जिले में अभी एक प्रयोगशाला के बूते हो रही है मिट्टी जांच

खगड़िया । रासायनिक खाद के प्रयोग से खेतों की सेहत खराब हो रही है। जिससे बेहतर उत्पादन नहीं हो पाता है। बेहतर खेती व अधिक उत्पादन के लिए मिट्टी का स्वस्थ्य होना आवश्यक है। मिट्टी जांच के साथ उपचार के लिए खेती की मिट्टी जांच कराना आवश्यक है। मिट्टी जांच से खेतों की कमियां पता चलती है। जिसके उपचार से मिट्टी ठीक कर उसके अनुरूप खेती की जा सकती है। क्या है मिट्टी जांच और क्यों है आवश्यक

खेतों से मिट्टी का नमूना लेकर प्रयोगशाला में जांच की जाती है। जांच से यह पता लगता है कि नमूना वाले खेत की मिट्टी किस प्रकार की है। अम्लीय है या क्षारीय है। फासफोरस, नाइट्रोजन, पोटाश आदि आवश्यक तत्व है या नहीं है। अगर है तो कितनी मात्रा में है। इसके बाद मिट्टी की कमियों को दूर कर बेहतर उत्पादन पाया जा सकता है। आवश्यक तत्वों की मात्रा की जानकारी मिलने से खेत में खाद की मात्रा आदि डालने का भी पता चलता है। कौन सी खाद किस मात्रा में दी जाए, यह जानकारी किसानों को हो जाती है।

जिले में मिट्टी जांच को लेकर विभागीय स्तर पर एक प्रयोगशाला है। जहां मिट्टी के नमूने लेकर जांच की जाती है और किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड दिए जाते हैं। जिसमें मिट्टी जांच की जानकारी रहती है। विभागीय स्तर पर किसान सलाहकारों की ओर से खेत से मिट्टी का नमूना लेकर जांच में भेजा जाता है। इच्छुक किसान स्वयं भी जांच करा सकते हैं। अब मिनी लैब स्थापन के बाद किसानों को मिट्टी जांच कराने में और सुविधा मिल सकेगी।
कोट
जिले में मिट्टी जांच को लेकर लगातार अभियान चलाया जाता रहा है। जिले में एक प्रयोगशाला है, जहां जांच की जाती है। अभियान के तौर पर मिट्टी की जांच के साथ किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराया जाता है। यह सतत प्रक्रिया के तहत किया जाता है। हर फसल के उत्पादन बाद किसान मिट्टी जांच कराए, तो और बेहतर होगा। इससे खेत की मिट्टी में मौजूद उर्वरक की मात्रा का पता चल सकेगा। जिसके अनुरूप खेत में उर्वरक डाल बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है। मुकेश कुमार, प्रभारी जिला कृषि पदाधिकारी, खगड़िया।
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