हर चुनाव में स्कूल भवन जाता है टूट

सहरसा। कोरोना काल में हाईस्कूल में गिनती के ही बच्चे आ रहे हैं। फरवरी माह में मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा की तिथि घोषित हो चुकी है। कोरोना काल में मार्च से ही स्कूल बंद रहने से हाई स्कूल में पठन पाठन कम ही रहा। हालांकि अक्टूबर माह से आनलाइन कक्षा का आयोजन से छात्र-छात्राओं को फायदा होने लगा है। इधर नवंबर माह में विधानसभा चुनाव केा लेकर शहर के ग‌र्ल्स हाई स्कूल पर जिला प्रशासन का ही कब्जा रहा।

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प्रायोगिक कक्ष ध्वस्त -
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इतना ही नहीं चुनाव कार्य एवं मतगणना कार्य को लेकर जिला प्रशासन ने स्कूल के कई कमरे में तोड़-फोड़ की। इससे पहले हुए चुनाव में ग‌र्ल्स हाई स्कूल का प्रायोगिक कक्षा को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। इसके बाद से स्कूल में प्रायोगिक कक्षा अब तक नहीं बन सका है। प्रायोगिक कक्षा में लगे बड़े- बड़े टेबल भी तोड़ कर रख दिया गया।

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गिनती की बच्चियां आती हैं स्कूल
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कोरोना में स्कूल बंद रहने के बाद शिक्षा विभाग ने बच्चों के भविष्य को लेकर आनलाइन शिक्षा प्रारंभ की। हालांकि कुछ छात्राएं स्कूल अतिरिक्त कक्षाएं में आती हैं। लेकिन छात्राओं की संख्या गिनती के लायक रहती हैं। मुश्किल से आठ दस छात्राएं ही स्कूल आती है और बोर्ड की परीक्षा को लेकर कुछ विषयों से सवाल पूछती है। जिसका समाधान संबंधित विषय के शिक्षक करते हैं। स्कूल में शिक्षकों की भी कमी है। राजकीय कन्या प्लस टू स्कूल में शिक्षकों की संख्या 24 है। लेकिन दस शिक्षक प्लस टू स्कूल के हैं।
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करीब 2500 छात्राएं हैं अध्ययनरत
राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में वर्ग नवम एवं दशम में करीब 1000 छात्राएं अध्ययनरत हैं। वहीं प्लस टू स्कूल में करीब 1500 रुपये है। कोरोना काल से पहले स्कूल नियमित रूप से 400- 500 छात्राएं स्कूल आती थीं। लेकिन कोरोना काल में छात्राओं का संख्या आना बंद हो गया। जिस कारण अब गिनती की ही छात्राएं स्कूल आ रही हैं। स्कूल के शिक्षक संजय कुमार वर्मा कहते हैं कि कोरोना काल में छात्राओं के लिए आनलाइन कक्षा वरदान साबित हो रहा है। प्रत्येक दिन नियमित रूप से आनलाइन शिक्षा दी जा रही है।
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स्कूल में है संसाधन का अभाव
ग‌र्ल्स हाई स्कूल शहर के मध्य में है। लड़कियों के इस हाई स्कूल में संसाधनों की कमी है। शिक्षकों की मानें तो हर चुनाव में स्कूल की स्थिति बदहाल बन जाती है। गंदगी को साफ कराने में सप्ताह लग जाते हैं। जब तक कमरे में सब कुछ सामान्य कर पाते है कि फिर कोई न कोई परीक्षा आ जाती है। परीक्षा के कारण स्कूल का पठन पाठन भी बंद ही रहता है। क्योंकि शिक्षकों की ड्यूटी परीक्षा कमरे में लग जाती है। स्कूल का रखरखाव नहीं हो पाता है। कमरे में न समुचित पंखा का इंतजाम है और न ही बिजली प्रकाश का कोई इंतजाम रहता है।
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कहते हैं प्राचार्य
स्कूल में 9वीं से 12वीं तक के छात्राओं के लिए आनलाइन क्लास हो रही है। जिसका फायदा छात्राओं को मिल रहा है। चुनाव कार्य में स्कूल के उपयोग होने से कई व्यवस्था बिगड जाती है। स्कूल में इन दिनों छात्राअेां के आने पर उन्हें उसके वर्गानुसार पढ़ाई करायी जाती है।
अशोक कुमार, प्राचार्य, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय
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