सदर अस्पताल में कैद होकर रह गई है कंगारू मदर केयर यूनिट

कम वजन वाले कमजोर नवजात को मदर केयर यूनिट का नहीं मिल रहा लाभ

संवाद सहयोगी, लखीसराय : जिले में जन्म लेने वाले कम वजन एवं कमजोर नवजात के समुचित विकास को लेकर सदर अस्पताल में दस चेयर की कंगारू मदर केयर यूनिट की स्थापना की गई है। परंतु अस्पताल प्रशासन की उदासीनता के कारण कंगारू मदर केयर यूनिट सदर अस्पताल स्थित एक कमरा में कैद होकर रह गया है। कमजोर एवं कम वजन वाले नवजात को कंगारू मदर केयर यूनिट का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कंगारू मदर केयर यूनिट में नवजात को सीने से लगाकर स्तनपान कराने एवं नवजात के शरीर में मां के शरीर की गर्मी पहुंचाने के लिए नवजात के स्कीन से मां के स्कीन का स्पर्श करने लायक डेढ़ वर्ष पूर्व दस आराम दायक कुर्सियां (चेयर) लगाई गई है। उक्त चेयर पर लेटकर नवजात को स्तनपान कराने में मां को काफी सुविधा होगी। शुरूआती साथ ही मां के शरीर की गर्मी पाकर नवजात के वजन में तेजी से वृद्धि होगी। कंगारू मदर केयर यूनिट के लिए मंगाई गई कुर्सियां एक कमरे में बंद है। मां को उसपर लिटाकर कम वजन एवं कमजोर नवजात को स्तनपान नहीं कराया जा रहा है।

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कंगारू मदर केयर यूनिट की विशेषता
कंगारू एक ऐसा जानवर है जो अपने नवजात को सीने से लगाकर रखता है। नवजात के हृष्ट-पुष्ट एवं पूर्णरूपेण स्वस्थ होने तक मादा कंगारू अपने नवजात को अपने सीने से लगाकर रखती है। इसलिए मादा कंगारू को अपने नवजात का सबसे अधिक देखभाल करने वाला सफल मादा पशु के तौर पर जाना जाता है।
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जन्म लेने वाले पांच फीसद नवजात की हो जाती है मौत
जिले में 40 फीसद नवजात कम वजन के जन्म लेते हैं। कई नवजात का समय से पूर्व ही जन्म हो जाता है। जिसमें से पांच फीसद नवजात की मौत जन्म के कुछ देर बाद ही हो जाती है। जबकि सुचारू रूप से देखभाल नहीं होने के कारण ऐसे नवजात कुपोषण का शिकार होकर कई बीमारियों की चपेट में आकर असमय ही मौत के मुंह में समा जाते हैं।
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कोट
सदर अस्पताल में कंगारू मदर केयर यूनिट बनकर पूरी तरह तैयार है। इसके लिए दस स्पेशल कुर्सी मंगाई गई है। एक कुर्सी की कीमत करीब बीस हजार रुपये है। प्रसूता के बाद नवजात के साथ प्रसूता को 48 घंटे अस्पताल में रूकने का प्रावधान है। अधिकांश महिलाएं प्रसव के चार से पांच घंटे के भीतर ही अस्पताल से घर चली जाती है। यही कारण है कि कंगारू मदर केयर यूनिट का उपयोग नहीं हो पाता है। प्रसव कक्ष की नर्स को नवजात के साथ प्रसूता को कम-से-कम 48 घंटे अस्पताल में रोकने का निर्देश दिया गया है। नर्स के तमाम प्रयास के बावजूद प्रसूता घर चली जाती हैं।
नंद किशोर भारती, प्रबंधक, सदर अस्पताल, लखीसराय
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