महात्मा गांधी व पंडित नेहरू के विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गए थे बेलारी के रामकृष्ण

मधेपुरा। स्वतंत्रता आंदोलन में बेलारी पंचायत के लोगों ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। यहां के रामकृष्ण मंडल महात्मा गांधी व पंडित जवाहर लाल नेहरू के विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गए थे। बाद में वे विधायक भी बने।

जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर उत्तर पूरब मधेपुरा, शंकरपुर, मुरलीगंज प्रखंड सीमा पर अवस्थित बेलारी की पहचान जिले में है। बेलारी राजस्व ग्राम अंतर्गत बेलारी, रामपट्टी, कुशहा, बेल्ही, गेंगारही, आम्हा, बेलारी गोठ मुहल्ला है। पंचायत में रामजानकी ठाकुरबाड़ी, दुर्गा मंदिर, बाबा खेदन महाराज स्थान, बजरंगबली मंदिर, चर्च, मस्जिद, सोनाय महाराज स्थान, महादेव मंदिर है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बेलारी पंचायत दो भागों में विभक्त थी। रामजानकी के नाम से प्रचलित रामपट्टी गांव पड़ोस के शिवनगर जमुआहा का अंश भाग था।
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आजादी के बाद स्वतंत्रता सेनानी रहे रामकृष्ण मंडल शिवनगर जमुआहा पंचायत के प्रथम मुखिया मनोनीत हुए थे। बेलारी पंचायत में यदुनंदन सिंह को पंचायत का मुखिया मनोनीत किया गया था। वर्ष 1978 में पंचायत गठन के बाद गुनेश्वर मंडल और वर्ष 1983 के चुनाव में सत्यनारायण यादव पंचायत के मुखिया निर्वाचित हुए थे। साथ ही शिवनगर जमुआहा से निर्वाचित मुखिया रामकृष्ण मंडल प्रखंड के द्वितीय प्रखंड प्रमुख चुने गए थे। इसके बाद उन्होंने विधानसभा तक का सफर तय किया। इतना ही नहीं बीज निगम के अध्यक्ष, बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष, सहरसा, सुपौल कॉपरेटिव सोसायटी के चेयरमेन से लेकर मुरलीगंज बाजार समिति और नगर पंचायत की अध्यक्षता की। इन सभी ख्यातियों के कारण पंचायत को रामकृष्ण बाबू के नाम से जाना जाने लगा। वर्ष 2001 में पंचायत पुनर्गठन व परिसीमन के दौरान पंचायत के भौगोलिक स्थिति को यथावत रखते हुए रामपट्टी गांव को शामिल कर कुल 10 वाडरें की पंचायत बनाई गई।
पंचायत का गौरव स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व विधायक रामकृष्ण मंडल के अलावा इस पंचायत के रामकृष्ण पोद्दार, मालिक पोद्दार, सत्यनारायण पोद्दार, विद्यानंद यादव, उपेंद्र यादव, कामेश्वर पासवान, दीपनारायण पासवान, लक्षमन सिंह, नागेश्वर सिंह, दयाराम मंडल, मु. अमीर, मु. इदरीस, सुगदेव यादव, उमेश यादव, प्रियवत यादव, सुदिष्ट यादव, रामबहादुर पासवान, रामजी यादव, विनोद यादव, रामचंद्र ठाकुर आदि गणमान्य व्यक्ति हुए।
सुरसर नदी किनारे बसी है पंचायत कोसी नदी के सहायक सुरसर नदी किनारे मैदानी उसर क्षेत्र पर बेलारी पंचायत बसी है। पंचायत के मध्य से मुरलीगंज प्रशाखा नहर गुजरती है, जो यहां के खेतों की सिचाई का मुख्य स्रोत है। यहां वर्ष में तीन फसल उपजती है। प्रकृति की गोद में बसी पंचायत के लोग काफी मिलनसार हैं।
बेलारी-रौता पथ के निर्माण के बाद हुआ फायदा पिछड़ा इलाका होने के कारण वर्ष 2010 में मधेपुरा-बेलारी और बेलारी-रौता पथ का निर्माण हुआ। इससे लोगों को काफी फायदा हुआ, लेकिन जिला मुख्यालय से प्रखंड मुख्यालय को जोड़ने वाला जिला परिषद के पथ संख्या 18 का निर्माण अभी तह पूरा नहीं हो सका है।
