महापुरुषों के प्रतिमा स्थल को संरक्षण की है दरकार

सुपौल। स्वतंत्रता संग्राम में देश के कई महापुरुषों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ऐसे ही महापुरुषों के त्याग और बलिदान की बदौलत 15 अगस्त, 1947 को भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी मिली। देश को आजाद कराने के दौरान कई फांसी पर चढ़ गए तो कई को बार-बार जेल का चक्कर लगाना पड़ा। आखिरकार देश आजाद हुआ।

आजादी के बाद महापुरुषों और आजादी के मतवालों को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के उद्देश्य से जगह-जगह महापुरुषों के स्मारक बनवाए गए ताकि देश के लिए मर मिटने वालों और देश को आजाद कराने में भूमिका निभाने वालों की यादें जीवंत रहे। स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाने वालों में महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. राम मनोहर लोहिया सरीखे लोग भी थे। सुपौल में भी कई ऐसे महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित है। नगर भवन के समीप महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित थी। जहां राष्ट्रीय पर्व-त्योहार पर ही लोग जाते थे और उनकी प्रतिमा पर फूलमाला चढ़ाकर नमन करते थे। भला हो जिला प्रशासन का जो उपेक्षित पड़े महात्मा गांधी की प्रतिमा पर नजरें इनायत की। महात्मा गांधी की प्रतिमा वहां से उठाकर चिल्ड्रेन पार्क में स्थापित किया गया और चिल्ड्रेन पार्क का नामकरण भी महात्मा गांधी चिल्ड्रेन पार्क कर दिया गया। संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर पर भी प्रशासन की नजरें इनायत है और अंबेडकर चौक पर ही उनकी प्रतिमा स्थानांतरित करने को लेकर भव्य स्मारक बनाया जा रहा है। लेकिन डॉ. राम मनोहर लोहिया एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा स्थल को मदद की दरकार है। स्थानीय लोहिया चौक स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया की प्रतिमा भी वर्षों पूर्व लगवाई गई पर विडंबना है कि डॉ. लोहिया की प्रतिमा छत विहीन है। धूप, पानी और धूल के थपेड़ों में प्रतिमा बदरंग हो जाती है। प्रतिमा स्थल तो बना दिया गया पर उदासीनता के कारण प्रतिमा स्थल पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में है। प्रतिमा स्थल के चारों ओर सब्जी की दुकानें सजती है, उसे कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। इससे इतर सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा स्थल भी अतिक्रमण का शिकार है। प्रतिमा स्थल के इर्द-गिर्द दुकानें सजती हैं। प्रशासन को जैसे इससे कोई लेना-देना नहीं है। केवल राष्ट्रीय पर्व त्योहारों पर ही स्मारक की सुध ली जाती है। अब सवाल उठता है कि आजादी के दीवाने व मतवाले को कैसा सम्मान और कैसी श्रद्धांजलि दी जा रही है। इसके लिए सरकार, शासन-प्रशासन और समाज को इस दिशा में जागरूक होने की जरूरत है।

शॉर्ट मे जानें सभी बड़ी खबरें और पायें ई-पेपर,ऑडियो न्यूज़,और अन्य सर्विस, डाउनलोड जागरण ऐप

अन्य समाचार