अभियंता व पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई का अनुरोध

जागरण संवाददाता, सुपौल : सरकार के भ्रष्टाचार की जीरो टॉलरेंस नीति का ग्रामीण कार्य विभाग में धज्जियां उड़ाने का एक मामला सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने राज्य के निलंबित 2250 संवेदकों द्वारा पिछले एक वर्षो से अरबों रुपये के सड़क निर्माण कार्य के निविदा में भाग लेकर कार्य करने का एक रोचक मामले को उजागर किया है। मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, निगरानी विभाग एवं ग्रामीण कार्य विभाग सहित सभी वरीय पदाधिकारियों को पत्र लिखकर अवैध एवं गैरकानूनी तरीके में संपन्न निविदा को रद्द करते हुए दोषी अभियंता एवं पदाधिकारियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई का अनुरोध किया है।

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विभाग ने 2250 संवेदकों के निबंधन को किया निलंबित
ग्रामीण कार्य विभाग बिहार पटना के कार्यकाल आदेश 376 दिनांक 28-11-2019 के द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग बिहार पटना के अधीन ठीकेदारी निबंधन नियमावली 2007 के आलोक में राज्य के सभी संवेदकों को 15 मार्च 2019 तक अनिवार्य रूप से नई ऑनलाइन प्रणाली पर अपने-अपने निबंधन को दर्ज करने का आदेश दिया गया। विभाग की ओर से अंतिम तिथि बढ़ाते हुए 31 मई 2019, पुन: 30 जून 2019, पुन: 31 जुलाई 2019, पुन: 31 अगस्त 2019, पुन: 30 सितंबर, पुन: 31 अक्टूबर 2019 एवं अंतिम रूप से 10 नवंबर 2019 तक बढ़ाई गई।
विभाग में सभी संवेदकों को 8 बार तिथि निर्धारित करते हुए संवेदकों को मौका दिया गया लेकिन राज्य के 2250 संवेदक ने विभाग के आदेश का पालन नहीं किया। ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता प्रमुख प्रवीण कुमार ठाकुर के हस्ताक्षर से राज्य में 2250 संवेदकों के निबंधन को अगले आदेश तक के लिए निलंबित कर दिया गया।
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विभाग ने एक वर्ष बाद 788 संवेदक को निलंबन से किया मुक्त
विभाग के द्वारा निलंबित किये गए राज्य के 2250 संवेदकों में से 788 संवेदक ने 26 नवम्बर 2020 तक अपने-अपने निबंधन को ऑनलाइन प्रणाली पर दर्ज किया। ग्रामीण कार्य विभाग ने कार्यालय आदेश 236 दिनांक 02-12-2020 के द्वारा निलंबित 2250 में से 788 संवेदक का निबंधन को निलंबन से मुक्त कर दिया है। अभी भी राज्य के 1462 संवेदक का निबंधन निलंबित है।
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