एक कैप जो 4.50 लाख डॉलर में बिकी कोई मामूली नहीं, सर डॉन ब्रैडमैन की थी

कोई एक कैप के लिए भला 4.50 लाख डॉलर क्यों खर्चेगा और वह भी ऐसी कैप के लिए, जो लगभग 92 साल पुरानी हो? शौकीनों की कोई कमी नहीं और वे इतनी बड़ी रकम इसलिए देते हैं, क्योंकि ये कोई साधारण कैप नहीं है। ये सर डॉन ब्रैडमैन की वह 'बैगी ग्रीन' कैप है, जो उन्हें 1928 में ऑस्ट्रेलिया के लिए पहला टेस्ट खेलने के समय मिली थी। स्पष्ट है कि ऐतिहासिक कैप है और तभी तो ऑस्ट्रेलिया के ही एक व्यवसायी ने 4.50 लाख डॉलर खर्च कर दिए। वैसे जब इस कैप को नीलम पर डाला गया था तो इसकी रिज़र्व कीमत 4 लाख डॉलर रखी गई। पहले राउंड में इसे किसी ने नहीं खरीदा पर दूसरे राउंड में ये रिज़र्व कीमत को पार कर गई। इस 4.50 लाख डॉलर की कीमत का एक महत्व और भी है, क्योंकि ये क्रिकेट के किसी भी सामान के लिए आज तक मिली दूसरी सबसे बड़ी रकम है। इस साल की शुरुआत में बुशफायर चैरिटी के लिए शेन वॉर्न की 'बैगी ग्रीन' कैप एक मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर से भी ज्यादा कीमत पर बिकी थी। आखिर में ये बैगी ग्रीन कैप 1,007,500 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (685,000 अमेरिकी डॉलर) में बिकी। वॉर्न की कैप ने तब क्रिकेट की सबसे महंगी कैप का रिकॉर्ड बनाते हुए सर डॉन ब्रैडमैन की उस बैगी ग्रीन का रिकॉर्ड तोड़ा था, जो 2003 में 425,000 डॉलर में बिकी थी।

इस नीलामी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब बात सर डॉन ब्रैडमैन की हो तो कोई भी कीमत कम ही है। ब्रैडमैन ने टेस्ट क्रिकेट में 99.94 की औसत से 1928 और 1948 के बीच 52 टेस्ट मैचों में 6,996 रन, 29 शतक और 13 अर्द्धशतक बनाए। वे औसत में कितने ऊपर हैं, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके बाद ऑस्ट्रेलियाई स्टीव स्मिथ टेस्ट बल्लेबाजी में औसत 62.31 के साथ हैं।
जब कैप की नीलमी की बात हो ही रही है तो इससे जुड़ी कुछ और ख़ास बातों का जिक्र जरूरी है :
* इस साल 27 अक्टूबर को क्रिस्टी ने दो नीलमी एक साथ किए - पहला सर जियोफ्रे बॉयकॉट कलेक्शन का और दूसरा ट्वेंटी-20 चैरिटी के नाम से। बॉयकॉट कलेक्शन 207,625 पौंड में बिका। इसमें कैप भी थीं:
- उनकी दो कैप, जिनमें से एक ऑफिशियल थी और उस पर टेस्ट और वन डे नंबर लिखे थे 11,250 पौंड में बिकीं।
* सर विवियन रिचर्ड्स की एक मरून कैप 10,625 पौंड में बिकी।
* सुनील गावस्कर ने उन्हें, जो कैप भेंट की थी, वह 3,000 पौंड में बिकी।
* जुलाई 2011 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड और भारत के बीच सेंटेनरी टेस्ट में भूतपूर्व कप्तान के नाते उन्हें दी गई कैप 750 पौंड में बिकी।ट्वेंटी 20 चैरिटी के लिए बॉयकॉट ने ग्रेग चैपल की वह बैगी ग्रीन कैप नीलम के लिए लिए दी थी, जो चैपल ने उस रिकॉर्ड टेस्ट में पहनी थी, जिसमें बॉयकॉट ने अपना 100 वां शतक बनाया था और टेस्ट में ये रिकॉर्ड बनाने वाले वे पहले खिलाड़ी बने थे। बॉयकॉट ने अपनी यॉर्कशायर कैप भी दी थी।
2011 विश्व कप फाइनल में महेंद्र सिंह धोनी ने, जिस बैट से बैटिंग की, उसकी नीलमी में एक लाख पौंड की कीमत का रिकॉर्ड अब क्रिकेट के महंगे सामान की लिस्ट में पीछे होता जा रहा है।
ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच चार टेस्ट मुकाबलों की सीरीज का दूसरा मैच 26 दिसंबर से मेलबर्न में खेल जाएगा। इस मैच में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी नहीं खेलेंगे। ऐसे में कंगारू टीम के मुख्य कोच जस्टिन लैंगर ने दोनों भारतीय खिलाड़ियों की अनुपस्थिति पर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कोहली और शमी की गैरमौजूदगी ऑस्ट्रेलिया को फायदा देगी।
