फिल्ड में नहीं हो सकती तैनाती पर बनाए गए धमदाहा के कार्यपालक अभियंता

- भष्ट्राचार मुक्त शासन के सरकार के दावे की ग्रामीण कार्य विभाग में खुली पोल

- विभागीय कार्रवाई के संचालन के बाद अभियंता प्रमुख ने माना था दोषी
- सालमारी में महानंदा फेज वन के कार्य में धांधली बरने में सहायक अभियंता के रूप में निलंबित किए गए थे अर्जुन कुमार सिंह
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इस तरह के किसी मामले की जानकारी नहीं है। अगर कार्यपालक अभियंता के फील्ड में पदस्थापना पर पहले से रोक हैं तो वर्तमान में उन्हें कैसे पदस्थापित किया गया! यह गंभीर मामला है। सरकार ऐसे मामलों में काफी गंभीर है। इसके लिए दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

विजय कुमार चौधरी
मंत्री, ग्रामीण कार्य विभाग
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धमदाहा कार्यपालक अभियंता के फील्ड में पदस्थापना पर रोक है और उनके खिलाफ गंभीर मामले विभागीय कार्रवाई में अभियंता प्रमुख द्वारा सही पाए गए हैं। इसकी जानकारी मुझे नहीं है। इस मामले की खुद जांच कराउंगा और किसी तरह की गड़बड़ी हुई होगी तो कार्रवाई की जाएगी
पंकज पाल प्रधान सचिव ग्रामीण कार्य विभाग
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राजीव कुमार, पूर्णिया : भष्ट्राचार पर जीरो टालरेंस के सरकार के दावे की ग्रामीण कार्य विभाग में जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। धांधली का आलम यह है कि भ्रष्टाचार के दोषी जिस अभियंता की फिल्ड में पदस्थापन पर रोक है विभाग ने उसे ही धमदाहा का कार्यपालक अभियंता पदस्थापित कर दिया गया।
ग्रामीण कार्य विभाग ने धमदाहा के कार्यपालक अभियंता जून 2020 में अर्जुन कुमार सिंह को पदस्थापित किया है। इसके पूर्व वे गया क्षेत्रीय प्रयोगशाला में कार्यपालक अभियंता के रूप में पदस्थापित थे। अर्जुन सिंह के खिलाफ सालमारी में महानंदा फेज वन के कार्य में धांधली करने का आरोप लगा था। तब वे सहायक अभियंता थे। उड़नदस्ता टीम ने उनके खिलाफ रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद उन्हें निलंबित किया गया और विभागीय कार्रवाई शुरू की गई। उस वक्त वे मुजफ्फरपुर में पदस्थापित थे। सरकारी नियमानुसार विभागीय कार्रवाई के कारण अर्जुन सिंह के फिल्ड में तैनाती पर रोक लग गई।
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अभियंता प्रमुख ने किया विभागीय कार्रवाई का संचालन
अर्जुन सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के प्रतिवेदन के तौर पर अभियंता प्रमुख ने अपने कार्यालय के पत्रांक 24 दिनांक 29.05.2020 के द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन सचिव को रिपोर्ट भेजी। इसमें कहा गया कि प्राक्कलन में मद संख्या 9 का समावेश अतिरेक है। इसे कार्य के दौरान भी संज्ञान में नहीं लिया गया।ह इस मद में संवेदक को भुगतान की गई कुल राशि 53. 52 लाख की वसूली की जा चुकी है। इससे सरकार को किसी तरह की वित्तीय क्षति नहीं हुई है। इसके बाद भी कार्य के प्राक्कलन एवं कार्य के क्रियान्वयन एवं भुगतान से संबंधित सभी अभियंता सामान रूप से दोषी प्रतीत होते हैं। इस कारण अर्जुन कुमार सिंह सहायक अभियंता जल संसाधन विभाग बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल सालमारी के विरूद्ध आरोप संख्या एक दो एवं तीन को प्रमाणित माना जा सकता है।
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अपर सचिव ने पूछा है दूसरा स्पष्टीकरण
मुख्य अभियंता द्वारा अर्जुन कुमार सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई प्रतिवेदन सौंपे जाने के बाद ग्रामीण कार्य विभाग के अपर सचिव ने इस मामले में अर्जुन कुमार सिंह से दूसरा स्पष्टीकरण पूछा। अपर सचिव संजय दुबे ने अपने कार्यालय पत्रांक 1243 दिनांक 03.07. 2020 के द्वारा कहा कि अभियंता प्रमुख ने जांच प्रतिवेदन में आपके विरूद्ध आरोपों को सही पाया है। इस मामले में जांच पदाधिकारी के जांच प्रतिवेदन से आप सहमत है क्या? इस कारण बिहार सरकारी सेवक नियमावली 2005 के नियम 18(3) में निहित प्रावधान के आलोक में द्वितीय कारण पृच्छा 15 दिनों के अंदर विभाग को समर्पित किया जाए।
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विभाग ने दिया पदस्थापन का तोहफा
स्पष्ट है कि विभागीय कार्रवाई जारी है। सरकारी नियमानुसार फिल्ड पदस्थापन पर रोक है। पर विभाग ने उन्हें तोहफे के रूप में धमदाहा के कार्यपालक अभियंता के रूप में पदस्थापित कर दिया। इसके पूर्व अपर सचिव कारण पृच्छा अर्जुन सिंह को 15 दिनों में जिसका जवाब देना था पर पांच माह बाद भी उसका कोई जवाब अभियंता द्वारा नहीं दिया गया।
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क्या था पूरा मामला
अर्जुन कुमार सिंह तत्कालीन सहायक अभियंता बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल सालमारी के द्वारा अपने पदस्थापन अवधि 2010-11 से 2013- 14 के बीच की अवधि में अपर महानंदा फेज वन के अधीन केन्द्र प्रायोजित योजना के तहत महानंदा नदी के दाएं एवं बाएं तटबंध के ऊंचीकरण एवं शुद्धिकरण का कार्य एवं ब्रीफ सोलिग कार्य प्रावधानों के विपरीत प्राक्कलन गठन कार्यान्वयन तक में बरती गयी अनियमितता की जांच उड़नदस्ता टीम द्वारा की गई। जांच प्रतिवेदन के समीक्षा बाद कार्य में बरती गयी अनियमिता के लिए सहायक अभियंता अर्जुन कुमार सिंह से स्पष्टीकरण मांगा गया परंतु उनके द्वारा इसका जवाब नहीं दिया गया। इस कारण विभाग ने उड़नदस्ता टीम द्वारा लगाए गए आरोप में उन्हें दोषी पाया।

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