समस्याओं से घिरे बांक पंचायत के बहुरेंगे दिन

मुंगेर। जमालपुर प्रखंड का बांक पंचायत मुंगेर नगर निगम और सदर प्रखंड की सीमा से जुड़ती है। जिला मुख्यालय से निकलते ही बांक पंचायत की सीमा शुरू हो जाती है। सिचाई, पेयजल, नाला की सफाई नहीं होने, बदहाल स्वास्थ्य केंद्र जैसी समस्याओं से जूझ रहे बांक पंचायत के दिन अब बहुरने वाले हैं।

बांक पंचायत के बगल से गंगा नदी पर बने रेल सह सड़क पुल का एप्रोच पथ गुजरने वाला है। बांक के समीप ही विश्वविद्यालय मुख्यालय के लिए जमीन का भी चयन किया जा रहा है। विकास की असीम संभावनाओं के कारण बांक पंचायत में जमीन की कीमत में कई गुणा अधिक बढ़ गई है।
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बांक पंचायत की यह है विशेषता
बांक पंचायत में प्रसिद्ध जागरण धाम मंदिर है। यहां दूर दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी जाने वाली हर मुराद पूरी होती है। आस्था का दूसरा केंद्र बांक का प्रसिद्ध काली मंदिर है। काली पूजा के दौरान यहां भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। काली पूजा के अवसर पर क्वीज प्रतियोगिता का भी आयोजन होता है। जन प्रतिनिधि से लेकर वरीय अधिकारी तक कार्यक्रम में शिरकत करते हैं। सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाता है। यह कई परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
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बांक का है दबदबा
जमालपुर प्रखंड प्रमुख मंजू देवी का घर बांक पंचायत में ही है। वे दो बार से लगातार प्रखंड प्रमुख पद पर आसीन हैं। बांक पंचायत की मुखिया बेबी देवी जिला मुखिया संघ की अध्यक्ष भी हैं। बांक पंचायत के कई लोग जिला की सक्रिय राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं।
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बांक पंचायत आंकड़ों में
क्षेत्रफल : बांक पंचायत छह किलोमीटर क्षेत्र में फैला है आबादी : 12 हजार साक्षरता दर : 62 प्रतिशत
वार्ड : बांक पंचायत में कुल 15 वार्ड हैं बांक पंचायत के गांव-मुहल्ले : कंचनगढ़, हरपुर, बांक, सुतूरखाना, मुबारकचक, बनौधा, गुलालपुर, मंगरा पोखर, मिन्नतनगर आदि रोजगार : गांव के लोगों की आजीविका का साधन खेती, पशुपालन और मजदूरी है। विद्यालय : चार मध्य विद्यालय और चार प्राथमिक विद्यालय हैं। जिसमें हरपुर मध्य विद्यालय और कंचनगढ़ प्राथमिक विद्यालय का भवन जर्जर है। स्वास्थ्य : पंचायत में एक उप स्वास्थ्य केंद्र है। स्वास्थ्य केंद्र का भवन भी जर्जर है। ---------------
सिचाई की समस्या
बांक पंचायत में सबसे बड़ी समस्या खेतों की सिचाई है। यहां के किसान बारिश के भरोसे खेती करते हैं। सिचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण धान की खेती नहीं हो पाती है। किसान गेहूं, दलहन और मक्का की खेती करते हैं। बांक पंचायत में 600 एकड़ में खेती होती है।
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साफ-सफाई का नहीं है प्रबंध
बांक पंचायत में सभी वर्ग के लोग रहते हैं। एक तरफ यादव का एक बहुल्य इलाका है, वहीं मुबारकचक, बनौधा, गुलालपुर में अल्पसंख्यक समाज रहते हैं। हर तरह नाला का निर्माण कराया गया, लेकिन उन नालों की नियमित सफाई नहीं होने से यहां मच्छर का प्रकोप अधिक है।
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सात निश्चय योजना से हर घर तक पहुंचा नल का जल
पंचायत एवं पीएचइडी द्वारा बांक पंचायत के 15 वार्डों के हर घर तक नल का जल पहुंचाने में सफल रहें। वहीं, बनौधा के वार्ड संख्या 10 में पाइप से लेकर नल तक घर में लगा दिया गया है। उस नल से पानी नहीं निकलने की शिकायत ग्रामीण जनप्रतिनिधि से लेकर पीएचइडी विभाग को कर चुके हैं। इस समस्या का निदान नहीं हुआ है।
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जर्जर अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र बढ़ा रहा है दर्द
12 हजार की आबादी वाले बांक पंचायत में स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति दयनीय है। अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। यहां एक चिकित्सक, दो एएनएम की व्यवस्था है। यहां प्रत्येक दिन 30 से 40 रोगी इलाज के लिए आते हैं। जिसका इलाज एएनएम ही करती हैं। एएनएम ने कहा कि सप्ताह में दो दिन ही चिकित्सक की डयूटी होती है। शेष दिनों में मरीजों का उपचार करने के साथ ही दवाईयां भी हमलोग ही देते हैं। गंभीर मरीज को सदर अस्पताल भेज दिया जाता है।
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कहते हैं ग्रामीण
किसानों के लिए सिचाई की व्यवस्था होनी चाहिए। सिचाई की सुविधा होने के बाद बांक के किसानों की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी। यहां के अधिक तक लोग खेती और मजदूरी पर आश्रित हैं।
सतीश कुमार सतीश, कंचनगढ़
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गांव में बेहतर शिक्षा के लिए चार मध्य और चार प्राथमिक विद्यालय है। दो विद्यालय का भवन जर्जर है। विद्यालयों में शिक्षक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं देते हैं। कई शिक्षक देर से विद्यालय आते हैं।
हरे राम, हरपुर
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बांक पंचायत के मुबारकचक, बनौधा, गुलालपुर सहित अन्य गांवों में स्ट्रीट लाइट अब तक नहीं लगाई गई है। मुखिया ने बांक पंचायत के विकास में बेहतर योगदान दिया। लॉकडाउन के दौरान मुखिया ने हर घर तक राशन पहुंचाने का काम किया। सभी गांव को सैनिटाइज भी कराया गया। इसके अलावा पेयजल , सड़क व नाला का निर्माण करवाया।
मु. शफीक, बनौधा
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महिलाओं के उत्थान एवं उनके रोजगार के लिए विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। गुलालपुर में जीविका के माध्यम से कुछ महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ी हैं। पंचायत के सभी गांव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह लचर है। सप्ताह में दो ही दिन चिकित्सक रहते हैं, बांकी के दिनों में एएनएम द्वारा मरीजों का उपचार किया जाता है। यही कारण है कि लोग इलाज कराने सदर अस्पताल जाते हैं।
उखो देवी , हरपुर
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मैं पंचायत के प्रत्येक नागरिक की समस्या दूर करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती हूं। मेरी कोशिश रहती है कि योजना का लाभ योग्य लाभुकों तक पहुंचे। पंचायत में सरकार भवन का निर्माण हो, इसको लेकर भी प्रयास किए जा रहे हैं। मैंने इसको लेकर खुद बीडीओ सहित अन्य वरीय पदाधिकारी से बात की है।
बेबी देवी, मुखिया बांक पंचायत

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