जस्टिन लैंगर से गुरुवार को पूछा गया कि क्या कोहली और शमी की अनुपस्थिति मेजबान टीम को फायदा देगी? उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा, ''विराट कोहली महान खिलाड़ियों में से एक हैं। मेरा मानना है कि शमी टीम इंडिया की आक्रमक गेंदबाजी क्रम के अहम स्तंभ हैं, क्योंकि वह बेहतरीन गेंदबाज हैं। वह कुशल गेंदबाज हैं। बेशक, यह हमें एक फायदा देता है।''
50 साल के ऑस्ट्रेलियाई कोच ने आगे कहा, ''हमें कड़ी मेहनत करते रहना है और उन प्रक्रियाओं का पालन करते रहना है, जो हम पिछले काफी समय से कर रहे हैं। हम जानते हैं कि हमें मेलबर्न टेस्ट के पहले दिन शानदार शुरुआत करनी होगी। इससे हमें रहाणे पर दबाव बनाए रखना होगा क्योंकि वह नए कप्तान हैं।''
उन्होंने आगे कहा, ''हमारी रणनीति नहीं बदलेगी, लेकिन जब आप किसी भी क्रिकेट टीम के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को बाहर करते हैं, तो निश्चित रूप से वह कमजोर हो जाते हैं और यह हमें फायदा देगा।''
ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच चार टेस्ट मुकाबलों की सीरीज खेली जा रही है। इस सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच 26 दिसंबर से मेलबर्न में खेला जाएगा। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली पैटरनिटी लीव पर ऑस्ट्रेलिया दौरे से वापस स्वदेश लौट आए हैं। दरअसल, अगले साल जनवरी में विराट की पत्नी अनुष्का शर्मा अपने पहले बच्चे को जन्म देंगी। उनके इस फैसले को कई लोगों ने सही कहा है तो कुछ इसे गलत कह रहे हैं। ऐसे में भारतीय टीम के पूर्व धाकड़ सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के कोच एएन शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
वीरेंद्र सहवाग के कोच ने स्पोर्ट्सकीड़ा के साथ साक्षात्कार में कहा, ''सहवाग कभी दौरे से वापस नहीं आते। इस खेल ने आपको सबकुछ दिया है। सचिन तेंदुलकर अपने पिता के निधन के दो दिनों बाद ही 1999 विश्व कप खेलने चले गए थे। मैं आपको लिखकर दे सकता हूं कि सहवाग कभी वापस नहीं लौटते, क्योंकि उनके लिए क्रिकेट पहले आता है।''
76 साल के एएन शर्मा ने कहा, ''मैं विराट कोहली से सहमत नहीं हूं। उन्हें टीम के साथ रहना चाहिए था. उन्हें टीम के साथ काम करना चाहिए था और कप्तान के रूप में वहां रहना चाहिए था। वह एक शानदार कप्तान और एक शानदार क्रिकेटर हैं।''
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड (डे-नाईट) टेस्ट में मिली शर्मनाक हार के बाद पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज अजित अगरकर ने भारतीय टीम का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि टीम इंडिया के लिए लाल गेंद से खेलना आसान होगा. बता दें कि चार मुकाबलों की टेस्ट सीरीज का दूसरा मैच 26 दिसंबर से मेलबर्न के क्रिकेट ग्राउंड पर खेला जाएगा.
इससे पहले एडिलेड टेस्ट में मेजबानों ने मेहमानों को 8 विकेट से पराजित कर सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल की थी. विदेशी धरती पर टीम इंडिया का गुलाबी गेंद से यह पहला मैच था.
अगरकर ने कहा, "लाल गेंद से खेलना तो आसान होना चाहिए, क्योंकि भारतीय टीम को इससे खेलने की आदत है. गुलाबी गेंद नई चीज थी, खासकर भारत ने इससे पहले एक ही डे-नाइट टेस्ट खेला था. भारतीय टीम पहले ऑस्ट्रेलिया में लाल गेंद से खेलकर जीत चुकी है."
गौरतलब है कि टेस्ट श्रृंखला के बाकी बचे तीन मुकाबलों में टीम इंडिया को कप्तान विराट कोहली की सेवाएं नहीं मिल पाएंगी, क्योंकि उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा बच्चे को जन्म देने वाली हैं और वे स्वदेश लौटने वाले हैं. वहीं, तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी एडिलेड टेस्ट में चोटिल होने के बाद पूरी टेस्ट सीरीज से बाहर हो चुके हैं. इस दौरान अजिंक्य रहाणे भारतीय टीम की कमान संभालेंगे.
