जानिए भागलपुर के इस गांव के बारे में.... बाढ़ से हर साल बदल जाता है भूगोल, इस तरह रह रहे लोग

भागलपुर [मिथिलेश कुमार]। प्रखंड की महादलित बहुल हरियो पंचायत का हर साल बाढ़ के कारण भूगोल बदल जाता है। एक तरफ कोसी का कटाव तो दूसरी तरफ एनएच 31 से घिरी है। तीन दशक पूर्व अपराध के लिए जानी जाने वाली यह पंचायत मूल रूप से खेती, किसानी, दूध के लिए मवेशी पालन के कारण काफी समृद्ध है।

पंचायत की सीमा बड़ीखाल व आहुति गांव के पास भागलपुर को मधेपुरा जिले से जोड़ती है। गांव में महर्षि मेंही कुप्पाघाट व संत कबीर के अनुयायियों से आध्यात्म की धारा बहती रहती है। शिक्षा व आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण वहां के अधिकांश लोगों के जीविकोपार्जन का मुख्य जरिया खेती अथवा मजदूरी है।
हर आयोजनों में एकजुट रहते थे ग्रामीण
हरियो के 80 वर्षीय ग्रामीण रामजी पासवान बताते हैं कि हमारा गांव भले ही मजदूरों व किसानों का हो, मगर यहां के लोग दिल से अमीर आज भी हैं। पहले गांव में शादी, श्राद्ध व अन्य बड़े आयोजनों में पूरा गांव एक साथ तैयारी करता था, मगर आज डिजिटल युग में यह बदल गया है।
स्थानीय स्तर पर बाजार की उपलब्धता हो
45 वर्षीय बिनोद कहते हैं कि हमने युवावस्था में अपराध व गांव के उस दौर को याद न करने वाला माहौल को देखा, जबकि 20 वर्षीय आलोक, राजेश व रितेश आदि ने कहा कि हमारे पूर्वज मेहनतकश थे। आज गांव में रोजगार के अवसर व गांव के दूध व सब्जी की बिक्री की प्रखंड अथवा क्षेत्र में सुलभता के साथ बाजार भाव के बिकने की व्यवस्था हो जाए तो यह गांव और भी समृद्ध हो जाएगा। ऐसा न होने के कारण किसान व पशुपालक अपनी सब्जी व फसलें समेत दूध आदि को गांव में ही औने-पौने दाम में क्षेत्रीय खरीदार को बेचने को विवश हो जाते हैं। मेहनतकश हरियो पंचायत बरसात के दिनों में जल निकासी की प्रमुख समस्या के कारण कुछ माह के लिए टापू बन जाता है। इसका मुख्य कारण है कि एक तरफ कोसी नदी होने के कारण कोसी के जलस्तर में वृद्धि के साथ ही गांव के गड्ढे व पोखर लबालब हो जाते हंै। वहीं, बारिश होने पर सड़क एवं घरों में पानी घुस आता है। पंचायत का हर वर्ष बाढ़ के बाद भूगोल बदल जाता है। इसका सीधा असर यहां के गरीब व मजदूर तबके के जीवनस्तर पर पड़ता है। कोसी कटाव हर साल उनके घर को ही नहीं इनकी जमीन को छीन रही है। हालांकि हरियो में आपराधिक गतिविधियों की कमी आने के बाद लोग अब राहत की सांस लेते हुए अपने रोजमर्रा के जीवन को अच्छे से जीने में लग गए हैं।
पंचायत की खासियत
गांव के पास एनएच 106 के किनारे ऐतिहासिक हजरत गुम्मा शाह पीर की मजार है। सांस्कृतिक रूप से 1960 से स्थापित युवा नाट्य कला परिषद है। वहीं, हरियो की महिला कबड्डी खिलाड़ी ज्योति ङ्क्षसह भागलपुर जिले से राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में खेलने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं।
पंचायत का इतिहास
- 50 वर्ष पूर्व हुई पंचायत की स्थापना।
