बिहार में अधिकारियों पर सख्ती, जानबूझकर जमीन की दाखिल खारिज लटकाए रखा तो अब फंसेंगे 

बिहार में अब अगर दाखिल खारिज का मामला लंबित रहा तो अधिकारी फंसेंगे। किस अधिकारी के स्तर पर कितने मामले लंबित हैं, इसकी सूचना संबंधित जिले के डीएम को हर हफ्ते मिलेगी। साथ ही, मुख्यालय से विभाग के अधिकारी भी इसकी मॉनिटरिंग कर सकेंगे। सबसे अधिक और सबसे कम मामलों का निष्पादन करने वाले अधिकारियों की सूचना भी डीएम को मिलेगी। इसी अधार पर कर्मियों को पुरस्कृत किया जा सकेगा तो दंड का भी प्रवधान होगा। 

जानबूझकर लटकाने की थी शिकायत  राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस पूरी व्यवस्था के लिए प्वाइंट और डिले नोटिफिकेशन नाम से वेब एप्लीकेशन बनाया है। इस पर सूचनाएं भी मिलनी शुरू हो गई हैं। विभाग को इस तरह की शिकायतें मिल रही थीं कि मामलों को जानबूझ कर लटका कर रखा जाता है। इसमें भ्रष्टाचार की भी शिकायत है। इसी को देखते हुए नई व्यवस्था की गई है।
देर होने पर सूचना की व्यवस्था नहीं थी दाखिल-खारिज की मौजूदा ऑनलाइन प्रक्रिया में प्रत्येक कर्मी की जिम्मेदारी पहले से तय है। उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य की समय सीमा भी तय है। लेकिन देर होने पर सूचना देने का प्रावधान नहीं था। नई व्यवस्था में अगर कोई कर्मचारी तय समय से अधिक समय तक कोई आवेदन अपने पास रोक कर रखता है तो उसकी जानकारी उसके अंचलाधिकारी को प्राप्त हो जाएगी। इसी तरह अंचलाधिकारी अगर निर्धारित समय सीमा के भीतर दाखिल-खारिज के आवेदनों का निपटारा नहीं करते हैं तो संबंधित जिला पदाधिकारी को इस बात की जानकारी मिल जाएगी।
पारदर्शिता बढ़ेगी विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने ऑन लाइन म्यूटेशन की प्रक्रिया में और पारदर्शिता लाने के लिए इस एप्लीकेशन का निर्माण करवाया गया है। उनका कहना है कि ऐसा देखा जा रहा था कि दाखिल-खारिज के मामले निष्पादित तो हो रहे थे किन्तु तय समय सीमा के भीतर नहीं हो पा रहे थे। नया एप्लीकेशन बनने के बाद अब यह पता करना आसान हो जाएगा कि किसी खास अंचल में लंबित आवेदनों में कितना आवेदन किसके पास लंबित है।
म्यूटेशन के 47 लाख में दस लाख आवेदन लंबित मालूम हो कि राज्य में दाखिल-खारिज अब सिर्फ ऑन लाइन माध्यम से ही की जाती है। अबतक प्राप्त दाखिल-खारिज के कुल मामलों 47 लाख 50 हजार मामलों में 10 लाख 37 हजार 611 लंबित है। मौजूदा समय में ऑनलाइन म्यूटेशन के लिए निर्धारित समय सीमा 35 दिन है जबकि अगर किसी आवेदन पर आपत्ति पड़ जाती है तो उसे 75 दिनों में निष्पादित करना होता है। 
एप ने शुरू किया काम वेब एप से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार तक सबसे अधिक मामलों को लटका के रखने वाला अंचल सीतामढ़ी जिले का परिहार है। वहां कुल 6601 आवेदन समय बीतने के बाद भी बाद लंबित है। उसी जिले के ही डुमरा अंचल में लंबित मामलों की संख्या 2179 है। कर्मचारियों की बात करें तो मधेपुरा के सदर अंचल के कर्मचारी ललन कुमार ठाकुर (हल्का-तुलसीबाड़ी राजपुर मलिया) के पास लंबित आवेदनों की संख्या राज्य में सबसे अधिक 1609 है। मधुबनी के खजौली अंचल एवं रोहतास के संझौली अंचल में समय सीमा बीतने के बाद लंबित पड़े आवेदनों की संख्या मात्र दो और आठ है। इसकी सूचना सभी डीएम को दे दी गई है।   

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