आर्सेनिक जल का सेवन भी बन रहा कैंसर का कारक, बन सकती है गंभीर चुनौती

जागरण संवाददाता, कटिहार । सीमांचल सहित पूरे प्रदेश में कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चिकित्सकों के अनुसार अगर इसी तेजी से कैंसर बढ़ता रहा तो आने वाले समय में यह एक गंभीर चुनौती बन जाएगी। साथ ही हर सौ व्यक्ति में से दस व्यक्ति कैंसर का मरीज हो सकता है। आंकड़ों के मुताबिक हर वर्ष बिहार में 85 हजार नये कैंसर मरीज आते हैं। बिहार में एक समय में करीब दो लाख 75 हजार कैंसर के पेशेंट सर्वाइव कर रहे होते हैं। ऐसे में इन्हें बेहतर इलाज मुहैया कराना भी एक बड़ी चुनौती भी बनती जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले दो.तीन वर्षों में बिहार में पुरुषों में प्रोस्टेट और फेफड़े का कैंसर तेजी से बढ़ा है। पुरुषों में सबसे ज्यादा खतरा प्रोस्टेट कैंसर से होता है। फेफड़ों में कैंसर के बाद सबसे ज्यादा मौतें प्रोस्टेट कैंसर की वजह से ही होती है। महिलाओं में आमतौर पर स्तन, गर्भाशय, कोलोरेक्टल, अंडाशय और मुंह का कैंसर ज्यादा होता है।

क्या कहते हैं चिकित्सक
चिकित्सक डा. पी. सी दास ने कहा कि सीमांचल में कैंसर के मरीज के बढऩे का कारण आर्सेनिक जल का सेवन भी एक बड़ा कारक है। सीमांचल गंगा व महानंदा नदी से घिरा हुआ है। इस कारण यहां के पानी में अधिक आर्सेनिक पाया जाता है। इससे महिलाओं में स्तन कैंसर, व लिवर कैंसर जैसे बीमारी होती है। वही सीमांचल क्षेत्र की महिलाएं तंबाकू का इस्तेमाल भी ज्यादा करती है। इस कारण यहां मुंह के कैंसर के भी अधिक मरीज पाए जाते हैं।
तंबाकू का इस्तेमाल से होता है 40 प्रतिशत कैंसर : 40 प्रतिशत मरीज को तंबाकू के सेवन के कारण कैंसर की चपेट में आ जाते हैं। इसके बचाव के लिए कई तरह से लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन ऐसे मरीज की संख्या घटने के बजाय बढ़ता जा रहा है।
ये हैं कैंसर के लक्षण
शरीर में कहीं पर भी कोई गांठ या गिल्टी का होना कैंसर का एक प्रमुख लक्षण है। इसके साथ ही पेशाब, थूक, खखार या बलगम में खून का आना भी कैंसर का एक लक्षण हो सकता है। इसके साथ ही शरीर का वजन लगातार घटना, लंबे समय तक बुखार का आना, मुंह के अंदर में रंग में परिवर्तन या घाव का होना, बच्चेदानी में असमय खून का स्राव होना, आवाज में लंबे समय से परिवर्तन, खाना या पानी निगलने में कठिनाई आदि भी कैंसर का प्रमुख लक्षण हो सकता है।
कैसे करे बचाव
फास्ट फूड या डिब्बा बंद खाने से परहेज करें
तली.भूनी ज्यादा वसा वाले एवं मसालेदार भोजन से परहेज करें
स्वच्छ पानी एवं पौष्टिक खाने को आहार में शामिल करें
संतुलित जीवनशैली अपनाए और रोजाना योग एवं व्यायाम करें

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