- 85 प्रतिशत आबादी खेती, किसानी, दूध के लिए मवेशी पालन व मजदूरी पर निर्भर है।
- आबादी 19 हजार है।
- मतदाता सात हजार हैं।
- साक्षरता 70 प्रतिशत है।
पंचायत की भौगोलिक स्थिति
हरियो पंचायत के उत्तर में कोसी नदी, दक्षिण में एनएच 31, पश्चिम में धरमपुररत्ती पंंचायत का बहियार व पूरब में कोसी नदी व कहारपुर गांव।
कई लोग आज भी आवास और राशन कार्ड से वंचित
पंचायत की मुखिया चंचला देवी कहती हैं कि बीते पांच वर्ष में 500 सही लाभुक को सामाजिक सुरक्षा पेंशन से जोड़ा। 400 से अधिक लोगों को पीएम आवास से लाभान्वित कराया। पंचायत में सामूहिक प्रयास से प्लस टू हाईस्कूल लगाया गया। मुख्य सड़क को दुरुस्त कराकर नाला निर्माण एवं पंचायत में बिजली की समस्या का करीब 70 प्रतिशत निदान कराया। कई जरूरतमंद आज भी राशन कार्ड व पीएम आवास के लिए सरकारी प्रक्रिया की लंबी व सुस्त गति के कारण लाभ से वंचित ही है।
मैदान मुहैया कराने की हो सरकारी पहल
पंचायत के कई युवाओं व खिलाडिय़ों ने कहा कि हमें खेलने व दौडऩे के लिए मैदान तक नहीं है। मजबूरन सड़क के किनारे दौडऩा पड़ता है। वहां हमेशा खतरे का अंदेशा बना रहता है। वहीं वहां एक पुस्तकालय का भी व्यवस्था उपलब्ध कराया जाए।
मुखिया प्रतिनिधि ने पवन कुमार साह ने कहा कि कोसी कटाव की मार झेलने को विवश पंचायत के गोङ्क्षवदपुर, कहारपुर, बड़ीखाल व आहुति गांव के लोग पंचायत एवं प्रखंड मुख्यालय से जुडऩे के लिए पक्का पुल/पुलिया एवं कटाव की समस्या का स्थाई व ठोस निदान की आस लगाए बैठे हैं। वहीं कोसी कटाव से विस्थापित हुए गोङ्क्षवदपुर व कहारपुर के परिवारों के अविलंब पुनर्वास की व्यवस्था हो।
हुनरमंद लोगों का फिर होने लगा है पलायन
कोरोना काल के कारण परदेस से गांव आ चुके हुनरमंद व कारीगर रोजगार के अभाव में यहां पेट पालने के लिए मजदूर बन गए हैं। जिसके कारण पुन: लोग घर छोड़ कर कमाने के लिए यहां से पलायन करने लगे हैं।
बाबू, छह साल से राशन कार्ड बनवाने के लिए प्रखंड से लेकर अनुमंडल तक में कागज एक बार नहीं, बल् िकई बार दिए। दर्जनों बार कार्यालय के चक्कर लगाए, लेकिन राशन कार्ड से आजतक वंचित ही हूं। - जयकिशोर पासवान, ग्रामीण
हरियो में वार्ड नंबर छह से वार्ड नंबर 13 महेशपुर तक मुख्यमंत्री सड़क योजना से लाखों की लागत से बनने वाली पक्की सड़क आधा अधूरा बनाने के बाद संवेदक ने तीन पूर्व ही छोड़ दिया। जिस पर संबधित विभाग द्वारा आजतक कोई सुध तक नहीं ली गई है। - ग्रामीण इंद्रदेव, ग्रामीण
मजदूरों का पलायन रोकने के लिए कागज पर नहीं बल्कि धरातल पर यहां काम हो। हरियो गांव में बिजली विभाग द्वारा बिजली आपूर्ति के लिए आधा अधूरा कार्य करके छोड़ दिया गया है। पोल-तार का आधा अधूरा कार्य करके छोड़ दिया गया है। - भागीरथ साव, ग्रामीण
सरकारी अधिकारी के आदेश पर नाविकों से बाढ़ व अन्य समय में कराए गए कार्य के एवज में दो वर्षों से पैसा भुगतान नहीं किया गया है। हमलोग अंचल कार्यालय के चक्कर लगा-लगाकर थक गए हैं। - धारो पासवान, नाविक

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