ये हैं टी20 अंतर्राष्ट्रीय में 99* रनों पर नॉट-आउट रहने वाले बल्लेबाज, तीसरा नाम चौंकाने वाला

न्यूजीलैंड ने रविवार को हैमिलटन में खेले गए तीन मुकाबलों की टी20 सीरीज के दूसरे मैच में पाकिस्तान को 8 विकेट से पराजित कर सीरीज में 2-0 की अजय बढ़त हासिल की. न्यूजीलैंड के लिए विकेटकीपर बल्लेबाज टिम सीफर्ट (84*) और कप्तान केन विलियमसन (57*) ने शानदार अर्धशतक जड़े, लेकिन घातक गेंदबाजी करने वाले न्यूजीलैंड टीम के पेसर टिम साउथी को मैन ऑफ द मैच के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वहीं, मेहमानन टीम के लिए 40 साल के मोहम्मद हफीज ने (99*) सर्वाधिक रन बनाए. दुर्भाग्य से वे न तो शतक पूरा कर पाए और न ही उनकी पारी टीम की जीत में काम आ सकी.

ऐसे में पाकिस्तानी धाकड़ बल्लेबाज मोहम्मद हफीज़ टी 20 अंतर्राष्ट्रीय में 99 रन पर नाबाद रहने वाले विश्व के तीसरे बल्लेबाज बने. आज हम ऐसे सभी बल्लेबाजों पर नज़र डालेंगे, जो T20I में 99 रन पर नोट आउट रहे:
ल्यूक राईट : इंग्लैंड क्रिकेट टीम के धाकड़ बल्लेबाज ल्यूक राईट ने साल 2012 में टी20 विश्व कप के ग्रुप ए के छठे लीग मैच में अफगानिस्तान के खिलाफ 55 गेंदों पर 99 रन की नाबाद पारी खेली थी. इसमें उन्होंने 6 छक्के और 8 चौके जड़े थे. इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 196 रन बनाए थे, जिसके जवाब में अफगानिस्तान की टीम 80 रन के स्कोर पर ही सिमट गई. इस मैच में इंग्लैंड ने अफगानी टीम को 116 रनों से पराजित किया था. ल्यूक राईट को उनकी शानदार बल्लेबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया था.
डेविड मलान : इस मामले में दूसरे नंबर पर भी इंग्लैंड के क्रिकेटर का ही नाम आता है. मौजूदा समय में टी20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के नंबर एक बल्लेबाज डेविड मलान ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इसी साल टी20 मुकाबले में 99* रनों की मैच जिताऊ पारी खेली थी. बाएं हाथ के बल्लेबाज ने मेजबानों के खिलाफ टी20 सीरीज के आखिरी मुकाबले में केपटाउन में रनों का अंबार लगाया था. उन्होंने 47 गेंदों में 99 रन नाबाद बनाए थे, जिसमें 11 चौके और 5 छक्के शामिल थे. अंग्रेजों ने दक्षिण अफ्रीका के दिए 192 रन के लक्ष्य को 14 गेंद शेष रहते हुए हासिल कर लिया था. मलान को उनकी तूफानी पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया था.
मोहम्मद हफीज़ : टी20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिला, जब कोई बल्लेबाज 99* रन पर नाबाद रहा और उसकी टीम को हार का सामना करना पड़ा. 40 साल के हफीज ने गत रविवार को न्यूजीलैंड के विरुद्ध 57 गेंदों में 99* रन की पारी खेली, जिसमें दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 10 चौके और 5 छक्के जमाए. उनकी इस पारी की बदौलत मेहमानों ने कीवी टीम के खिलाफ निर्धारित 20 ओवर्स में 6 विकेट के नुकसान पर 163 रन बनाए, लेकिन विकेटकीपर बल्लेबाज टिम सीफर्ट (84*) और कप्तान केन विलियमसन (57*) ने शानदार अर्धशतक जड़ अपनी टीम को एकतरफा जीत दिलाई. हैमिलटन में खेले गए तीन मुकाबलों की टी20 सीरीज के दूसरे मैच में पाकिस्तान को 8 विकेट से पराजित कर सीरीज में 2-0 की अजय बढ़त बना ली.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रॉडर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले मुकाबले की दूसरी पारी में टीम इंडिया मात्र 36 रनों पर ऑल आउट हो गई। टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम का यह सबसे न्यूनतम स्कोर है। इस डे-नाइट टेस्ट की दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजी क्रम बुरी तरह से फ्लॉप नजर आया, लेकिन सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ के खराब प्रदर्शन की ज्यादा आलोचना हुई।
