अफगानिस्तान के गजनी प्रांत में कुरान पढ़ रहे लोगों पर आतंकी हमला, 15 की मौत, 20 घायल

काबुलः अफगानिस्तान के गजनी प्रांत में आतंकी हमला हुआ है। कुरान पढ़ रहे लोगों पर आतंकियों ने बम और मोर्टर से हमला किया, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई और 20 लोग घायल हो गए।

अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक एरियान ने कहा कि गजनी प्रांत के गिलान जिले में एक घर के अंदर हुए विस्फोट में कम से कम 15 नागरिक मारे गए। इस घटना में 20 से अधिक लोग घायल हो गए। तारिक एरियान ने बताया कि शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे विस्फोटक से भरी कार गजनी प्रांत के गेलन जिले के एक घर में घुस गई, यहां लोग कुरान पढ़ रहे थे। हमले की जिम्मेदारी तत्काल किसी ने नहीं ली है।
अफगानिस्तान की राजधानी में हमले, तीन की मौत
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में 13 दिसंबर को दो अलग-अलग हमलों में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई। इससे एक दिन पहले राजधानी में मोर्टार के गोले दागकर हमला हुआ था। काबुल पुलिस के प्रमुख के प्रवक्ता फिरदौस फरामर्ज़ के मुताबिक, उत्तरी काबुल में बख्तर बंद गाड़ी पर बम चिपका कर किए गए विस्फोट में दो लोगों की मौत हो गई जबकि दो अन्य जख्मी हो गए।
घटना की तत्काल और जानकारी उपलब्ध नहीं है। फरामर्ज़ ने यह भी बताया कि पूर्वी काबुल में अफगानिस्तान सरकार के एक अभियोजक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि जब हमला हुआ, उस वक्त अभियोजक अपने दफ्तर जा रहे थे। हमले की जिम्मेदारी तत्काल किसी ने नहीं ली है।
तालिबान के खिलाफ प्रतिबंधों में किसी भी तरह की ढील शांति प्रक्रिया में बाधक बन सकती है : अफगानिस्तान
अफगानिस्तान ने कहा है कि तालिबान की हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और उसने वैश्विक आतंकवादी संगठनों से अपना रिश्ता भी बरकरार रखा है। इसलिए शांति की दिशा में तालिबान की प्रतिबद्धताओं में बिना कोई वास्तविक प्रगति देखे उस पर लगी पाबंदियों में किसी भी तरह की ढील देना शांति वार्ताओं पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि आदेला राज ने कहा कि तालिबान की गतिविधियों का पता लगाने विशेषकर शांति के लिए उसकी प्रतिबद्धताओं तथा अलकायदा एवं सभी आतंकवादी संगठनों से संबंध खत्म करने के उसके संकल्प पर नजर रखने के लिए बनी 1988 अफगानिस्तान प्रतिबंध समिति की सहायता कर रहे निगरानी दल का काम उल्लेखनीय है। राज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बृहस्पतिवार को 'अफगानिस्तान में हालात' विषय पर बोल रही थीं।
उन्होंने कहा, ''हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ये प्रतिबद्धताएं तालिबान के कार्यों में भी झलकनी चाहिए। यह भी दिखना चाहिए कि तालिबान किसी तरह की आतंकवादी गतिविधि में शामिल नहीं है और वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन के साथ न तो काम कर रहा है और न ही उसका सहयोग कर रहा है।'' राज ने कहा, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि ऐसा नहीं हो रहा है। अफगान सुरक्षा बलों एवं खुफिया एजेंसियों तथा निगरानी दल को तालिबान के बारे में ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है।
उन्होंने कहा कि तालिबान द्वारा हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं और उसने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के साथ अपना रिश्ता भी बरकरार रखा है। ऐसी स्थिति में तालिबान की प्रतिबद्धताओं में बिना कोई वास्तविक प्रगति देखे उसके खिलाफ पाबंदियों में किसी भी तरह की ढील ठीक नहीं होगी।
सुरक्षा परिषद ने 1988 अफगानिस्तान प्रतिबंध समिति की सहायता कर रहे निगरानी दल का शासनादेश एक साल के लिए और बढ़ा दिया है। पिछले सप्ताह 'अफगानिस्तान में हालात' प्रस्ताव को 193 सदस्यीय महासभा में स्वीकृत कर लिया गया। प्रस्ताव के पक्ष में 130 वोट पड़े जबिक रूस ने इसके खिलाफ वोट किया। वहीं, चीन, बेलारूस और पाकिस्तान अनुपस्थित थे। प्रस्ताव के अनुसार महासभा ने अफगानिस्तान को आत्मनिर्भर बनने, वहां स्थिरता एवं शांति बहाली के प्रयासों में अपना समर्थन जारी रखने का संकल्प जताया है।

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