नए डीएम से जिलेवासी को है काफी आशाएं

मधेपुरा। नए साल के पहले दिन डीएम का पदभार ग्रहण करने वाले आइएएस श्याम बिहारी मीणा से जिलेवासियों को काफी आशाएं हैं। जिलाधिकारी के रूप में पहली बार कार्यभार संभाल रहे श्याम बिहारी मीणा इससे पहले आपदा प्रबंधन विभाग में संयुक्त सचिव व भागलपुर नगर निगम में नगर आयुक्त का जिम्मा संभाल चुके हैं।

मधेपुरा डीएम बनाए गए 2014 बैच के आइएएस अधिकारी से एनएच 106 व 107 की धीमी गति से हो रहे कार्यों की सतत निगरानी कर तेजी लाने की उम्मीद है। जिले से गुजरने वाली एनएच 106 व 107 जिले के लिए अभिशाप बनी हुई है। वहीं इसके अलावा मेडिकल कॉलेज की व्याप्त कुव्यवस्था को ढर्रे पर लाने की भी चुनौती होगी। यद्यपि एनएच एवं मेडिकल कॉलेज में सीधा जिला प्रशासन का हस्तक्षेप नहीं है। लेकिन जिलाधिकारी वरीय व संबंधित अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर इसके बेहतरी के लिए कोशिश कर सकते हैं। पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने एनएच को लेकर अपनी प्राथमिकता भी बताई है। पब्लिक व प्रशासन की दूरी करनी होगी कम नवपदस्थापित डीएम के समक्ष आमलोगों से बेहतर समन्वय स्थापित करने की भी चुनौती होगी। जिला प्रशासन अब तक आमलोगों से कटी कटी सी रही है। आमलोग अपनी बात भी जिलाधिकारी तक नही पहुंचा पा रहे थे। जबकि जिले के बेहतरी के लिए सभी महत्वपूर्ण संस्था, संगठनों व आमजनों के साथ समन्वय की काफी जरूरत होती है। बाबा मंदिर के पुनर्निर्माण की भी हैं आशाएं बाबा मंदिर अभी हो चुका है काफी जर्जर डीएम है सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष बाबा मंदिर की प्रशासनिक व्यवस्था है अभी चरमराई हुई संवाद सूत्र, सिंहेश्वर(मधेपुरा) : जिले की पहचान ऐतिहासिक सिंहेश्वर स्थान मंदिर से है। मंदिर की संचालन व्यवस्था का जिम्मा जिस सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के अधीन है। डीएम उसके अध्यक्ष हैं। बाबा मंदिर में अभी बहुत सारे कार्य होने हैं। बाबा मंदिर को राज्य पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए अभी काफी प्रयास किया जाना है। अभी मंदिर की प्रशासनिक व्यवस्था चरमराई हुई है। मंदिर के पुनर्निर्माण की भी मांग तेज हो रही है। दशकों पूर्व बना मंदिर अब काफी जर्जर हो चुका है। स्थिति यह है कि बरसात के मौसम में जगह जगह छत से पानी टपकती है। वही कर्मियों की मनमानी भी चरम पर है। मनमाने तरीके से की गई कई नियुक्तियों पर राज्य धार्मिक न्यास पर्षद आपत्ति जता चुकी है। हालात यह है कि मंदिर न्यास समिति के कई सदस्यगण ही खुद व्यवस्थाओं से इतने नाराज है कि वर्तमान कमेटी को भंग करने के लिए पर्षद को पत्र भेजने तक कि बात कह रहे हैं। मार्च में महाशिवरात्रि मेला भी लगना है। मेला को बेहतर तरीके से लगवाना एक चुनौती है। इधर बीते वर्षों से लगातार मेले की चमक फीकी पड़ती जा रही है।

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