25 शिक्षकों के भरोसे हो रही आठ हजार छात्रों का भविष्य संवारने की कवायद



सहरसा। कॉलेजों की शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल बनी हुई है। भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय अंतर्गत अंगीभूत महाविद्यालयों में पढ़ाई कम परीक्षा ज्यादा होती हैं। महाविद्यालय की परीक्षा के अलावा पूरे देश भर में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी इन्हीं महाविद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जाता है जिससे कॉलेज का पठन पाठन प्राय: ठप ही रहता है। फिलहाल इन दिनों अभी कॉलेजों में स्नातक तृतीय खंड की परीक्षा चल रही है। दो पालियों में होने वाली परीक्षा को लेकर कॉलेज में शिक्षण कार्य पूरी तरह ठप है। छात्राओं के लिए शहर में एकमात्र रमेश झा महिला महाविद्यालय भी इससे अछूता नहीं है। इस कॉलेज में सृजित पदों के विरुद्ध 13 शिक्षकों की कमी है।

वर्ष 1972 में स्थापित रमेश झा महिला महाविद्यालय में 25 शिक्षक कार्यरत हैं। इस महाविद्यालय में कई मुख्य विषयों में मात्र एक-एक शिक्षक ही है जबकि इन विषयों में नामांकित छात्राओं की संख्या 100 से अधिक है। ऐसे में एक शिक्षक के भरोसे छात्राओं की पढ़ाई कैसे पूरी होती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इस कॉलेज में छात्राओं की संख्या करीब 8000 है। इंटर व स्नातक प्रतिष्ठा की पढ़ाई यहां होती है। लड़कियों के लिए इस कॉलेज में शौचालय की कमी नहीं है। करीब 30 शौचालय है और पानी पीने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कॉलेज परिसर में है। इतिहास विभाग की प्राध्यापिका डॉ. अंजना पाठक कहती है कि कॉलेज में नियमित रूप से शिक्षक आते हैं और छात्राओं की कम उपस्थिति पर भी उनकी कक्षाएं संचालित की जाती हैं। ऑनलाइन क्लास भी होता है। वहीं गणित के प्राध्यापक डॉ. नरेश कुमार कहते हैं कि कोरोना काल में आनलाइन क्लास में ज्यादा संख्या में लड़कियां जुड़ती हैं और नियमित पढ़ाई करायी जा रही है। कॉलेज में छात्राएं कम ही संख्या में नजर आई। परीक्षा चल रही थी। लड़कियों के लिए बने कॉमन रूम पर ताला लटका हुआ था। कॉलेज में हर वर्ष एक फरवरी को वार्षिक खेलकूद का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा विश्वविद्यालय खेल कैलेंडर अनुसार खेल होता है।
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वनस्पति विज्ञान में नहीं हैं शिक्षक
इस कॉलेज में पिछले एक वर्ष से वनस्पति विज्ञान में एक भी शिक्षक नहीं है। जिस कारण छात्राओं को अध्ययन में काफी परेशानी होती है। छात्राओं को बाहर के शिक्षकों से मदद लेनी पड़ती है। यह हाल साहित्य का भी है। हिदी, संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू में भी एक-एक शिक्षक हैं। हिदी में सबसे अधिक छात्राएं आनर्स पढ़ती है लेकिन शिक्षक एक है। 168 छात्राएं आनर्स में नामांकित हैं।
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18 विषयों के लिए 54 शिक्षकों की है जरूरत
रमेश झा महिला महाविद्यालय में 18 विषयों की पढ़ाई होती है। विषय के हिसाब से कम से कम एक विषय में तीन-तीन शिक्षक की जरूरत होती है। इस हिसाब से 54 शिक्षकों की जरूरत होती है। लेकिन कॉलेज में मात्र 25 शिक्षक ही कार्यरत है। हर वर्ष एक- दो रिटायर ही करते हैं और हर वर्ष शिक्षकों की कमी बढ़ती जाती है।
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लाइब्रेरी में रहती है पुस्तकें
लाइब्रेरी में पुस्तकें तो रहती है। लेकिन कम ही संख्या में छात्राएं इसका उपयोग कर पाती हैं। एक तो कॉलेज इस वर्ष कोरोना काल में बंद ही रहा है। मार्च 20 से कॉलेज में पठन पाठन पूरी तरह ठप रहा। अक्टूबर 20 से विश्वविद्यालय से निर्देश मिलने के बाद कॉलेज प्रशासन आधा कर्मचारियों व शिक्षकों के साथ एक तिहाई छात्राओं को पढ़ाने के लिए कॉलेज बुलाना शुरू किया लेकिन छात्राएं कालेज नहीं आयी और वर्ग कक्षा का संचालन पूरी तरह नहीं हो पाया है। कोरोना के डर से छात्राएं एवं उसके अभिभावक कॉलेज से आने की मनाही करते रहे।
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नहीं है सुरक्षा गार्ड
लड़कियों के इस कॉलेज में एक भी सुरक्षा गार्ड नहीं है। कोसी प्रमंडल का यह पहला महिला महाविद्यालय है जहां छात्रावास की भी सुविधा है। हालांकि अभी कोरोना काल में हास्टल बंद है। लेकिन हॉस्टल में 82 छात्राएं नामांकित है। चतुर्थवर्गीय कर्मचारी की भी कमी है।
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कॉलेज में 38 सृजित पद के विरुद्ध 25 शिक्षक
इस कॉलेज में 38 शिक्षकों का पद सृजित है। लेकिन हाल यह है कि इस कॉलेज में मात्र 25 शिक्षक कार्यरत हैं। वहीं नन टीचिग में 31 पदों के विरुद्ध मात्र 9 कर्मचारी है। कर्मचारियों व शिक्षकों की कमी से महाविद्यालय जूझ रहा है।
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कहती हैं प्राचार्य
रमेश झा महिला महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रेणु सिंह कहती है कि कॉलेज में कर्मचारियों व शिक्षकों की कमी है। इसके बावजूद छात्राओं को आनलाइन क्लास की समुचित व्यवस्था है। हर सप्ताह इसकी मॉनिटरिग की जाती है। वहीं हर शनिवार को इसका रिपोर्ट राजभवन जाता है। सुरक्षा गार्ड सहित कर्मचारियों की जरूरत है। शिक्षक की कमी है। कई बार इस संबंध में विश्वविद्यालय को पत्र लिखा गया है।
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