हत्या के मामले में आरोप समान, जमानत पर फैसला अलग-अलग: अदालत ने पूछा-दोहरी नीति क्यों

राज्य ब्यूरो, पटना। हत्या के एक मामले में दो अभियुक्तों पर समान आरोप होने के बावजूद एक की अग्रिम जमानत खारिज करने तो दूसरे को देने के प्रकरण को पटना हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। न्यायाधीश बिरेंद्र कुमार ने मामले पर संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के समक्ष प्रशासनिक जांच के लिए भेज दिया है, जबकि एकल पीठ ने अग्रिम जमानत पाने वाले अभियुक्त बृंद पासवान की जमानत को रद्द करते हुए चार सप्ताह में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। अदालत ने बिहार सरकार की क्रिमिनल रिवीजन अर्जी को स्वीकर करते हुए यह निर्देश दिया।

प्राथमिकी में एक ही तरह के लगे थे आरोप
मामला दनियावां थाने का है। अभियुक्त पुतुर पासवान और बृंद पासवान पर प्राथमिकी में एक ही तरह के आरोप लगे थे। दोनों ने कट्टा (काटने का हथियार) और लोहे के रॉड से सूचिका और उसकी मां पर प्रहार किया था। इससे घायल महिला ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण उक्त प्रहार को बताया गया। मामला अदालत में गया तो पटना सिटी के एडीजे प्रथम ने पुतुर की अग्रिम जमानत अर्जी को 11 नवंबर 2019 को खारिज कर दिया, लेकिन बृंद पासवान को 23 दिसंबर 2019 को उसी अदालत ने अग्रिम जमानत दे दी, जिसे रद्द कराने के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
एडीजे के दोनों निर्णयों में न्यायिक विसंगति
अदालत ने बृंद यादव को न केवल नोटिस जारी किया बल्कि पटना के जिला व सत्र न्यायाधीश से पूछा कि यह दोहरी नीति क्यों अपनाई गई। जिला जज की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने पाया कि उक्त एडीजे के दोनों निर्णयों में न्यायिक विसंगति थी। हाईकोर्ट ने बृंद की अग्रिम जमानत को भी रद्द कर दिया। जबकि अनुचित निर्णय लेने वाले एडीजे के खिलाफ जांच के लिए हाईकोर्ट ने पूरे मामले को मुख्य न्यायाधीश को रेफर कर दिया।

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