांव में प्राथमिक विद्यालय अमहा अनुसूचित जाति टोला को आज तक जमीन नहीं मिल पाया है। एक सामुदायिक भवन में विद्यालय का पठन-पाठन कार्य संचालित होता है। जहां बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं वहीं पर ग्रामीणों द्वारा गाय-भैस भी बांध कर रखा जाता है।
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चिकित्सक की मांग
लौकहा बाजार, (सुपौल): सदर प्रखंड अंतर्गत लौकहा बाजार स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। इस स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत लगभग दस गांव लगभग सुदूर ग्रामीण इलाके के आते हैं। जो दो चिकित्सक के भरोसे ही चल रहा है। इतना ही नहीं पीएचसी में एक भी महिला चिकित्सक नहीं हैं। महिला चिकित्सक नहीं रहने के कारण गर्भवती महिला का इलाज व प्रसव एएनएम के ही भरोसे किया जाता है। ग्रामीणों ने यहां चिकित्सक के प्रतिनियुक्ति की मांग की है।
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