कृषि व व्यवसाय है जीवन यापन का मुख्य साधन पंचायत के लोगों के जीवन यापन का मुख्य साधन कृषि, मजदूरी और व्यवसाय है। कल कारखाना नहीं होने के कारण अधिकांश लोगों को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में काम करने के लिए पलायन करना पड़ता है।
आपसी प्रेम व सौहार्द के बीच रहते हैं लोग पंचायतवासी अनंत पूजा व मुहर्रम के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय मेले में धर्म और मजहब से ऊपर उठकर बढ़-चढ़कर एक-दूसरे के धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेते हैं। पंचायत में गरीबी और कुपोषण को दूर करने के लिए समाज कल्याण निदेशालय द्वारा पंचायत में 10 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। धीरे-धीरे ही सही पंचायत विकास की ओर अग्रसर है।
10 वार्डो में स्थापित किए गए हैं जल संयंत्र पंचायत के सभी परिवार को शुद्ध और स्वच्छ जल मिले इसके लिए मुख्यमंत्री हर घर नल का जल योजना के तहत ग्रामीण स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा जलमीनार बनाए जा रहे हैं। इसके तहत सभी 10 वार्डों में जल संयंत्र केंद्र स्थापित किए गए हैं। लोगों को नल का जल उपलब्ध कराया जा रहा है।
पंचायत सरकार भवन का हुआ निर्माण पंचायत में सरकार भवन का निर्माण कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया गया है। निर्मित पंचायत सरकार भवन में लोक सेवाओं के अधिकार के तहत मिलने वाली सेवाओं का लाभ व ग्राम पंचायत व ग्राम कचहरी के कार्यों का संपादन किया जा रहा है।
बाढ़ आश्रय स्थल का हुआ है निर्माण पंचायत में बाढ़ जैसी आपदा से निपटने व जरूरी सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पुल निर्माण निगम द्वारा पंचायत वासियों के लिए बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण कराया गया है, जहां 500 व्यक्ति के ठहरने की व्यवस्था है।
मुख्य पथ से जोड़े गए हैं कई मुहल्ले पंचायत के लगभग सभी गांवों में पक्की सड़क की सुविधा उपलब्ध है। मुख्य पथ तक सभी टोले-मुहल्ले तक जाने के लिए 10 नई सड़कों का निर्माण कराया गया है। करीब चार हजार फीट पीसीसी सड़क का निर्माण कराया गया है।
पशु अस्पताल की है आवश्यकता पंचायत में पशु अस्पताल की आवश्यकता है। लोगों को मवेशियों के इलाज के लिए आठ किलोमीटर पशु चिकित्सालय रानीपट्टी जाना पड़ता है। चिकित्सक नहीं मिलने पर लोगों को वापस लौटना पड़ता है। चिकित्सालय के अभाव में कभी-कभी मवेशी की जान भी चली जाती है। स्ट्रीट लाइटों से जगमग हो रहीं गांवों की गलियां पंचायत के सभी वार्डों में 400 स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। लाइट जलने से गांव शहर की तरह जगमग रहते हैं। इससे पंचायत की सभी गलियों में रोशनी रहती है।
साफ-सफाई की है व्यवस्था
साफ-सफाई के लिए हर वार्डो के चौक-चौराहों व सार्वजनिक स्थान पर डस्टबीन लगाए गए हैं। इसके साथ ही पंचायत में कचरा संचय स्थल का निर्माण किया गया है, जहां कचरे को समाप्त कर दिया जाता है। इससे गांव के मुहल्ले स्वच्छ और सुंदर दिखते हैं।
एक ही राजस्व ग्राम से बनी है पंचायत आजादी के बाद पंचायत के रामपट्टी टोला को शिवनगर जमुआहा से अलग कर 10 वार्डों की पंचायत का गठन किया गया है। राजस्व ग्राम के नाम से इसका मुख्यालय बेलारी निर्धारित किया गया था।
18 हजार फीट पीसीसी पथ का हुआ निर्माण पंचायत के बेलारी, रामपट्टी, कुशहा, बेल्ही, गेंगारही, आम्हा, बेलारी गोठ आदि मुहल्लों में 18 हजार फीट पीसी सड़क निर्माण कराकर पंचायत के टोले-मुहल्ले को मुख्य पथ से जोड़ा गया है।
