टीम इंडिया के 'कस्बाई लड़कों' ने गाबा में चूर किया ऑस्ट्रेलिया का घमंड

Border Gavaskar Trophy : नई दिल्ली। साल 2018 के अंतिम महीने में जब भारत (India) ने आस्ट्रेलिया (Australia) को 2-1 से हराकर बाॅर्डर गावस्कर ट्राॅफी में हराया था तो कई दिग्गजों ने कहा कि कंगारू के पास स्टीव स्मिथ-डेविड वार्नर (David Warner) जैसे खिलाड़ी टीम में नहीं थे, जिस कारण भारत सीरीज जीतने में सफल रहा। लेकिन अब ऐसे सवाल करने वालों के पास जवाब नहीं हैं क्योंकि भारत ने एक बार फिर कंगारूओं को मात दी है। वो भी युवा लड़कों के सहयोग से। गावा के ब्रिस्बेन में हुआ चाैथा मैच अहम था, लेकिन स्मिथ-वार्नर को युवा गेंदबाजों ने चलने नहीं दिया। भारत की जीत से ना सिर्फ फैंस खुश हैं, बल्कि क्रिकेट जगत भी हैरान हैं कि आखिर कैसे युवा खिलाड़ियों के सामने अनुभवी खिलाड़ी से सजी कंगारू टीम ने घुटने टेक दिए।

चाैथे टेस्ट में रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, हनुमा विहारी (Hanuma Vihari) और जसप्रीत बुमराह को चोटों के कारण सिडनी (Sydney) में मैच से बाहर कर दिया गया था और वाशिंगटन सुंदर, मयंक अग्रवाल, शार्दुल ठाकुर और टी नटराजन (T Natarajan) को टीम में शामिल किया गया। ऐसा लग रहा था कि टीम का जितना मुश्किल हैं क्योंकि टीम युवाओं से सजी थी। ऑस्ट्रेलिया 1988 के बाद से वहां कभी भी टेस्ट मैच नहीं हारा है लेकिन भारतीय टीम ने उनके जीत के क्रम को तोड़ दिया।
गाबा के मैदान में पहली बार किसी टीम ने 300+ रन का टारगेट चेज किया है। इससे पहले यहां सबसे बड़ा 236 रन का टारगेट चेज किया गया था। यह उपलब्धि ऑस्ट्रेलिया ने ही नवंबर 1951 में हासिल की थी। तब मेजबान ने वेस्टइंडीज को 3 विकेट से हराया था।
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आखिरी मैच में नटराजन ने 3 विकेट लिए, सिराज ने 6, सुंदर ने 4 और शार्दुल ने 7. सुंदर और शार्दुल ने भी पहली पारी में अर्द्धशतक बनाया और शतक बनाया।

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