1998 में सर्वदमन बनर्जी और मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म को स्वामी विवेकानंद पर बनी सबसे अच्छी फिल्मों में से एक माना जाता है

स्वामी विवेकानंद भारत ही नहीं दुनिया भर में आदर्श हैं. फिल्म इंडस्ट्री में भी स्वामी विवेकानंद के ऊपर फिल्में और सीरियल्स बने. कई बार जिक्र भी हुआ. ऐसी ही एक फिल्म 1998 में आई थी जिसका नाम भी स्वामी विवेकानंद ही थी.

1998 में सर्वदमन बनर्जी और मिथुन चक्रवर्ती की इस फिल्म को स्वामी विवेकानंद पर बनी सबसे अच्छी फिल्मों में से एक माना जाता है. इस फिल्म को सपोर्टिंग एक्टिंग के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला था.
ये फिल्म जीवी अय्यर ने बनाई थी और इसका स्क्रीन प्ले भी उन्होंने ही लिखा था. इस फिल्म में मिथुन और सर्वदमन बनर्जी के अलावा राखी गुलजार ने भी काम किया था. फिल्म में मुख्य रूप से विवेकानंद की जीवनी दिखाई गई थी.
1863 में विवेकानंद के जन्म से लेकर 1887 में वेस्ट से उनकी वापसी तक, उनकी पूरी यात्रा फिल्म में दिखाई है. ये फिल्म 4 घंटे की है. फिल्म में खासतौर पर विवेकानंद के उस पक्ष को दिखाया गया है जब वे सत्य और जीवन का मतलब खोजते हैं, इसे लेकर अपने आप से सवाल पूछते रहते हैं. विवेकानंद की पूरी यात्रा के लिए ये फिल्म देखी जा सकती है. फिल्म में स्वामी जी के कई पहलुओं के बारे में विस्तार से चर्चा मिलती है.
फिल्म में बेहतरीन एक्टिंग के लिए मिथुन चक्रवर्ती को नेशनल अवॉर्ड मिला था. फिल्म में मिथुन ने विवेकानंद के गुरु श्री रामकृष्णा परमहंस का किरदार निभाया था

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