पंचायत को मिला है विकास योजनाओं का लाभ पंचायत के 2,294 परिवार में से एक हजार परिवार को निजी शौचालय का लाभ दिलाया गया है, वहीं आम आवाम के लिए चार सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। साथ ही एक हजार परिवार को प्रधानमंत्री आवास, 500 लोगों को वृद्धापेंशन, 200 को लक्ष्मीबाई पेंशन, 80 को दिव्यांगता पेंशन, 150 को विधवा पेंशन, 80 को पारिवारिक लाभ, 110को मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का लाभ, 200 मृतक के आश्रितों को कबीर अंत्येष्टि योजना का लाभ दिलाया गया है। पंचायत के 350 गरीब परिवार को नए राशन कार्ड दिलाए गए हैं तो 150 परिवारों के राशन कार्ड में अपेक्षित सुधार किया गया है। विभिन्न वार्डो के 1200 एपीएल-बीपीएल परिवार आवास के समीप बने गड्ढों की भराई कराई गई है।
ग्राम पंचायत एक नजर में कुल जनसंख्या : 10067
(पुरुष-5286, महिला-4781) मतदाता : 5,366 परिवार : 2294 साक्षरता : 55 छेत्रफल : 2500 वर्ग किलोमीटर मुख्य रोजगार : कृषि, मजदूरी, व्यवसाय वार्ड : 10 आंगनबाड़ी केंद्र : 10 (दो भवन युक्त) प्राथमिक विद्यालय : नहीं मदरसा : एक (आम्हा) मध्य विद्यालय : छह (रामपट्टी, कुशहा, बेलारी गोठ, बेलारी दक्षिण, गेंगारही) उच्च मध्य विद्यालय : एक (सोनाय उच्च मध्य विद्यालय बेलारी) कॉलेज : नहीं स्वास्थ्य केंद्र : एक पशु चिकित्सालय : नहीं पंचायत भवन : उपलब्ध पंचायत सरकार भवन : हां सामुदायिक भवन : एक राजीव गांधी सेवा केंद्र : नहीं
जनवितरण दुकान : छह कुल राशन कार्डधारी लाभुक : 1914 राष्ट्रीयकृत बैंक : एक (सेंतारल बैंक ऑफा इंडिया) पेट्रोल पंप : तीन रसोई गैस वितरण केंद्र : एक
पर्यटन स्थल : नहीं साफ-सफाई की स्थिति : बेहतर पुल-पुलिया की स्थिति : ठीक सड़कों की स्थिति : ठीक धार्मिक स्थान : दुर्गा मंदिर, महादेव मंदिर, बजरंगबलि मंदिर, दीनाभद्री मंदिर, सोनाय बाबा स्थान, रामजानकी ठाकुरबाड़ी, बाबा खेदन महाराज स्थान, राजा शलेश स्थान, चर्च और मस्जिद
कौन कब बने मुखिया 2001 : कज कुमार पप्पू 2006 : पंकज कुमार पप्पू 2011 : संदीप कुमार सिंह 2016 : डॉ. विश्वबंधु बादल (वर्तमान)
कोट पंचायत के लोगों को योजना का लाभ मिला है। सभी वार्डों में विकास के कार्य किए गए हैं। पंचायत को और विकसित किए जाने की आवश्यकता है। -सुदिष्ट यादव, रामपट्टी
पंचायत में विकास के काफी कार्य हुए हैं। मुखिया द्वारा पंचायत के वार्डों में सभी वर्गों का ख्याल रखा गया है। विकास के कई काम हुए हैं। -मुनिलाल पासवान, बेल्ही
समाज के हित के लिए चलाई गई योजनाओं को मुखिया द्वारा सरजमीन पर उतारी गई हैं। पंचायत को और विकसित करने की आवश्यकता है। -मु. इदरीस, आम्हा सरकारी योजनाओं का लाभ पंचायत के गरीब, शोषित, किसान, मजदूर सभी तबके के लोगों को मिला है। निर्वाचित जनप्रतिनिधि जनता के लिए जो काम किया है वह अच्छा है। -श्रीकृष्ण सिंह
मुखिया का दावा मुखिया विश्वबंधु बादल ने बताया कि पंचायत के लोगों से किए गए वादे को पूरा करने का प्रयास किया गया है। सरकार द्वारा आवंटित राशि को पंचायत के विकास के लिए खर्च कर योजनाओं को जमीनी रूप देने का प्रयास किया गया। सभी वार्डो में योजनाओं का लाभ पहुंचाने का हरसंभव प्रयास किया गया है। पंचायत में सार्वजनिक शमशान घाट, महाविद्यालय, खेल का मैदान, सामुदायिक भवन, बाल विकास केंद्र, पशु चिकित्सालय, पार्क आदि के बिना विकास अधूरा है। इसे पूरा करने का प्रयास जारी है।
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