आतंक का पर्याय माधव दूबे को अपनों ने ही किया ढेर

जागरण संवाददाता, सासाराम : पिछले दो दशक से जिले में अपराध की दुनिया में सक्रिय माधव दूबे कभी यह नहीं सोचा था कि उसे अपने ही मार डालेंगे। संपत्ति व यजमानी बंटवारे को ले शुक्रवार की रात उसके अपने ही चाचा गोपाल दूबे के परिवार के सदस्य पत्थर से मारकर हत्या कर दिए। हालांकि इस क्रम में एक दर्जन चक्र गोली भी चलने की बात सामने आई है। माधव व गोपाल दूबे की हत्या के बाद शहर में सनसनी है।

एसपी आशीष भारती ने बताया कि इस मामले में माधव के भाई श्रीराम दूबे, पिटू दूबे व जीतेंद्र को तथा गोपाल दूबे के पुत्र अजय दूबे, चंदन दूबे व रामभजन दूबे को गिरफ्तार किया गया है।
बताया जाता है कि लगभग डेढ़ दशक पूर्व सासाराम शहर के अड्डा रोड में उसे गिरफ्तार करने गई नगर थाना की पुलिस पर उसने फायरिग कर दिया था। फायरिग कर भागने की कवायद में जुटे कुख्यात माधव और जीतेंद्र दूबे को नगर थाना के दो पुलिस अधिकारी दिनेश कुमार और मुहम्मद इरशाद ने दबोच कर जेल भेज दिया था। पहली बार पुलिस के हाथों गिरफ्तार कुख्यात माधव दूबे पर एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। जिसमें सिर्फ आठ मामले नगर और दरिगांव थाना में दर्ज है। संपति विवाद के कारण दो दशक पहले उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा था। पुलिस आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2001 में अपने मित्र की बहन के साथ छेड़खानी करने वाले की हत्या कर चर्चा में आया था। इसके बाद से वह हथियार से लैश होकर रहने लगा था। वर्ष 2011 में जमीन कारोबारी दरिगांव थाना क्षेत्र के नौगाई निवासी उदय सिंह उर्फ डाक्टर की हत्या करने के मामले भी वह नामजद था। बाद के दिनों में गैंगवार में मारा जा चुका जयराम चौधरी के साथ भी सक्रिय रहा था। वह जिले के अलावा आसपास के जिले के कई गैंगस्टरों के साथ मिलकर हत्या, लूट व छिनैती जैसी घटनाओं में सक्रिय था। अपने ही परिजनों पर गोलियां बरसाने के बाद हुई पिटाई के कारण मरने वाला माधव दुबे दुस्साहसी प्रवृत्ति का था । जानकार बताते हैं कि अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद बहुत अल्प समय में माधव ने स्वयं को गैंगस्टर के रूप में स्थापित किया । जिले में बेहतर पुलिसिग के लिए चर्चित सब इंस्पेक्टर मनोरंजन भारती ने भी माधव दुबे को गिरफ्तार करने के लिए पैतृक आवास पर घेराबंदी कर छापेमारी की थी, लेकिन वह पुलिस को चकमा देकर अपने घर की दीवार फांद कर भागने में सफल हो गया था। गिरफ्तारी के बाद वह कई वर्षों तक जेल में रहने के बावजूद अपने गुर्गों की बदौलत शहर में अपराधिक दुनिया को संचालित करने का भी उस पर आरोप लगता था। पिछले कुछ वर्षों से जमानत पर रिहा हुए माधव दुबे खुली सड़कों पर बहुत कम देखा जाता था। जानकारों की मानें तो अपराध की दुनिया के बाद वह राजनीति में भी सक्रिय होने की मंशा पाल रहा था।

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