सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है कुरमा हाट सरस्वती मेला, 1917 में ग्रामीणों इस मेले की हुई थी शुरूआत

जागरण संवाददाता, बांका । वसंत पंचमी पर सरस्वती हाट कुरमा में लगने वाले मेले की तैयारी शुरू हो गई है। पांच दिनों के इस मेले की शुरुआत 1917 में ग्रामीणों ने की थी। बौंसी और झारखंड के बसंतराय को छोड़ कहीं भी आसपास मेला लगते नहीं देख बृद्धिचंद्र जैन, किसन मोदी, रहमान मडऱ, गुलाबी मोदी आदि ने सरस्वती मंदिर का निर्माण कर पूजा की शुरूआत किया। इसकी परंपरा आज भी कायम है।

अतिक्रमण के कारण फीका पड़ गया मेला
कुरमा मेले को देखने के लिए काफी दूर दराज से लोग पहुंचते है। मनोरंजन के साधन ग्रामीणों द्वारा खेले गए देश भक्ति व सामाजिक नाटक, जादूगरों की जदूगीरी, खेल तमाशा आदि का भरपूर आनंद लेते थे। लेकिन अब पिछले दो दशकों से मेला परिसर में अतिक्रमण के कारण मेले का स्वरूप फीका पड़ गया है। दुकानदारों को जगह नहीं मिलने और प्रशासन द्वारा बौंसी मेले की घटना को देख खेल तमाशा का लाइसेंस नहीं देने से यह मेला नाम मात्र रह गया है।
हाट मालिक नसीम करते है पूजा की व्‍यवस्‍था
कुरमा मेले को लेकर प्रतिमा निर्माण का कार्य प्रारंभ है। मूर्तिकार संदीप पासवान ने बताया कि यहां सरस्वती,गणेश,कार्तिक के अलावा दो सेवक की प्रतिमा स्थापित की जाती है। ग्रामीण अनुपलाल दास,राकेश दास,भोला साह,बिनय कुमार मोदी,धनंजय कुमार मोदी बताते हैं कि कुरमा मेले में स्थापित प्रतिमा से लेकर पूजा की सारी व्यवस्था हाट मालिक करते हैं। उन्होंने बताया कि हिन्दू मुस्लिम एकता का संदेश का सबसे बड़ा गवाह हाट मालिक नसीम मुख्तार होने के बाद भी पूजा को लेकर वह सारी व्यवस्था करते हैं। मुखिया त्रिभुवन प्रसाद बताते हैं कि मेले में दर्जनों गांव के अलावा झारखंड के लोग भी यहां आते हैं।
सीओ ने जारी किया अतिक्रमण हटाने का निर्देश
कुरमा हाट में अतिक्रमणकारियों के पांव पसारने का सीओ हंसनाथ तिवारी ने निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अंचल निरीक्षक को अतिक्रमण करने वाले लोगों की पहचान करने को कहा। नोटिस देकर इसे खाली कराया जाएगा। बताया कि करीब सात एकड़ हाट की जमीन है। अतिक्रमण से यह दो एकड़ बच गया है।अतिक्रमणकारी झोपड़ी के बाद अब पक्के का मकान बनाकर दखल जमा रखा है। सीओ ने अतिक्रमण हटाने की दिशा में पहल शुरू करने की बात कही।

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