अपहरण के बाद हत्या मामले में चाचा-भतीजे को आजीवन कारावास

लखीसराय। अपहरण के बाद हत्या कर शव को गायब करने के मामले में कोर्ट ने चाचा-भतीजे को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला त्वरित न्यायालय द्वितीय के न्यायाधीश विश्वनाथ प्रसाद ने सुनाया।

सजा पाने वालों में सूर्यगढ़ा थाना क्षेत्र के शोभनी निवासी रिश्ते का चाचा-भतीजा नेमो सिंह के पुत्र नारद सिंह एवं छेदी सिंह के पुत्र बब्बन सिंह शामिल हैं। अपर लोक अभियोजक रामविलास शर्मा ने बताया कि चार अगस्त 1998 को सूर्यगढ़ा थाना क्षेत्र के शोभनी निवासी सुबोध सिंह की पत्नी रेणु देवी देवी ने सूर्यगढ़ा थाना में बयान दिया थी कि उसी दिन सुबह 9:30 बजे एक बच्चा ने घर में आकर उसे बताया कि कुछ लोग उसके ससुर रामउचित सिंह को घसीटकर ले जा रहे हैं। बाहर जाने पर उसने देखा कि रेलवे लाइन के केबिन के समीप बहियार में गांव के ही नेमो सिंह के पुत्र नारद सिंह, आनंदी सिंह, छेदी सिंह, छेदी सिंह के पुत्र बब्बन सिंह, लाल सिंह के पुत्र वाल्मीकि सिंह, गेंधारी सिंह के पुत्र परमानंद सिंह, बालदेव सिंह के पुत्र जुल्मीधारी सिंह, द्वारिका सिंह के पुत्र लूखो सिंह एवं बंगाली सिंह के पुत्र स्नेही सिंह हथियारों से लैस होकर उसके ससुर रामउचित सिंह को घसीटते हुए बहियार ले जा रहे हैं। वहां पहुंचकर उसने उन लोगों से अपने ससुर को छोड़ने की विनती की परंतु सभी लोगों ने जान मारने की धमकी देकर उसे भगा दिया। पुलिस की खोजबीन करने पर उसके ससुर की सिर कटी लाश मिली थी। तीन अभियुक्तों नारद सिंह, बब्बन सिंह एवं छेदी सिंह का विचारण हुआ। विचारण के दौरान छेदी सिंह की मौत हो गई। न्यायाधीश ने विचारण के पश्चात नारद सिंह एवं बब्बन सिंह को धारा 364 का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड जमा नहीं करने पर एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी, जबकि धारा 201 में पांच वर्ष की सजा सुनाई है। दोनों सजा साथ-साथ चलेगी। बचाव पक्ष से अधिवक्ता वीरेंद्र शर्मा एवं अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक रामविलास शर्मा ने बहस में भाग लिया।


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