पछिया गा रही ठंड का तराना, कनकनी से नहीं मिल रही राहत



जागरण संवाददाता, सुपौल : तीन दिनों से ठंड ने लोगों को मुश्किल में डाल दिया है। कुहासे का साम्राज्य कायम रहने से धूप नहीं निकल रही इससे मौसम का मिजाज बदलने का नाम नहीं ले रहा है। मकर संक्रांति से सूर्य के उत्तरायण होने के बाद माना जाता है कि ठंड में कमी होनी शुरू हो जाती है लेकिन यह मान्यता साकार होती नहीं दिख रही है। इसके उलट ठंड बढ़ गई है। शुक्रवार को भी धूप नहीं निकलने से सुबह के समय सड़कों पर गाड़ियों की लाइट जली हुई थी। पछिया का ठंड का तराना गाने के कारण लोगों को कनकनी से राहत नहीं मिल रही है।

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रातभर छाया रहा घना कुहासा
गुरुवार की दोपहर थोड़ी देर के लिए धूप निकली थी तो लोगों ने राहत महसूस की थी। लोगों को उम्मीद थी कि अगले दिन मौसम साफ करेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पूरी रात घना कुहासा छाया रहा जो देर सुबह तक कायम रहा। दोपहर के समय आसमान में बादल छाए रहे जिससे धूप नहीं निकली। ठंड के कारण बाजार भी मंदा चल रहा है। फुटपाथ पर दुकानें लगाकर जीवन-यापन करने वालों के समक्ष समस्या उत्पन्न हो गई है। ठंड के कारण लोग बाजार नहीं आ रहे हैं। फुटपाथ पर कपड़े बेचने वाले दुकानदार सुशील ने कहा कि तीन-चार दिन पहले तक उतनी ठंड नहीं पड़ रही थी इसलिए गर्म कपड़े की बिक्री अधिक नहीं हो रही थी। अब ठंड इतनी अधिक रह रही है कि लोग बाजार आने नहीं चाहते इससे बिक्री प्रभावित हुई है। ठंड में अंडे की बिक्री में तेजी आई है। शाम ढलते ही अंडे की दुकानों पर भीड़ लगने लगती है। अंडा विक्रेता तजमूल ने बताया कि हाल के दिनों में अंडे की बिक्री बढ़ी है।
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गेहूं-तेलहन की बल्ले-बल्ले, आलू को खतरा
दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में ठंड से किसानों की परेशानी बढ़ी है। हालांकि ठंड से गेहूं-तेलहन की तो बल्ले-बल्ले है लेकिन आलू को खतरा रहता है। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार की माने तो तापमान में आई गिरावट रबी फसल के लिए अनुकूल है। जिस तरह तापमान बढ़ा हुआ था तो गेहूं समय से पहले ही पक जाता जिसका असर पैदावार पर पड़ता। इसके अलावा तेलहन व दलहन फसल में भी कई तरह की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती। खासकर इन फसलों में लाही रोग लगने का मुख्य कारण अत्यधिक तापमान ही है। ऐसे समय में आलू की फसल को पाला का खतरा रहता है। पाला लगने पर पत्तियां काली पड़ने लगती है और धीरे-धीरे पौधे सूख जाते हैं।
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