स्वतंत्रता के जांबाज सिपाही थे रघुवीर मंडल

संसू, कुआड़ी (अररिया): स्वतंत्रता प्राप्ति के 74 वर्ष बीतने के बाद भी चाहे गणतंत्र दिवस का मौका हो या फिर स्वतंत्रता दिवस का भारत नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट कुआड़ी बाजार के इस जांबाज सेनानी की याद बरबस ताजा हो उठती है।

भारत माता की गुलामी की जंजीरों में जकड़े एवं उनके सपूतों पर अंग्रेजों का अत्याचार देख सीमावर्ती क्षेत्र के इस रणबांकुरे ने 19 वर्ष की आयु में 26 जनवरी 1932 को मनाएं जा रहे स्वाधीनता दिवस के मौके पर अपने हाथों में तिरंगा लहराते हुए स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। सीमावर्ती क्षेत्र के लाल युवा जाबांज सिपाही रघुवीर मंडल का जन्म तत्कालीन कुर्साकांटा प्रखंड अंतर्गत कुआड़ी बाजार के एक छोटे-मोटे किसान परिवार में हुआ था। अछ्वुत प्रतिभा के धनी अदम्य साहसी एवं करक मिजाज वाले आजादी के दीवाने श्री मंडल पर कमलानंद विश्वास ,रामदेनी द्विजदेनी तिवारी तथा रामाश्रय हलवाई के व्यक्तित्व का अच्छा खासा प्रभाव पड़ा। शुरुआती दौर में श्री रघुवीर मंडल जहां छुप-छुपकर भारत माता की आजादी के लिए अंग्रेजो के खिलाफ कार्य करते रहें ।वही बाद में वे खुलकर सामने आ गए। भारत छोड़ो आंदोलन एवं करो या मरो के नारे के तहत 22 अगस्त 1942 में श्री मंडल ने श्री कमला नंद विश्वास, विश्वनाथ गुप्ता, रामाश्रय हलवाई के अगुवाई में रहकर सैकड़ों दीवाने के साथ कई शराब की दुकानें ,डाकघरों को लूटपाट कर आग के हवाले कर दिया ,तत्पश्चात कुआड़ी पुलिस स्टेशन के जमादार तत्कालीन राम नगीना पांडे द्वारा श्री मंडल सहित कई अन्य साथियों को पकड़कर बेहरमी के साथ मारपीट कर अररिया जेल भेज दिया गया। इसके कुछ दिन बाद यहां से भागलपुर जेल भेज दिया गया। जहां उन्हें जेल में काफी यातनाएं दी जाती थी। कई महीनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया किया गया। सीमावर्ती क्षेत्र अररिया के लाल कुआड़ी के महान सपूत 80 वर्ष की उम्र में चल बसे ,लेकिन आज भी स्वतंत्रता संग्राम के उनके योगदान की चर्चा गली मोहल्लों में गूंज रही है
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