हंगामे के बीच लोकसभा में मध्यस्थता और सुलह संशोधन विधेयक पेश

नई दिल्ली (New Delhi) . तीन नए कृषि कानूनों पर कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच गुरुवार (Thursday) को लोकसभा (Lok Sabha) में मध्यस्थता और सुलह संशोधन विधेयक-2021 पेश किया गया. केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पेश किया. हालांकि, बीजू जनता दल (बीजद) ने इस विधेयक का विरोध किया है.

इस विधेयक में कहा गया है कि प्रतिष्ठित मध्यस्थों को आकर्षित करके भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए अधिनियम की आठवीं अनुसूची को खत्म करना आवश्यक समझा गया.इसके अनुसार उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 का और संशोधन करना आवश्यक हो गया. यह संसद सत्र में नहीं था और तत्काल उस अधिनियम में और संशोधन करना जरूरी हो गया था. ऐसे में राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 123 के खंड (1) के अधीन 4 नवंबर, 2020 को मध्यस्थता और सुलह संशोधन अध्यादेश 2020 को लागू किया गया था.
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बीजद के बी महताब ने विरोध करते हुए पूछा कि मंत्री बताएं कि विधेयक लाने की इतनी हड़बड़ी क्या है? इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विधेयक को पेश किए जाते समय इस संबंध में सदन के अधिकार पर प्रश्न उठाया जा सकता है, ना कि विधेयक के गुण-दोषों पर. उन्होंने कहा कि महताब ने विधेयक के गुण-दोषों की बात की है, जिस पर वह बाद में विस्तार से अपनी बात रखेंगे.
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