ऑस्ट्रेलिया दौरा (Australia Tour) अब आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है. वनडे और टी-20 सीरीज के बाद टेस्ट सीरीज में भारत और ऑस्ट्रेलिया (India vs Australia) के बीच मुकाबला होगा. दो साल पहले भारतीय टीम (Indian Team) ने टेस्ट सीरीज की शुरुआत एडिलेड के मैदान से जीत के साथ ही की थी. इसके बाद भारत ने इतिहास रचते हुए टेस्ट सीरीज में कंगारुओं को उनके घर में हराया था. दो साल बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया एडिलेड के ओवल मैदान से ही टेस्ट की चुनौती शुरू करेंगे. लेकिन दो साल पहले की एडिलेड टेस्ट (Adelaide Test) की भारतीय टीम और इस बार मैदान पर उतरने वाली भारतीय टीम में करीब आधा दर्जन खिलाड़ी बदल गए हैं. टीम में ओपनिंग से लेकर मिडिल ऑर्डर और गेंदबाजी तक में चेंज है. ये बदलाव कई इशारे करता है. टीम में खिलाड़ियों के बीच कड़ा मुकाबला भी दिखाता है. तो खिलाड़ियों में उनकी जगह को लेकर अनिश्चितता भी है.
दो साल पहले भारत ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी तकदीर बदली थी. ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में टेस्ट सीरीज में हराने वाली भारतीय टीम एशिया की पहली टीम बनी थी. इसकी शुरूआत एडिलेड टेस्ट से ही हुई थी. भारत ने एडिलेड टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को 31 रन से हराया था. एडिलेड टेस्ट की जीत के बाद जब आप जश्न की तस्वीर देखेंगे तो उसमें पांच ऐसे चेहरे नजर आएंगे. जो 17 दिसंबर को एडिलेड टेस्ट में नहीं होंगें. पिछली बार एडिलेड टेस्ट में ओपनिंग मुरली विजय और केएल राहुल ने की थी. इस बार ये जोड़ी गायब है. मुरली विजय तो टीम में ही शामिल नहीं हैं, तो केएल फिलहाल प्लेइंग इलेवन से बाहर हैं. इनकी जगह इस बार सलामी जोड़ी की भूमिका में मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ हैं.
इशांत की कमी खलेगी
मिडिल ऑर्डर में रोहित शर्मा और फिर ऋषभ पंत को पिछली बार मौका दिया गया था. इस बार रोहित पहले दो टेस्ट से टीम से बाहर हैं. पंत को भी प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया. उनकी जगह हनुमा विहारी और ऋद्धिमान साहा एडिलेड टेस्ट में नजर आएंगे. वहीं गेंदबाजी यूनिट में भी एक बड़ा बदलाव है. पिछले दौरे पर ओपनिंग टेस्ट में टीम के अनुभवी गेंदबाज इशांत शर्मा भी शामिल थे. लेकिन इस बार इंजरी की वजह से इशांत दौरे से बाहर हो गए. इशांत की जगह उमेश यादव एडिलेड टेस्ट में बुमराह और शमी के साथ भारतीय तेज गेंजबाजी की ताकत बढ़ाएंगे.
प्रतिस्पर्धा या अनिश्चितता
भारतीय टीम में लगातार बदलाव देखे जा रहे हैं. चाहे कोई भी फॉर्मेट उठा कर देख लिजिए, उसमें आपको चेहरे बदलते नजर आएंगे. कही सलामी जोड़ी में बदलाव होगा. तो कहीं चौथे नंबर का 'एक्सपेरिमेंट' और तीसरे तेज गेंदबाज के रूप में अक्सर अलग नाम नजर आता ही है. इसकी कई वजह हैं. जिसमें खिलाड़ियों की फिटनेस और फॉर्म एक बड़ी वजह है. लेकिन लगातार बदलाव से खिलाड़ियों में अपनी जगह को लेकर अनिश्चितता है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता. पिछला विश्व कप याद कीजिए. खुद कप्तान विराट कोहली ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अंबाती रायडू विश्व कप तक भारत के नंबर चार खिलाड़ी होंगे. लेकिन विश्व कप 2019 की भारतीय टीम में अंबाती रायडू को मौका तक नहीं मिला. जिसकी बाद विवाद भी हुआ था. लेकिन टीम में मौका पाने और अपने लिए मौका बनाने की प्रतिस्पर्धा भी एक सच्चाई है.
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