चार पर एंकर---गोकर्ण से कथा सुनने के धुंधकारी को प्राप्त हुआ था मोक्ष: महर्षि श्री दास जी महाराज

चौथे दिन की कथा

- श्रीमद्भागवत कथा सुनने से समस्त पापों से मिलती है मुक्ति
-कृष्ण ने कहा था कि कथा सुनने से जागृत होता है वैराग्य
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उचकागांव। एक संवाददाता । मीरगंज शहर स्थित प्राचीन औघड़दानी शिवमंदिर के परिसर में आयोजित पांच दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सह प्रवचन कार्यक्रम के चौथे दिन गुरुवार को महर्षि श्री दास जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा की महिमा के बारे में वर्णन किया। कहा कि भागवत कथा श्रवण मात्र से ही समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। जैसे कि गोकर्ण ने कथा कही व उसके दुराचारी भाई धुंधकारी ने मनोयोग से सुना व उसे मोक्ष प्राप्त हो गया। भागवत कथा का केंद्र आनंद है, आनंद में पाप का स्पर्श भी नहीं हो सकता हैं। भागवत कथा एक ऐसा अमृत है, इसको कितनी भी पान करें आत्मा तृप्त नहीं होती। भक्ति के दो पुत्र हैं। पहला ज्ञान व दूसरा वैराग्य। भक्ति बड़ी दुखी थी, उसके दोनों पुत्र वृद्धावस्था में आकर भी सोए पड़े हैं। वेद वेदांत का घोल किया गया, लेकिन वे नहीं जागे। भक्ति बड़ी दुखी थी कि यदि वे नहीं जागे तो यह संसार गर्त में चला जाएगा। भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कहा कि भागवत कथा सुनते ही ज्ञान व वैराग्य जागृत हो जाता है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा के सुनने से समस्त पापों के साथ पीड़ा व चिंता भी मिट जाती है। इधर,पांच दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सह प्रवचन के आयोजन होने से मीरगंज शहर व उससे सटे ग्रामीण इलाकों में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। कथा सुनने के लिए श्रद्धालु भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। चौथे दिन कथा का शुभारम्भ दीप जला कर किया गया। मौके पर पूर्व चेयरमैन मोहन जी प्रसाद चौरसिया, अधिवक्ता सीबी जॉन व विनोद व्यास ,न्यास कमेटी के अध्यक्ष विनोद प्रसाद, शंकर गोड़, अंकित राज, संजीव सोनी आदि थे।
रामचरितमानस की एक -एक चौपाई महामंत्र : रामअवध शुक्ल
सहस्त्रचंडी महायज्ञ
कटेया प्रखंड के अमवा गांव में चल रहा है सहस्त्र चंडी महायज्ञ
महायज्ञ में प्रवचन सुनने उमड़ रही है कई गावों से भक्तों की भीड़
कटेया। एक संवाददाता
रामचरितमानस की एक-एक चौपाई व दोहे महामंत्र है। इसका अध्ययन व श्रवण दोनों ही मनुष्य की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। यह बातें राम अवध शुक्ल ‘रामायणीने कही। वे कटेया प्रखंड के अमवा गांव में आयोजित सहस्त्र चंडी महायज्ञ में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस के प्रत्येक पात्र अपने आप में एक अलग महत्व रखते हैं। यह ग्रंथ मनुष्य को विकट परिस्थितियों में भी सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भगवान सर्वज्ञानी थे, परंतु मनुष्य रूप में आकर उन्होंने मृत्युलोक में प्राणियों को एक शिक्षा दी। रामचरितमानस में वन में भटकते हुए राम का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम तमाम कठिनाइयों का सामना करते रहे। लेकिन,कभी भी उनका ध्यान विचलित नहीं हुआ। पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए उन्होंने सब कुछ त्याग कर दिया। प्रवचन करने आईं अर्चना मिश्रा रामचरितमानस की प्रमुख महिला पात्रों का चरित्र चित्रण कर रही थीं। उन्होंने सीता के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सीता देवी थीं। तमाम कठिनाइयां सहते हुए भी उन्होंने अपने पति का साथ नहीं छोड़ा। अयोध्या में जिस तरह से सभी रानियां, खुद राजा दशरथ भी सीता को वनवास जाने से रोक रहे थे। लेकिन, सीता माता ने सारा राज पाठ और वैभव को छोड़ कर पति के चरणों को ही माथे लगा लिया। एक स्त्री के लिए उसका पति ही परमेश्वर होता है।

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