पूर्णिया में जल जीवन हरियाली मिशन से बढ़ी आस, जल संरक्षण का हो रहा प्रयास

पूर्णिया। जल के अकूत भंडार वाले पूर्णिया के इलाके में घट रहे भूजल स्तर ने पर्यावरणविदों और विभागीय अधिकारियों की चिता बढ़ा दी है। वनों के घटने और तलाब व पोखरों जैसे परंपरागत जल स्त्रोतों के संरक्षण के प्रति लापरवाही हमारे लिए काफी खतरनाक साबित हो रही है। जहां हरे भरे वन थे वहां आज कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं। जल स्त्रोतों का अतिक्रमण कर अट्टालिकाएं खड़ी की जा रही हैं, जिससे नदियां भी अपना रास्ता बदल रही हैं और भूजल स्तर नीचे जा रहा है। लेकिन सरकार ने जल जीवन हरियाली मिशन शुरू कर जल संरक्षण के प्रति गंभीरता दिखाई है जिससे आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार की उम्मीद है। कभी चलती थी नाव आज खड़ी हो गई अट्टालिकाएं


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लाइन बाजार स्थित कप्तान पुल के पास कभी नदी बहती थी जिसमें नाव चलती थी लेकिन आज वहां महल खड़े हो गये हैं। यह एक वानगी मात्र है। यहां कई नदी नालों पर आज बड़े बड़े भवन खड़े हो गए हैं। जिस कारण एक ओर नदियों ने मुंह मोड़ना शुरु कर दिया है वहीं परंपरागत जल स्त्रोतों का भी क्षरण हो रहा है। कृषि वैज्ञानिक व भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. पंकज कुमार कहते हैं कि जल स्त्रोतों का संरक्षण के अभाव के कारण यहां के खेतों में नमी घट रही है जो चिता का विषय है। इस दिशा में जल्द सोचने की जरुरत है। बर्बाद हो रहा वर्षा जल
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सूख रही नदियों की जमीन का अतिक्रमण पर्यावरण एवं हमारे भविष्य के लिए घातक साबित हो सकता है। भू जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है जिस कारण किसानों को भी अब पहले के मुकाबले सिचाई के लिए अधिक खर्च करने पड़ते हैं। इसका कारण वर्षा काल में बड़ी मात्रा में जल का बर्बाद हो जाना है। हमारे तमाम पोखर और तलाब कचड़े, गाद और मिट्टी से भरे हैं। हालांकि तालाब का जीर्णोद्धार कर जल संरक्षण का प्रयास क्षेत्र में शुरू किए गए हैं। लेकिन इसके लिए कई स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है। परंपरागत जल संरक्षण का प्रयास इस क्षेत्र में काफी कारगर साबित हो सकता है। पूर्णिया जैसा क्षेत्र जो जल संसाधन के मामले में समृद्ध है वहां आधुनिक से अधिक परंपरागत जल संरक्षण के तरीके अधिक कारगर होंगे। जब चारों ओर जल को लेकर हाहाकार मच रहा है तब हम इस बात से संतोष कर चैन से नहीं रह सकते कि हमारे इलाके में प्रचूर जल संसाधन मौजूद हैं। हमें जल की बचत के साथ साथ उसके संरक्षण के लिए भी जागरूक होना होगा। सरकारी योजनाओं से होगा जल संरक्षण
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राज्य सरकार द्वारा पूरे बिहार में जल जीवन हरियाली मिशन की शुरुआत की गई है जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है तथा पर्यावरण भी सुरक्षित होगा। मिशन के तहत जिले में पांच लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं वहीं सार्वजनिक कुओं, आहर-पाइन व तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। कुंआ एवं चापाकल के निकट सोख्ता का निर्माण कराया जा रहा है तथा नए जल स्त्रोतों का सृजन किया जा रहा है। वर्षा जल संचयन के लिए जिले में बन रहे सरकारी भवनों पर निर्माण कराया जा रहा है। पुराने भवनों के छत पर भी वर्षा जल संचयन का कार्य किया गया है। मिशन के तहत जिले में 46 हजार सोख्ता का निर्माण कराया जा रहा है जबकि 7500 तालाबों का भी निर्माण कराया जा रहा है। इसके अलावा निजी जमीन पर तालाब बनाने के इच्छुक लोगों को भी सहायता देने की पेशकश की गई है। उक्त तमाम प्रयासों से जल संरक्षण को बल मिलने की उम्मीद है। आशा है कि नए साल में जल संरक्षण की दिशा में हम बहुत हद तक कामयाब हो सकेंगे।
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