चौथम के मुख्य जलस्त्रोत के जीर्णोद्धार पर लगा है ग्रहण

खगड़िया। आने वाले गर्मी में पेयजल संकट को दूर करने के लिए सरकार की ओर से जल जीवन हरियाली योजना चलाई जा रही है। सूबे के सभी सरकारी व गैर सरकारी जलस्त्रोतों, तालाबों को ढूंढने के साथ जीर्णाेद्धार का कार्य किया जा रहा है। तालाब व अन्य छोटे-छोटे जलस्त्रोत जल संरक्षण का सबसे बड़े साधन हैं। चौथम प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कई छोटे-बड़े तालाब व नदी की उपधाराएं हैं। कई मृत हो चुकी है तो कई जलस्त्रोत जीर्णोद्धार की आस में समाप्त होने के कगार पर है। जिसमें प्रखंड का मुख्य जलस्त्रोत पिपरा पंचायत के भतरींधा से गुजरने वाली पौस नाला है। यह पौस नाला लगभग आठ किलोमीटर की लंबाई में है। बरसात के दिनों में यह पानी से भर जाता है और बरसात के बाद धीरे-धीरे जलस्तर कम हो जाती है। यहां तक कि लगभग सूख ही जाती है। वर्षों पूर्व यह धार (पौस नाला) लोगों के लिए किसी जीवनदायिनी से कम नहीं था। बरसात व बाढ़ के समय एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए जल मार्ग बन जाता था। गर्मी के मौसम में यह धार पशुओं के लिए स्नानागार से कम नहीं होता था। इसके अलावा स्थानीय मछुआरों के लिए मछली पालन का केंद्र था। मछुआरे इस धार से मछली पकड़कर आय भी अर्जित करते थे। इतना ही नहीं यह धार किसानों के लिए अच्छी सिचाई का साधन भी था। लेकिन समय के साथ धार का भी अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। इस धार को बचाने के लिए स्थानीय लोग वर्षों से जीर्णोद्धार की मांग कर रहे हैं। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं हो सका है।

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तत्कालीन जिला परिषद उपाध्यक्ष सह वर्तमान जदयू जिलाध्यक्ष सुनील कुमार ने जिला परिषद की बैठक में भी पौसनाला जीर्णोद्धार का मामला उठाया था। सुनील कुमार ने बताया कि लघु सिचाई विभाग की ओर से सर्वे भी किया गया। निविदा प्रक्रिया भी अपनाई गई। लेकिन नतीजा शून्य ही है। जबकि यह पौसनाला पिपरा पंचायत ही नहीं कई पंचायतों के लोगों के लिए लाभकारी है। सिलटेशन के कारण पौस नाला मृत होने के कगार पर है। अगर विभाग की ओर से ध्यान दिया जाए तो धार का कायाकल्प हो जाएगा। ''विभाग की ओर से वर्ष 2019 में जीर्णोद्धार को लेकर निविदा निकाली गई थी। लेकिन संवेदक की ओर से उक्त निविदा में भाग नहीं लिया गया। अब जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत पुन: टेंडर कराया जाएगा। जल्द ही इस दिशा में कार्य किया जा रहा है।
नवल किशोर, कार्यपालक अभियंता, लघु सिचाई विभाग खगड़िया।
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