हालांकि, रोहित शर्मा के आखिरी दो टेस्ट के लिए टीम से जुड़ने के बाद टीम का न सिर्फ आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि रोहित के अंतर्राष्ट्रीय आंकड़ों को देखते हुए टीम इंडिया की बल्लेबाजी में गहराई भी दिखाई देगी.
अकसर देखा गया है कि जो जिस खेल को बचपन से खेलता है, वह आगे चलकर उसी में अपना करियर बनाता है। क्रिकेट जगत के कुछ ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने दूसरे खेल में परिपूर्ण होने के बावजूद क्रिकेट को अपना प्रोफेशन बनाते हुए देश का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, ये क्रिकेटर्स स्कूल और कॉलेज के दिनों में अन्य खेल खेलते थे, लेकिन बाद में क्रिकेट को अपना करियर बना लिया। चलिए, आपको उन दिग्गज क्रिकेटर्स के बारे में बताते हैं, जिन्होंने राष्ट्रिय स्तर पर अन्य खेल में भी महारथ हासिल की है।
ब्रैंडन मैकुलम
न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान ब्रैंडन मैकुलम का नाम क्रिकेट जगत के महानतम खिलाड़ियों में शुमार है। मैकुलम ने कई शानदार पारियां खेलते हुए अपनी टीम की जीत में अहम योगदान दिया। 39 साल का यह कीवी खिलाड़ी अपने देश के लिए क्रिकेट के अलावा रग्बी भी खेल हुआ है। वह स्कूल के दिनों में रग्बी खेलते थे। इसके अलावा उन्होंने स्कूल स्तर की प्रतियोगिताओं में कई हाई प्रोफाइल गेम खेले थे।
जोंटी रोड्स
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज जोंटी रोड्स का नाम क्रिकेट दुनिया के बेहतरीन फील्डर्स में लिया जाता है। उन्होंने क्रिकेट मैदान पर कई बार शानदार फील्डिंग का नजारा दिखाया। बता दें कि वह क्रिकेट में आने से पहले हॉकी खेलते थे। साल 1992 में बार्सिलोना में खेले जाने वाले ओलंपिक खेलों के लिए उन्हें दक्षिण अफ्रीकी की ओलंपिक हॉकी टीम में शामिल किया गया था। दुर्भाग्य से, उनकी टीम मेगा इवेंट में क्वालीफाई नहीं कर पाई थी। उसके बाद उन्होंने अगले ओलंपिक में हिस्सा लेने का प्रयास किया था, लेकिन वह चोटिल होने की वजह से बाहर हो गए थे।
सर विवियन रिचर्ड्स
वेस्टइंडीज टीम के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर सर विवियन रिचर्ड्स ने क्रिकेट के अलावा फुटबॉल भी खेला था। वह क्रिकेट से पहले अपने देश एंटीगुआ और बरमूडा के लिए फुटबॉल खेलते थे। उन्होंने फुटबॉल विश्वकप टूर्नामेंट में अपने देश के लिए मैच खेले थे, लेकिन इन मुकाबलों में उनकी टीम को हार का सामना करना पड़ा था। 68 साल के इस महानतम कैरेबियन क्रिकेटर ने 1974 में फुटबॉल विश्व कप के क्वालीफायर में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया था।
एलिस पेरी
ऑस्ट्रेलिया महिला क्रिकेट टीम की स्टार ऑलराउंडर एलिस पेरी ने कई बार बेहतरीन प्रदर्शन करके अपनी टीम की जीत में अहम योगदान दिया है। 30 साल की इस ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटर ने क्रिकेट के अलावा फुटबॉल भी खेला है। उन्होंने महज 16 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया की महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में भी डेब्यू किया था। बता दें कि उन्होंने जुलाई 2007 में अपना पहला इंटरनेशनल क्रिकेट मुकाबला खेला था, जबकि इसी साल अगस्त में उन्हें ऑस्ट्रेलिया की फुटबॉल टीम की डेब्यू कैप भी मिली थी।
युजवेंद्र चहल
टीम इंडिया के स्टार ऑफ स्पिनर युजवेंद्र चहल ने अपनी शानदार गेंदबाजी से क्रिकेट के कई दिग्गज बल्लेबाजों को आउट किया है। चहल क्रिकेट के अलावा भारत के लिए शतंरज में भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्होंने क्रिकेट में आने से पहले 1997 से 2003 तक शतंरज खेला था। 30 साल के भारतीय लेग स्पिनर ने शतरंज के कई बड़े इवेंट्स खेल हुए हैं। उन्होंने अंडर-11 शतरंज चैंपियनशिप भी जीती हुई है।

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