सुखी जीवन के लिए छोटा परिवार जरूरी: अर्पणा

अररिया। सुखी व समृद्ध जीवन के लिये परिवार का छोटा आकार होना जरूरी है। हमारे समाज में छोटा परिवार को सुखी परिवार इसलिए कहा जाता है कि एक परिवार में लोगों की कम संख्या होने के कारण बच्चों का पालन-पोषण भोजन, कपड़ा व अन्य सुख-सुविधाओं को पूरा करना आसान होता है। पहले के समय एक ही छत के नीचे कई पीढ़ी व परिवार के लोग एक साथ रहते थे। जनसंख्या कम थी और जरूरी संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे। लेकिन बदलते समय के साथ लोगों की जरूरतें बढ़ती गयी। इसके साथ ही जरूरी संसाधन की समस्या भी खड़ी होने लगी है। छोटा परिवार होने से परिवार के सभी सदस्यों की जरूरतों को पूरा करना आसान होता है। आज के दौर परिवार के आकार को छोटा रखने के लिये कई स्थायी व अस्थायी उपाय मौजूद हैं। लेकिन इसे लेकर लोगों में आज भी जागरूकता की कमी है।ये कहना है डीटीएल अपर्णा भारती का। वे गुरुवार को सदर अस्पताल में बने परामर्श केंद्र में महिलाओं को परिवार नियोजन के लिए जागरूक कर रही थी। दरअसल सदर अस्पताल में परिवार नियोजन परामर्श केंद्र का संचालन गुरुवार से किया जा रहा है। ताकि लोगों को परिवार नियोजन के विभिन्न उपायों के प्रति जागरूक किया जा सके। साथ ही लोग अपने पसंद व सहुलियत के मुताबिक इन संसाधनों को उपयोग के लिए प्रेरित किया जा सके। सदर अस्पताल में बने परामर्श केंद्र में जागरूकता के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। कार्यरत काउंसलर द्वारा महिलाओं की काउंसलिग कर उन्हें बेहतर मार्गदर्शन दिया जा रहा है।


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मां व बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से नियोजन जरूरी-
परिवार नियोजन परामर्श केंद्र के संचालन से जुड़ी जानकारी देते हुए केयर इंडिया की डीटीएल अपर्णा चक्रवती ने कहा कि परिवार की खुशहाली के लिए इसका छोटा आकार होना जरूरी है। बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से भी यह खासा महत्वपूर्ण है। परिवार नियोजन के उपायों पर अमल करने से मां व शिशु की सेहत में सुधार होता है। जो स्वास्थ्य ढ़ांचे का अनिवार्य हिस्सा है। इससे बच्चों के बीच जन्म अंतराल रखने व गर्भनिरोध में भी मदद मिलती है। कुपोषण घटाने, घर के खर्च को नियंत्रित करने व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के मामलों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका साबित हो चुकी है। लोगों को जागरूक करना है उद्देश्य
परिवार नियोजन परामर्श केंद्र के संचालन से जुड़ी जानकारी देते हुए फैमली प्लानिग कार्डिनेटर अविनाश कुमार ने बताया कि परिवार नियोजन के विभिन्न उपायों को लेकर आज भी जिले की अधिकांश आबादी में जागरूकता की कमी है। लोग आज भी बंध्याकरण को ही परिवार नियोजन का एक मात्र उपाय मानते है।जबकि ऐसा नहीं है. परिवार नियोजन के लिये आज कई स्थायी व अस्थायी साधन उपलब्ध हैं। जिसके उपयोग से बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने, अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने में मददगार है। माला एन, ओसी पिल्स, कोंडोम, अंतरा व कॉपर टी का नाम इसमें शामिल है। जिसके उपयोग परिवार नियोजन के लिहाज से सुरक्षित व उपयोगी है।
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