21 साल के इस बल्लेबाज को कंगारू गेंदबाजों ने सटीक लाइन और लेंथ वाली गेंदे डालीं, जिससे दोनों ही पारियों में उनकी गिल्लियां हवा में उड़ती नज़र आईं. पृथ्वी शॉ इस मैच की पहली पारी में शून्य और दूसरी पारी में चार रन बनाकर आउट हुए. उन्होंने दोनों पारियों में मात्र छह गेंदों का सामना किया। हालांकि, वह पहली पारी में स्टार्क का शिकार बने तो वहीं, दूसरी पारी में कमिंस ने उन्हें बोल्ड किया।
पृथ्वी शॉ की बल्लेबाजी और तकनीक पर सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज कप्तान रिकी पोंटिंग ने सवाल खड़े किए। इतना ही नहीं उन्होंने उनकी फॉर्म के साथ-साथ उनके खेलने के तरीके पर भी कई तरह से सवाल खड़े किए। शॉ की इतनी आलोचना देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि टेस्ट सीरीज के दूसरे मुकाबले में उन्हें शायद ही अंतिम ग्यारह में जगह मिल पाएगी।
हालांकि, इन सभी आलोचनाओं के बीच पृथ्वी शॉ ने सोशल मीडिया के जरिए अपने दिल का दर्द बयां किया है। शॉ ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर अपने आलोचकों को करारा जवाब देते हुए लिखा, ''अगर आप कोई काम करते हैं और कोई दूसरा व्यक्ति आपको हतोत्साहित करता है, इसका मतलब है कि वह व्यक्ति यह काम नहीं कर सकता है, लेकिन आप कर सकते हैं।''
रविवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ लगातार दूसरे टी-20 मुकाबले में पाकिस्तान क्रिकेट टीम को करारी शिकस्त मिली है। कीवी टीम ने इस जीत के साथ तीन मैचों की टी-20 सीरीज को 2-0 से अपने नाम कर ली है। मेहमान टीम की इस हार के बाद पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने खिलाड़ियों जमकर आलोचना की है। खासतौर पर उन्होंने टीम की खराब बल्लेबाजी पर अपना गुस्सा जाहिर किया है।
शोएब अख्तर ने पीटीवी स्पोर्ट्स से बात करते हुए कहा, ''बल्लेबाजों ने बेहद खराब शॉट खेले और काफी ब्रेनलेस बैटिंग करते दिखाई दिए। इसका कोई मतलब नहीं कि पिच कैसी थी और गेंदबाज क्या करने की कोशिश कर रहे थे। आपको छोटे मैदान पर खेलते हुए बस गेंद को सही एरिया में पहुंचानी होती है और उसके बाद आसानी से बॉउंड्री मिल जाती है।''
पूर्व दिग्गज पाकिस्तानी गेंदबाज ने कहा, ''अगर आपको कोई अटैकिंग क्रिकेट खेलने के लिए कह रहा है तो इसका यह मतलब नहीं होता कि आप खराब शॉट्स लगाकर आउट हो जाएं। हैदर अली ने पहले एक छक्का लगाया, जिसके बाद उन्होंने दोबारा उस शॉट को मारने की कोशिश की। इसके अलावा अब्दुल्लाह शफीक ने भी अपना सिर नीचे करके पुल शॉट खेलने का प्रयास किया।''
पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच रविवार को टी-20 सीरीज का दूसरा मुकाबला हैमिल्टन में खेला गया। इस मैच में मेहमान टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 20 ओवरों में 6 विकेट खोकर 163 रन बनाए थे। लक्ष्य का पीछा करने उतरी मेजबान टीम ने 1 विकेट के नुकसान पर इस टारगेट को 19.2 ओवर में हासिल कर लिया था।
भारतीय टीम के युवा सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने ऑस्ट्रेलियाई के खिलाफ चार मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले मुकाबले की दोनों पारियों में निराश किया. शॉ को पहली पारी में तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने बोल्ड किया, जबकि दूसरी पारी में उन्हें पेट कमिंस ने बोल्ड कर वापस पवेलियन की राह दिखाई. एडिलेड टेस्ट में अपने खराब प्रदर्शन के बाद पृथ्वी शॉ आलोचकों के निशाने पर आ गए. सोशल मीडिया पर भी उनका बुरी तरह से मज़ाक बना.
अब ऑस्ट्रेलियाई टीम के सलामी बल्लेबाज जो बर्न्स ने शॉ के 'फ्लॉप शो' को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वे भारतीय बल्लेबाज को कोई सलाह नहीं देंगे, क्योंकि वे उनके खिलाफ खेल रहे हैं. बर्न्स को लगता है कि अगर वे शॉ को सलाह देंगे तो वे उनकी टीम के खिलाफ पलटवार कर सकते हैं.
