विकास के नाम पर टीस है रूपौली उत्तर का अनुसूचित जाति टोला

पूर्णिया। रूपौली उत्तर पंचायत के वार्ड 08 स्थित अनुसूचित जाति टोला के लोग विकास की बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यहां के ग्रामीण आपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। इस अनुसूचित जाति टोला की बदहाली एवं फटेहाली नेताओं व जनप्रतिनिधियों के तमाम दावों को झूठलाने के लिए काफी है। यहां करीब तीन सौ की आबादी बस्ती है। दैनिक मजदूरी कर लोग अपना व परिवार का पेट पालते हैं। आवास योजना हो या फिर शौचालय, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना हो या फिर मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना, एक भी योजना का सही लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल सका है।


अपनी बस्ती तक पहुंचने के लिए एक अदद संपर्क पथ के लिए वर्षों से यहां के ग्रामीण टकटकी लगाए हुए हैं। बिरेंद्र ऋषि, दीनू ऋषि, जग्गन ऋषि, सदानंद ऋषि व अन्य टोलावासियों ने बताया कि मुख्य सड़क से उनलोगों के टोला तक आने-जाने के लिए एक अदद पहुंच पथ भी नहीं है। एक जीर्ण शीर्ण नाला होकर बस्ती के ग्रामीण आते-जाते हैं। पुराने नाले के समीप गड्ढे हैं जो वर्षाकाल में स्थिति नारकीय हो जाती है। चुटुर ऋषि, सिंहेश्वर ऋषि , सुरेन्द्र ऋषि, इन्दल ऋषि, मुन्ना ऋषिदेव, डब्ल्यू ऋषिदेव ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े जनप्रतिनिधि भी उनलोगों की समस्यायों से बेपरवाह व उदासीन बने हुए हैं।
बताया कि वह योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर लोगों को समय समय पर चूना भी लगाया जाता रहा है। जहां-तहां नजर आ रहे आधे-अधूरे आवास विकास की पोल खोल रहे हैं। जॉब कार्ड एवं रोजगार से वंचित मजदूर, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के लाभ से वंचित महिलाएं व वृद्ध जन सभी अपनी ही विवशता पर आंसू बहाने को विवश हैं। यही वजह है कि अधिकतर लोग रोजगार के अभाव में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में पलायन करते रहते हैं। बस्ती की अधिकांश आबादी निरक्षरता का दंश झेल रही है। इस अनुसूचित जाति टोला में पंचायती राज व्यवस्था महात्मा गांधी के सपनों से कोसों दूर चली गई है। बोले पांच वर्ष के कालखंड में विकास के क्रियाकलापों की अगर जांच-पड़ताल ईमानदारी से हो तो चौंकानेवाले परिणाम सामने आ सकते हैं। गोनर ऋषिदेव, हरि ऋषिदेव, डोमी ऋषि ने बताया कि गरीब सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का वास्तविक हकदार होते हैं, वे पीछे हैं तथा योजना का लाभ पैसे वालों को मिल जा रहा है।
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