एक हत्यारे को पकड़ने देर रात चेहरा ढंक सादे लिबास में निकलते थे एसएसपी, घंटों देखते थे फुटेज

जागरण संवाददाता, पटना: रूपेश हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में एसआइटी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। सेंट्रल रेंज आइजी संजय सिंह हर दिन केस की समीक्षा करते थे तो एसएसपी टीम के साथ खुद ही कभी दबिश देने जाते। कई बार फुटेज देखने के लिए गलियों में घूमते। सभी पुलिसकर्मी सादे लिबास में रहते थे। एसएसपी खुद भी सादे लिबास में निकलते थे। कोई उन्हें पहचान न सके इसलिए कभी मास्क पहनते थे तो कभी चेहरा ढंक लेते थे।

हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए एसआइटी में शामिल पुलिस पदाधिकारी से लेकर जवान वारदात के दिन से लेकर पर्दाफाश तक रात तीन बजे के पहले नहीं सो पाए। तीन बजे रात तक पुलिस फुटेज देखती थी और दबिश देती थी। सुबह सात बजे भी जांच में जुट जाती थी। यहां तक कि एसआइटी की टीम वारदात के बाद 22 बार घटनास्थल पर जा चुकी थी।
फुटेज देखने में ही बीत जाती थी रात
एसआइटी के एक अधिकारी की मानें तो यह केस पूरी तरह ब्लाइंड था। वारदात को किसी ने नहीं देखा था और अपराध के पीछे मंशा भी पुलिस को नहीं मालूम थी। कई बार रोशनी दिखती थी, लेकिन साक्ष्य नहीं मिलने से फिर अंधेरा छा जा रहा था। स्थिति यह थी कि 12 जनवरी से 29 जनवरी तक एसएसपी, सिटी एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर से लेकर एक दर्जन पुलिस पदाधिकारी सुबह आठ बजे से रात तीन बजे तक फुटेज की जांच करते रहे। जहां-जहां फुटेज में बाइक सवार चारों अपराधी देखे जा रहे थे, वहां एसएसपी पहुंचते थे। फुटेज दिखाने के दौरान स्थानीय लोग सहयोग करते थे। लेकिन, किस मामले में पुलिस जांच कर रही इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी जा रही थी। एक-एक फुटेज को खंगालने में कई बार दो से तीन घंटे लग जाते थे। इस दौरान कई बार पुलिस पदाधिकारी रातभर जगते रह जाते थे ।
ऐसे काम कर रही थी टीम :
-एक टीम वारदात से पहले के दो दिनों के सीसी कैमरे फुटेज खंगाल रही थी, जबकि दूसरी टीम वारदात के बाद की।
-तीसरी टीम टेंडर, पार्किंग विवाद और अन्य मामूली विवाद की जांच में जुटी थी। हर संदिग्ध से पूछताछ की भी।
- चौथी टीम सर्विलांस पर लिए गए नंबर को चौबीस घंटे शिफ्ट बदल-बदल कर नजर रख रही थी।
- पांचवीं टीम डंप डाटा और सीडीआर रिपोर्ट में हर एक नंबर का सत्यापन और संबंधित लोगों की सूची उपलब्ध करा रही थी।
-छठी टीम के 16 सदस्य चार ग्रुप में बंटकर दूसरे जिलों में दबिश दे रहे थे और पकड़े जाने पर पूछताछ कर रिपोर्ट कर रहे थे।
- सातवीं टीम एसएसपी के साथ थी। इसमें तकनीकी एक्सपर्ट तक शामिल थे। पूरे मामले की जांच के लिए कंट्रोल रूम तैयार हुआ था।

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