पुलिस वेरिफिकेशन और चार्जशीट को लेकर उठे सवालों पर सरकार ने दी सफाई, कही ये बातें

बिहार में पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट को लेकर पुलिस मुख्यालय द्वारा दिए गए नए दिशा-निर्देश पर उठ रहे सवालों को लेकर सरकार ने शुक्रवार को सफाई दी। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि लोकतंत्र में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों का बहुत महत्व है। अधिकारी एक दायरे में रहकर काम करते हैं, ताकि किसी के अधिकार का हनन न हो। सरकार की मंशा लोगों की स्वतंत्रता और संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाना नहीं है, बल्कि हमारा मकसद अपराधियों और कानून तोड़नेवालों को ठेका लेने से वंचित रखना है।

सरदार पटेल भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आमिर सुबहानी ने कहा कि सरकार के विभिन्न कार्य विभागों (वर्क्स डिपार्टमेंट) द्वारा जारी ठेका लेने के लिए चरित्र प्रमाणपत्र पहले से अनिवार्य है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि स्वच्छ छवि के लोगों को ठेका मिले। सरकार ने पिछले दिनों इसे दोहराया है। यदि किसी को ठेका मिला है और उसकी शर्तों के तहत वह किसी अन्य व्यक्ति को सब-कांट्रैक्ट देता है तो उसे भी चरित्र प्रमाणपत्र देना होगा। इसी के आलोक में पुलिस मुख्यालय ने आंतरिक आदेश जारी किया है, ताकि अपराधियों को ठेका न मिले। बस स्टैंड, घाट, नाव घाट, पार्किंग का ठेका लेने वालों को भी चरित्र प्रमाणपत्र देना होगा। साथ ही उनके द्वारा नियुक्त स्टाफ का भी पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी कर दिया गया है। 
शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन में कोई दिक्कत नहीं  प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीजीपी एसके सिंघल और एडीजी मुख्यालय जितेन्द्र कुमार ने कहा कि शांतिपूर्ण ढंग से कोई भी विरोध-प्रदर्शन कर सकता है। मगर इस दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, तोड़फोड़, आगजनी या किसी के साथ मारपीट की जाती है तो वह कानूनन अपराध है। अनुसंधान के बाद इन घटनाओं में किसी के खिलाफ चार्जशीट दायर होती है तो पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट में इसका जिक्र होगा। इसके दुरुपयोग की आशंका जताए जाने पर अधिकारियों ने कहा कि जांच को लेकर कायदे-कानून बने हैं। सुपरविजन में साक्ष्य के आधार पर निर्णय होता है। साक्ष्य नहीं होने पर किसी के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं की जाती। सरकारी नौकरी के लिए पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट पहले से अनिवार्य है।  

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