दाएं हाथ के बल्लेबाज ने कहा, "मैं उन्हें कोई सलाह नहीं दूंगा, क्योंकि मैं उनके खिलाफ खेल रहा हूं. मैं उम्मीद कर रहा हूं कि वह रन नहीं बनाएं. मैं वास्तव में नहीं जानता कि वह किस फॉर्म में हैं. मैं उनका अनुसरण नहीं कर रहा हूं." कंगारू बल्लेबाज ने आगे कहा, "यदि वह भारत के लिए खेल रहे हैं तो वह स्पष्ट रूप से एक गुणवत्ता वाले खिलाड़ी हैं. मैं सीरीज के अंत में सलाह दे सकता हूं, लेकिन पहले मैच के बाद नहीं."
गौरतलब है कि टीम इंडिया पहले टेस्ट की दूसरी पारी में महज 36 रनों पर ही ढेर हो गई थी. टेस्ट क्रिकेट इतिहास में भारत का यह सबसे न्यूनतम स्कोर था.
एडिलेड टेस्ट शुरू होने से कुछ ही घंटे पहले टेस्ट में भारत के कप्तान विराट कोहली ने खुद को "नए भारत का प्रतिनिधि" घोषित किया था। इससे उनका मतलब क्या था? ऐसा प्रतिनिधि जो कभी उम्मीद नहीं छोड़ता, चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार और आखिर तक हार नहीं मानना। अगर ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले तक की विराट कोहली की क्रिकेट देखें तो ये सारी बातें उस पर खरी उतरती हैं। इसीलिए ही तो ग्रेग चैपल ने उन्हें ऐसा सबसे बेहतर गैर ऑस्ट्रेलियाई बताया जो सही मायने में 'ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर' है। यही वे खूबी हैं जिन्होंने विराट कोहली को विश्व के सबसे बेहतर बल्लेबाज़ का टाइटल दिलाया। उन्होंने कहा," जिस तरह का मेरा व्यक्तित्व और चरित्र है, मैं नए भारत का प्रतिनिधित्व करता हूं।"
एडिलेड टेस्ट से पहले कोहली 2020 की अपनी क्रिकेट और टीम के बारे में ये बातें चारों ओर गूंज रही थीं। उन्होंने कहा था कि "नया भारत" कैसे मिलकर एक ताकत है और कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं। ये वही टीम है जिस सिर्फ कुछ महीने पहले टीम के हेड कोच रवि शास्त्री ने भारतीय क्रिकेट की 15-20 सालों की सर्वश्रेष्ठ भारतीय टीम बताया था। एडिलेड में क्या हवा में उड़ गईं ये सब बातें और दलीलें? पिछले ऑस्ट्रेलिया टूर में जिस अंदाज़ में सीरीज जीते थे उसकी एक भी खूबी इस बार नज़र नहीं आई, और टीम की धज़्ज़ियां उड़ गईं।
वास्तव में क्रिकेट बहुत बदल गई है। 'ओल्ड इंडिया' में क्रिकेट प्रेमी स्टेडियम में क्रिकेट देखते थे - आज लाइव स्ट्रीमिंग पर क्रिकेट देखते हैं। 1974 में 42 पर आउट होने का गुस्सा सड़कों पर निकला, क्रिकेटरों के घर पत्थर फेंके गए, अजीत वाडेकर की कप्तानी चली गई। विराट कोहली के नए भारत में क्रिकेट प्रेमियों का गुस्सा सोशल मीडिया में निकला, किसी के पास क्रिकेटरों के घर जाने की फुर्सत नहीं है और एक बार भी कहीं से ये आवाज़ नहीं आई कि विराट को कप्तानी से हटाओ। ये टीम के 42 पर आउट होने का गुस्सा ही था कि यूके में भारतीय हाई कमिशनर ने क्रिकेटरों को रिसेप्शन पर घर बुलाकर भी गेट आउट कह दिया था। आज 36 के बावजूद कोई ऐसा नहीं कर रहा और न करेगा।
फिर भी 'ओल्ड इंडिया' ने जो मेहनत की उसका फायदा इस न्यू इंडिया को मिल रहा है। शायद आज के क्रिकेटरों को 'पुराने भारत' के बारे में क्रैश कोर्स की जरूरत है। उन्होंने भी चुनौतियों का सामना किया पर अलग हालात में। टाइगर पटौदी ने स्पिन के साथ भारत को जीत दिलाई, सुनील गावस्कर ने दिखाया कि बिना हेलमेट के वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज़ों को कैसे खेला जाए, और कैसे सचिन तेंदुलकर ने मैच-फिक्सर की घुसपैठ के बावजूद ड्रेसिंग रूम में अकेले दम पर दुनिया को अपने कब्जे में ले लिया।
क्या 36 का स्कोर एक टीम के अहंकार का नतीजा है? क्रिकेट अहंकार का नहीं, टीम की हिम्मत का खेल है। ऐसा नहीं है कि सीरीज में आगे भी हर पारी में टीम यूं ही 36 बनाती रहेगी पर सच ये है कि खेल सबसे बड़ा है और 'तारे जमीं पर' आते में देर नहीं लगती।

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