रूपेश हत्‍याकांड: पैसेवाले परिवार का इकलौता बेटा है ऋतुराज, पुलिस का दावा-बैंक की नौकरी छोड़ शौक से बना अपराधी 

बिहार के हाईप्रोफाइल रूपेश हत्‍याकांड में पकड़ा गया मुख्‍य आरोपी ऋतुराज को पैसे-रुपए की कोई समस्‍या नहीं थी। वह एक करोड़पति परिवार का इकलौता बेटा है। वह शादीशुदा और एक बच्‍ची का पिता है। जयपुर से भूगोल में बीए आनर्स करने के बाद उसने बैंक और काल सेंटर में नौकरी भी की लेकिन फिर शौक से बाइक चोर बन गया। पुलिस का दावा है कि ऋतुराज, शौकिया अपने पास हथियार भी रखने लगा। स्‍वभाव से गुस्‍सैल था, सो रोडरेज की घटना के बाद बदला लेने की नीयत से दो महीने तक रेकी करता रहा और अंतत: 12 जनवरी को अपने तीन साथियों की मदद से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर उसने रूपेश की जान ले ली। 

इंडिगो के स्‍टेशन मैनेजर रूपेश कुमार सिंह की हत्‍या के मुख्‍य आरोपी के तौर पर पकड़े गए ऋतुराज की ये कहानी बुधवार को पटना के एसएसपी उपेन्‍द्र शर्मा के जरिए लोगों के सामने आई। हालांकि रूपेश के घरवालों सहित कई लोगों को पुलिस की थ्‍योरी पर भरोसा नहीं है। वे सवाल उठा रहे हैं कि क्‍या रोडरेज जैसी मामूली बात को लेकर इतने अच्‍छी प्रोफाइल के किसी शख्‍स की ऐसी जघन्‍य हत्‍या हो सकती है? वो भी रोडरेज के दो महीने बात।
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पुलिस के मुताबिक नवम्‍बर 2020 के किसी दिन लोजपा दफ्तर की ओर से एयरपोर्ट की तरफ जाते वक्‍त ऋतुराज, रूपेश की एसयूवी कार की चपेट में आते-आते बच गया था। ऋतुराज ने पुलिस को बताया है कि तब रूपेश ने गाड़ी से उतरकर उसे पीट दिया। इसी घटना के गुस्‍से में उसने रूपेश की गाड़ी का पीछा किया। दो महीने तक उनकी गतिविधियों पर नज़र रखी और आखिकार 12 जनवरी को उन्‍हें मौत के घाट उतार दिया। 
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तीन कट्ठे में बने करोड़ों के मकान में रहता है ऋतुराज का परिवार एसएसपी पटना के मुताबिक ऋतुराज का परिवार आरकेनगर में तीन कट्ठे में बने करोड़ों के मकान में रहता है। उसे पैसे-रुपयों की कोई कमी नहीं थी। परिवार का अपना ईंट-भट्ठा है। लेकिन अपने शौक के चलते ऋतुराज 2016 में नौकरी छोड़कर घर लौट आया। डेढ़-दो साल से बाइक चोरी की घटनाओं को अंजाम देने लगा। रूपेश की हत्‍या में शामिल पल्‍सर और अपाची बाइक के नंबर प्‍लेट भी पुलिस को मिले हैं। ये नंबर फर्जी हैं। वारदात से पहले बाइक पर दूसरी नंबर प्‍लेट लगी थी जबकि वारदात के बाद दूसरी। पुलिस ने घटना के बाद रूपेश के अपार्टमेंट के आसपास से लेकर कई इलाकों के करीब दो सौ सीसीटीवी कैमरे खंगाले, 4000 सीडीआर और छह सौ जीबी डाटा की जांच की। 50 से अधिक लोगों से पूछताछ की। घटना में ठेकेदारी, कुछ समय पहले कुछ कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने, टेम्‍पो स्‍टैंड विवाद सहित विभिन्‍न पहलुओं की गइराई से जांच की तब जाकर ऋतुराज तक पहुंच सकी।
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घटना के अगले दिन रांची भाग गया था
वारदात के अगले दिन मीडिया में रूपेश मर्डर केस की बड़ी कवरेज पड़कर ऋतुराज को जब यह अंदाज हुआ कि उसने एक बड़ी प्रोफाइल के शख्‍स की हत्‍या कर डाली है तो वह घबड़ाकर पहले बैरिया फिर रांची भाग गया। पुलिस के मुताबिक ऋतुराज ने लगातार मीडिया की खबरों पर नज़र बनाए रखी। अलग-अलग दिशाओं में चल रही जांच से जब उसे यकीन हो गया कि अब उसका पकड़ में आना मुश्किल है तो वह पटना लौट आया। लेकिन एसआईटी, एसटीएफ और पुलिस की कई टीमों ने लगातार तकनीकी ढंग से अपनी पड़ताल जारी रखी और आखिरकार ऋतुराज और हत्‍याकांड में शामिल रहे उसके तीन साथियों की पहचान साफ हो गई। एसएसपी उपेन्‍द्र शर्मा ने दावा किया कि जल्‍द ही ऋतुराज के अन्‍य साथी भी पुलिस की गिरफ्त में होंगे। 

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